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भाषा

अपना नाम, अपना काम, अपनी भाषा में ही मान

डॉ. वेदप्रताप वैदिक सौ साल पहले तक फिनलैंड के लोग स्वीड भाषा का इस्तेमाल करते थे। उन्होंने एक दिन तय किया कि वे अपनी भाषा चलाएंगे। बस, दूसरे दिन से ही काम शुरू हो गया। और आज फिनी भाषा के ज़रिए सारा कामकाज अच्छी तरह चल रहा है। असल बात है, तय कर लेना। 1966 […]

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दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन और हिंदी

संजय द्विवेदी अब जबकि भोपाल में 10 सितंबर से विश्व हिंदी सम्मेलन प्रारंभ हो रहा है, तो यह जरूरी है कि हम हिंदी की विकास बाधाओं पर बात जरूर करें। यह भी पहचानें कि हिंदी किसकी है और हिंदी की जरूरत किसे है? लंबे समय के बाद दिल्ली में एक ऐसी सरकार है जिसके मुखिया […]

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आओ, हिंदी की भी सोच लें भाई

-संजय द्विवेदी सितंबर का महीना आ रहा है। हिंदी की धूम मचेगी। सब अचानक हिंदी की सोचने लगेंगें। सरकारी विभागों में हिंदी पखवाड़े और हिंदी सप्ताह की चर्चा रहेगी। सब हिंदीमय और हिंदीपन से भरा हुआ। इतना हिंदी प्रेम देखकर आंखें भर आएंगी। वाह हिंदी और हम हिंदी वाले। लेकिन सितंबर बीतेगा और फिर वही […]

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हिन्दी की विकास यात्रा किस ओर

बीनू भटनागर कोई भी भाषा सदैव एक सी नहीं रहती बदलावों को ग्रहण करके ही आगे बढती है, इस यात्रा मे देश के इतिहास की भी अहम भूमिका होती है, वहाँ कहाँ कहाँ  से आकर लोग बसे, उनकी भाषा क्या थी, इन सब बातों का भाषा की विकास यात्रा पर बहुत असर पड़ता है।हिन्दी मे […]

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कंप्यूटर का भाषाई पिछड़ापन

प्रमोद भार्गव महाभारत में जलाशय के समीप खड़े यक्ष बने धर्म ने युधिष्ठिर से पूछा था कि दुनिया में सबसे तेज दौडऩे वाली चीज क्या है ? तब धर्मराज युधिष्ठिर ने उत्तर दिया,कि सबसे तेज गति में दौडऩे वाला होता है,हमारा ‘मन‘। यह हमें पलक झपकते ही यहां से वहां और वहां से और कहीं […]

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