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कौन कर रहा है हिंदी का अपमान ?

हिंदी को पंडित नेहरू ने हिंदुस्तानी कहकर संबोधित किया था। उन्होंने राष्ट्रभाषा को उपहास की दृष्टि से देखा और उपहास के रूप में ही इसे स्थापित करने का प्रयास किया। हिंदुस्तानी से अभिप्राय नेहरू एण्ड कंपनी का एक ऐसी भाषा से था जिसमें सभी भाषाओं के शब्द सम्मिलित कर लिए जाऐं और एक खिचड़ी भाषा को सारा देश बोलने […]

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हिंदी भाषा के उत्थान में भारतेंदु हरिश्चंद्र के योगदान को कभी नहीं भूल सकते हैं

अंकित सिंह  अपने असाधारण कृतित्व के कारण भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने 35 साल की उम्र में हिंदी भाषा की अकल्पनीय सेवा की। भारतेंदु ने स्वाध्याय से संस्कृत, मराठी, बांग्ला, गुजराती, पंजाबी और उर्दू जैसी भाषाएं सीख ली थी। हिंदी साहित्य का आधुनिक काल प्रारंभ करने का श्रेय भी हरिश्चंद्र को ही जाता है। हिंदी पत्रकारिता […]

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हिंदी दिवस का औचित्य और हिंदी भाषा की महत्ता

हिंदी दिवस पर विशेष आलेख। जितनी विद्या भूगोल में फैली हैं ,वह सब आर्यवर्त देश से मिश्र वालों यूनानी उनसे रोम और उनसे यूरोप देश में तथा उनसे आगे अमेरिका आदि देशों में फैली है (महर्षि दयानंद सत्यार्थप्रकाश एकादश समुल्लास) अब इसमें विवाद नहीं है की विद्या का मूल स्थान भारतवर्ष में पाया जाता है […]

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राष्ट्र भाषा हिंदी की दुर्दशा के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार ?

  आज हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है, इस भाषा को बोलने वाले विश्व में सबसे अधिक लोग हैं। अंग्रेजी को ब्रिटेन के लगभग दो करोड़ लोग मातृ भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि हिंदी को भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, […]

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बोलते समय सावधानी आवश्यक क्योंकि जिह्वा पर सरस्वती का वास होता है

नंदकिशोर श्रीमाली हर बच्चे का अक्षर बोध यहीं से शुरू होता है। अक्षरों को रटकर हम शब्द रचना और फिर वाक्य निर्माण सीख कर ज्ञान की अगली सीढ़ियों पर पैर रखते हैं। विडंबना यह है कि हमने कभी अपने ज्ञान के बिल्डिंग ब्लॉक्स अक्षरों को बहुत नजदीक से जानने की कोशिश नहीं की है। इन्हें […]

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वैश्विक भाषा बन चुकी है हिंदी

संजय द्विवेदी बात अगर नई तकनीक और प्रौद्योगिकी की करें तो उसने हिंदी की ताकत और ऊर्जा का विस्तार ही किया है। हिंदी साहित्य को वैश्विक परिदृश्य पर स्थापित करने और एक वैश्विक हिंदी समाज को खड़ा करने का काम नयी प्रौद्योगिकी कर रही है। साहित्य और मीडिया की दुनिया में जिस तरह की बेचैनी […]

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एक हिंदी शिक्षक की पाती हिंदी भाषियों के नाम

मित्रवर षड्यंत्र करके हिन्दी के योग्य शिक्षक- शिक्षिकाओं को निकाल कर अयोग्य को भर्ती करके हिन्दी की जड़  को काटा जा रहा है। जी मित्रवर। आपने सही सुना है। देश के गद्दार विदेशों में भी हमें जीने नहीं दे रहे हैं। बार – बार लिखने पर भी भारत के तथाकथित सेक्युलर अधिकारी कान में रुई […]

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आओ कुछ जाने भाषा

विश्व की सभी भाषाओं में सर्वाधिक पुरानी भाषा होने के कारण संस्कृत है सब भाषाओं की जननी

  डॉ. जीतराम भट्ट कुछ लोगों का कहना है कि संस्कृत केवल पूजा-पाठ की ही भाषा है। किन्तु यह सत्य नहीं है। संस्कृत-साहित्य के केवल पॉच प्रतिशत में धर्म की चर्चा है। बाकी में तो दर्शन, न्याय, विज्ञान, व्याकरण, साहित्य आदि विषयों का प्रतिपादन हुआ है। संस्कृत पूर्ण रूप से समृद्ध भाषा है। ग्रीक और […]

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अपौरुषेय भाषा है – संस्कृत

अनिरुद्ध जोशी रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। दुनिया के कई देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत और वेद के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के […]

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मातृभाषा हिंदी और महाशक्ति भारत का द्वंद्व

वेदप्रताप वैदिक आम तौर पर लोगों को पता नहीं होता कि संयुक्त राष्ट्र 21 फरवरी को विश्व-मातृभाषा दिवस क्यों मनाता है। दुनिया के लगभग सभी राष्ट्रों में इस दिन मातृभाषाओं के सम्मान से जुड़े आयोजन होते हैं, लेकिन इसका श्रेय हमारे पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश को जाता है। बांग्लादेश 1971 के पहले तक पाकिस्तान का हिस्सा […]

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