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धर्म-अध्यात्म

गायत्री मन्त्र सांप्रदायिक नहीं…

तमिलनाडु की राजनैतिक पार्टी ‘द्रविड़ कड़गम’ ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की थी कि सन् 1983 में सार्वजनिक क्षेत्र की एक संस्था ‘युनाइटेड ऐश्योरेंस कम्पनी’ ने अपने दीवाली सम्बन्धी शुभकामना कार्ड में गायत्री मंत्र और उसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित करके साम्प्रदायकिता पूर्ण कार्य किया है। दावे के अनुसार उस कंपनी ने 25 […]

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धर्म-अध्यात्म

भारतीय स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है आंध्र प्रदेश का लेपाक्षी मंदिर

उगता भारत ब्यूरो आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले का लेपाक्षी मंदिर हैंगिंग पिलर्स (हवा में झूलते पिलर्स) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस मंदिर के 70 से ज्यादा पिलर बिना किसी सहारे के खड़े हैं और मंदिर को संभाले हुए हैं। मंदिर के ये अनोखे पिलर हर साल यहां आने वाले लाखों टूरिस्टों […]

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धर्म-अध्यात्म

भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं में मुक्ति का महत्व क्या है ?

संसार का सुख क्षणभंगुर है।लेकिन मुक्ति का आनंद वर्णनातीत है जो केवल अनुभव किया जा सकता है । उस परमानंद के सामने सांसारिक सुख कदापि महत्व नहीं पा सकते ।मानव के जीवन का उद्देश्य एकमात्र यही है कि वह परम आनंद को पाता रहे। परमानंद को पाकर उसकी पूर्ण आयु ,महाकाल पर्यंत रमण करता रहे […]

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धर्म-अध्यात्म

धर्म और अधर्म के बारे में क्या कहती है मनुस्मृति ?

#डॉविवेकआर्य अम्बेडकरवादी यह जानते हुए भी कि कुछ मूर्खों ने मनुस्मृति में श्लोकों की मिलावट की थी सृष्टि के प्रथम संविधान निर्माता महर्षि मनु के प्रति द्वेष वचनों का प्रयोग करने से पीछे नहीं हटते। मिलावटी अथवा प्रक्षिप्त भाग को छोड़कर बाकि सत्य भाग को स्वीकार करने में सभी का हित है। सत्य यह है […]

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धर्म-अध्यात्म

दुर्योधन , अर्जुन और नई भगवद गीता

ब्रजकिशोर मित्रों, एक बार एक पिता जी अपने महाधर्मनिरपेक्ष बेटे को कुछ समझाते हुए महाभारत का उदाहरण दे रहे थे।बेटा! संघर्ष को जहाँ तक हो सके, रोकना चाहिए। महाभारत से पहले कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के दरबार में यह प्रस्ताव लेकर कि हम युद्ध नहीं चाहते. तुम पूरा राज्य रखो पाँडवों को सिर्फ पाँच […]

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धर्म-अध्यात्म

“अविद्या व अन्धविश्वास दूर किये बिना मनुष्य जाति का कल्याण सम्भव नहीं”

ओ३म् ========= अविद्या, अज्ञान व अन्धविश्वास ये सभी शब्द व इनसे उत्पन्न धार्मिक व सामाजिक प्रथायें परस्पर पूरक व एक दूसरे पर आश्रित हैं। यदि अविद्या, अज्ञान व स्वार्थ आदि न हों तो किसी भी समाज व सम्प्रदाय में अन्धविश्वास उत्पन्न नहीं हो सकते। अज्ञान व अविद्या दूर करने का एक मात्र साधन व उपाय […]

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धर्म-अध्यात्म

“सृष्टिकर्ता और पालक ईश्वर कहां रहता है और क्या करता है?”

ओ३म् ईश्वर और उसके अन्य सभी गुण, कर्म और सम्बन्ध वाचक नाम वेदों से संसार में प्रसिद्ध हुए हैं। वेद, सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों की अमैथुनी सृष्टि के साथ परमात्मा की ओर से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा के माध्यम से प्राप्त हुए ज्ञान व उसकी पुस्तकें हैं। इस सृष्टि को ईश्वर […]

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धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख

राष्ट्र सेविका समिति ने भारत में राष्ट्रभक्त मातृशक्ति को किया है तैयार

भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में सबसे महान एवं विश्व की सभ्यताओं में सबसे पुरानी संस्कृति मानी जाती है। भारतीय संस्कारों की वैज्ञानिकता पर तो आज अमेरिका सहित अन्य कई विकसित देशों को आश्चर्य हो रहा है कि किस प्रकार आज से कई हजारों साल पहिले भारत में सभ्यता इतनी विकसित अवस्था में रही थी। भारतीय […]

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वेद रूपी गंगा

वेद रूपी गंगा इंग्लैंड प्रदेश से एक विदेशी जिज्ञासु युवक गंगा नदी की महिमा सुनकर कोलकाता आया। मगर हावड़ा पुल से गंदे गंगा जल को देखकर वह हैरान हो गया। उसके मन में शंका हुई कि क्या यही गंगा नदी है जिसके जल को अमृत समान माना जाता है? एक पंडित जी से उन्होंने अपनी […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवन के लिए अनिवार्य तप , शरीर, मन को साधने का काम भी तप

विमलेश शर्मा कल दिन भर तन और मन खूब तपा और शाम को कहीं जाकर रहमतों के कुछ बादल बरसें। बारिशों का ज़िक्र जीवन के लिेए ज़रूरी है।जीवन के लिए जिस तरह साँसों का आवागमन और प्राणों के लिए जैसे आत्मा का साहचर्य, लगभग उतना ही ज़रूरी है तपन और बारिशों का साहचर्य भी। इधर […]

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