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देश विदेश भारतीय संस्कृति

भारत के अपने पड़ोसी देशों से सांस्कृतिक संबंध आज भी बहुत कुछ याद दिलाते हैं

  डॉ. मनमोहन वैद्य समय और परिस्थिति ने भारत को विभाजित जरूर कर दिया, पर आज भी पड़ोसी देशों से उसके सांस्कृतिक संबंध हैं। इन संबंधों को बनाए रखने के लिए ही आज भी लोग अपने बच्चों और प्रतिष्ठानों के नाम अपने मूल स्थान पर रखते हैं। इस भावना को और धार देने की आवश्यकता […]

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आओ कुछ जाने भारतीय संस्कृति

भारत के विविधता पूर्ण समाज का धर्म आचरण ही बनाता है भारत को श्रेष्ठ

  डॉ. मनमोहन वैद्य 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद वामपंथी खेमे के कहे जाने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने मुझसे पूछा कि कांग्रेस की स्थिति ऐसी क्यों हुई? यह आकस्मिक प्रश्न था। मैंने प्रतिप्रश्न किया-कांग्रेस का पूरा नाम क्या है? वे इस प्रश्न के लिए तैयार नहीं थे। थोड़ा सोचकर उन्होंने कहा-भारतीय राष्ट्रीय […]

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भारतीय संस्कृति

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सेवा कार्य देखना है तो एक बार नागपुर अवश्य आएं

  तरुण विजय वेदना और संवेदना से एक संकल्प उपजा कि कैंसर पीड़ित रोगियों के लिए विश्व स्तर का श्रेष्ठ चिकित्सा संस्थान बनाना चाहिए, जहाँ रोगियों से न्यूनतम शुल्क लेकर श्रेष्ठतम चिकित्सा की सुविधा दी जा सके। बीस वर्ष से वे इस संकल्प को कार्यरूप में परिणत करने के लिए जुटे रहे। जो संघ को […]

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इतिहास के पन्नों से भारतीय संस्कृति

वैदिक सृष्टि संवत की वैज्ञानिकता और कालगणना

  नवसंवत्सरोत्सव चैत्र सुदि’प्रतिपदा सृष्टि संवत्- 1960853122 विक्रम संवत्- 2078 और शक्संवत- 1943 के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आज हम विचार करेंगे कि सृष्टि के निर्माण को कितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं ? इसके अलावा चारों युगों की काल गणना ,आयु सीमा अर्थात् कालावधि कितनी है ? कितना समय चारों […]

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स्वामी दयानंद और आर्य समाज का मनुस्मृति संबंधित दृष्टिकोण

मनु स्मृति सृष्टि के प्रथम राजा मनु द्वारा रचित प्रथम संविधान है । स्वामी दयानन्द आधुनिक भारत के प्रथम ऐसे विचारक है जिन्होंने यह सिद्ध किया कि वर्तमान में उपलब्ध मनुस्मृति मनु की मूल कृति नहीं है। उसमें बड़े पैमाने पर हुई है । यही मिलावट मनुस्मृति के सम्बन्ध में प्रचलित भ्रांतियों का मूल कारण […]

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हिंदू नव वर्ष का महत्व

       चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टी की निर्मिति हुई, इसलिए इस दिन हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है । इस दिन को संवत्सरारंभ, गुडीपडवा, युगादी, वसंत ऋतु प्रारंभ दिन आदी नामों से भी जाना जाता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने के नैसर्गिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण है I सनातन संस्थाद्वारा संकलित इस लेख […]

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वेदों में सामवेद

वेदों में सामवेद” वेद, विद्या के अक्षय भण्डार और ज्ञान के अगाध समुद्र हैं। वेद सत्य और तथ्य पर आधारित हैं तथा मानवता के आदर्शों का पूर्णरूपेण वर्णन है। वेद ईश्वरीय ज्ञान है। मानव मात्र के कल्याणार्थ सृष्टि के आरंभ में ईश्वर ने चार ऋषियों के हृदय में वेद ज्ञान प्रदान किया था। वेद अपौरुषेय […]

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रामायण कालीन वैदिक संस्कृति

  सन्ध्या और अग्निहोत्र: बाल्मीकि रामायण से विदित होता है कि उस काल में आर्यों की उपासना सन्ध्या के रुप में होती थी।जप, प्राणायाम तथा, अग्निहोत्र के भी विपुल उल्लेख मिलते हैं। पौराणिक मूर्तिपूजा, व्रत, तीर्थ, नामस्मरण या कीर्तन रुप में धार्मिक कृत्य का वर्णन मूलतः नहीं है। क्षणिक उल्लेख जो इस सम्बन्ध में मिलते […]

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जीव शुभाशुभ कर्म करने में स्वतंत्र और उनका फल भोगने में ईश्वर के अधीन है

ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून यदि वेद न होते तो संसार के मनुष्यों को यह कदापि ज्ञान न होता कि मनुष्य कौन है व क्या है? यह संसार क्यों, कब व किससे बना, मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है और उस उद्देश्य की प्राप्ति के साधन क्या-क्या हैं? वेद एक प्रकार से कर्तव्य शास्त्र के […]

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धर्मसंस्थापक योगेश्वर श्रीकृष्ण जी

धर्म संस्थापक योगेश्वर श्री कृष्ण सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने वाला कोई ना था। कंस, जरासन्ध, शिशुपाल, दुर्योधन आदि जैसे दुराचारी व विलासियों का वर्चस्व बढ़ रहा था। राज्य के दैवीय सिद्धान्त से भीष्म जैसे योद्धा तक बंधे हुए थे। ऐसी घोर अन्धकार युग में श्री कृष्ण का अविर्भाव हुआ। अपने अद्भुत चातुर्य […]

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