#डॉविवेकआर्य हिन्दू समाज में शिवजी भगवान को कैलाशपति, नीलकंठ आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। नीचे एक चित्र दिया गया है। जिसमें पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी भांग का सेवन करते हुए दिखाए गए है। वेदों में शिव ईश्वर का एक नाम है जिसका अर्थ कल्याणकारी है एवं एक नाम रूद्र है जिसका […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
RSS की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद … पढ़ो और सोचो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारत माता के प्रति भावना क्या है🚩 1)नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम्।🚩 हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है।🚩 2)महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो […]
सन्ध्या और अग्निहोत्र: बाल्मीकि रामायण से विदित होता है कि उस काल में आर्यों की उपासना सन्ध्या के रुप में होती थी।जप, प्राणायाम तथा, अग्निहोत्र के भी विपुल उल्लेख मिलते हैं। पौराणिक मूर्तिपूजा, व्रत, तीर्थ, नामस्मरण या कीर्तन रुप में धार्मिक कृत्य का वर्णन मूलतः नहीं है। क्षणिक उल्लेख जो इस सम्बन्ध में मिलते […]
ललित गर्ग वर्षा ऋतु के चार महीने व्रत, भक्ति एवं धर्माराधना के लिये निर्धारित है, जिसे ‘चातुर्मास’ कहा जाता है। भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है। हमारे यहां मुख्य रूप से तीन ऋतुएँ होती हैं- ग्रीष्म, वर्षा और शरद। वर्ष के बारह महीनों को इनमें बॉंट दें, तो प्रत्येक ऋतु […]
“वेद आदि शास्त्रों में बताया है, कि माता-पिता और गुरु, ये तीन उत्तम शिक्षक महान् उपकारी होते हैं। इनको धोखा देना तो महापाप है।” वैसे तो किसी को भी धोखा देना अपराध ही है, लेकिन जो जितना महान व्यक्ति होता है, जितना अधिक दूसरों का उपकार करता है, उसको धोखा देने का पाप उतना ही […]
आज 21 जून है। आज के दिन उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी की गति के कारण सूर्य का प्रकाश अधिकतम समय के लिए पृथ्वी पर पड़ेगा ।इसलिए यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होगा। भारतवर्ष के लिए यह सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस के रूप में हमारे […]
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष * संजय पंकज मनुष्य,प्रकृति,सृष्टि और परमात्मा के बीच एक निरंतरता का जो अटूट संबंध है उस संबंध को संवेदनशीलता के साथ जानने समझने और अनुभूत करने के लिए योग सबसे बड़ा माध्यम है। योग केवल कर्म का कौशल ही नहीं धर्म का यथार्थ बोध और मर्म का साक्षात्कार […]
लेखक :-आचार्य भगवान देव गुरुकुल झज्जर अंग्रेजों के भारत आने से पूर्व योरूप के किसी भी देश में इतना शिक्षा का प्रचार नहीं था जितना कि भारत वर्ष में था। भारत विद्या का भण्डार था। सार्वजनिक शिक्षा की दृष्टि से भारत सब देशों का शिरोमणि था। उस समय असंख्य ब्राह्मण प्राचार्य अपने – अपने […]
योग संसार के लिए भारत की अप्रतिम देन है। महर्षि पतंजलि ने योग की परिभाषा करते हुए कहा कि – ”योगश्चित्त वृत्ति निरोध:” चित्त की वृत्तियों का रोकना ही योग है। चित्त को यदि एक सरोवर मानें तो सरोवर में उठी हुई लहरों को चित्त की वृत्तियां मानना पड़ेगा । इस चित्त के सरोवर का एक किनारा […]
ओ३म् =========== आर्यसमाज एक वैश्विक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है। धर्म का तात्पर्य सत्याचरण एवं आत्मा की उन्नति से लिया जाता है। आत्मा की उन्नति ज्ञान व सत्य सिद्धान्तों का अध्ययन कर उनका आचरण करने से होती है। सत्य ज्ञान के मुख्य स्रोत ईश्वर प्रदत्त वेदज्ञान की संहितायें व उन पर वैदिक ऋषियों की टीकायें, […]