Categories
धर्म-अध्यात्म

मनुष्यों के दो भेद आर्य और दस्यु

दो पैर वाले शरीरधारी प्राणी को मनुष्य कहते हैं। ज्ञान व कर्म की दृष्टि से इसके मुख्य दो भेद हैं। ज्ञानी व सदाचार मनुष्य को आर्य तथा ज्ञान व अज्ञान से युक्त आचारहीन मनुष्य को दस्यु कहते हैं। महषि दयानन्द जी ने ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ में आर्य और दस्यु का भेद बताते हुए कहा है कि आर्य […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

धार्मिक आस्था के विरुद्ध नहीं है वंदेमातरम्

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है। अदालत ने कहा है कि राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है, इसलिए राष्ट्रगान गाना और झंडा फहराना सभी शिक्षण संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के लिए भी अनिवार्य है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीष […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

मनुष्य का जीवन व चरित्र उज्जवल होना चाहिये

मनुष्य का जीवन व चरित्र उज्जवल होना चाहिये परन्तु आज ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। जो जितना बड़ा होता है वह अधिक संदिग्ध चरित्र व जीवन वाला होता है। धर्म हो या राजनीति, व्यापार व अन्य कारोबार, शिक्षित व अशिक्षित सर्वत्र चरित्र में गड़बड़ होने का सन्देह बना रहता है। ऐसा होना नहीं […]

Categories
धर्म-अध्यात्म विशेष संपादकीय

क्या है योग और चित्त की वृत्तियों का निरोध

(एक दिन प्रात:काल में मुझसे श्रद्घेय ज्येष्ठ भ्राताश्री प्रो. विजेन्द्रसिंह आर्य-मुख्य संरक्षक ‘उगता भारत’-ने अपनी समीक्षक बुद्घि से सहज रूप में पूछ लिया कि-‘देव! महर्षि पतंजलि के ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’ पर तुम्हारे क्या विचार हैं? तब मैंने श्रद्घेय भ्राताश्री को अपनी ओर से जो प्रस्तुति दी, उसी से यह आलेख तैयार हो गया। हमारी उक्त चर्चा चलभाष […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन

पौराणिक मान्यतानुसार सृष्टि पालक भगवान विष्णु अब तक अधर्म के नाश के लिए नौ बार यथा मत्स्य, कुर्म (कच्छप), वाराह, नृसिंह (नरसिम्हा), वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध के रूप में धरती पर अवतरित हो चुके हैं और दसवीं बार भविष्य में कलियुग की समाप्ति पर कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे। इन सभी अवतारों […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

आर्यसमाज अन्य सभी से भिन्न विद्या प्रधान सर्वोत्तम धार्मिक व सामाजिक संस्था है

आर्यसमाज विद्या प्रधान एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है। यह ऐसी संस्था है जो कि किसी भी विषय की उपेक्षा नहीं करती और सत्य ज्ञान को ही महत्व देती है। इसकी यह भी विशेषता है कि यह सत्य व असत्य के निर्णयार्थ ज्ञान व विज्ञान सहित चिन्तन, मनन व विचार एवं ध्यान को महत्व देती […]

Categories
धर्म-अध्यात्म हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी सत्यपति जी को समाधि अवस्था में हुई कुछ अनुभूतियां

ऋषि भक्त स्वामी सत्यपति जी महाराज ऋषि दयानन्द जी की वैदिक विचारधारा और पातंजल योग दर्शन के सफल साधक हैं। आपने दर्शन योग महाविद्यालय और वानप्रस्थ साधक आश्रम की रोजड़, गुजरात में स्थापना की है और अपने अनेक शिष्यों को दर्शनों का आचार्य बनाया है। दर्शन के अध्ययन सहित आपने उन्हें योगाभ्यास भी कराया है। […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

योग का वास्तविक रूप- भाग 3

भाइयों बहनों! योगी महान होता है वह पाप पुण्य कर्मों से रहित होता है। कहा भी है – कर्माशुक्लाकृष्ण योगिनस्त्रिविधमितरेषाम्*॥योग दर्शन।कैवल्यपाद। 7॥ योगी का कर्म पाप पुण्य से रहित होता है, अन्य अयोगी व्यक्तियों का तीन प्रकार का होता है। अर्थात् पुण्य, पाप व निष्काम कर्म। अत: हम सभी को योग को अपनाना चाहिए। जैसा […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

मृत्यु क्या है? भाग-1

कुछ ऐसे तथ्य भी होते हैं जो हमारे तर्क से परे होते हैं और उन्हें खोजने की आवश्यकता होती है। वास्तव में मृत्यु के बारे में हम जैसा सोचते हैं वह उससे भिन्न पदार्थ है। जैसा हम जानते हैं कि इस संसार में हर किसी के लिए मृत्यु आवश्यक है हम फिर भी इस बात […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

महाशिवरात्रि का पर्व और भगवान शिव की महिमा

मृत्युंजय दीक्षित महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुदर्षी को मनाया जाने वाला एक महान पर्व है। इस पवित्र दिन लगभग पूरा भारत षिव भक्ति में तल्लीन हो जाता है और भगवान षिव के चरणों में अपने आप को अर्पित कर पुण्य अर्पित करना चाहता है। ज्योतिषष्शास्त्र के अनुसार प्रतिपदा आदि 16 […]

Exit mobile version