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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् -आज ऋषि दयानन्द के 140 वें बलिदान दिवस पर- “भारत भाग्य विधाता ऋषि दयानन्द”

========== ऋषि दयानन्द जी का बलिदान 140 वर्ष पूर्व हुआ था। इस अवधि में उनके अनुयायियों एवं आर्यसमाज ने जो कार्य किये हैं उसमें अनेक सफलतायें हैं। ऋषि दयानन्द को हम इसलिये भी स्मरण करते हैं कि उन्होंने हमें असत्य का परिचय कराकर सत्य ज्ञान, सत्य सिद्धान्त व मान्यताओं सहित जीवन को श्रेष्ठ व सफल […]

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घरेलू वायु प्रदूषण, यज्ञ और महर्षि दयानन्द*

* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार घरेलू वायु प्रदूषण के कारण अकेले 2020 में ही 32 लाख से अधिक मौतें हुई है जिनमे कम आयु के 2 लाख 37 हजार बच्चे भी शामिल थे। मौतों का कारण ब्रेन स्ट्रोक, हृदयाघात, दमा ,निमोनिया, कैंसर जैसी बीमारियां रही । विश्व स्वास्थ्य संगठन […]

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नवरात्रि पर्व का वैज्ञानिक आधार*

* डॉ डी के गर्ग भाग -2 ये लेख सीरीज 3 भाग में है। कृपया अपने विचार बताये। नवरात्रि पर्व पर नौ दिन के व्रत के पीछे का वैज्ञानिक कारण: हमारे शरीर में स्थित नौ द्वार है- आँख, नाक, कान, द्वार, मुँह, गुदा एवं मूत्राशय ये नौ द्वार हमको स्वास्थ्य रखने में मदद करते है […]

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सत्य को ग्रहण और असत्य को छोड़ना चाहिए

ओ३म् विश्वानि देव सवितर दुरितानि परासुव यद् भद्रम् तन्न आसुव ( हे सकल जगत के उत्पत्तिकर्त्ता , समग्र ऐश्वर्ययुक्त , शुद्धस्वरूप , सब सुखों के दाता , परमेश्वर ! आप कृपा करके हमारे सम्पूर्ण दुर्गुण , दुर्व्यसन और दुखों को दूर कर दीजिए , जो कल्याणकारक गुण कर्म स्वभाव और पदार्थ है वह सब हमको […]

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धर्म किसे कहते है ? जानो

ओ३म् — मारा हुआ धर्म कहीं तुम्हें न मार दें ! जिस प्रकार प्राणों के बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता, उसी प्रकार धर्म (नैतिक आचरण) के बिना मनुष्य का भी कोई महत्त्व नहीं। धर्म आचरण की वस्तु है।धर्म केवल प्रवचन और वाद-विवाद का विषय नहीं।केवल तर्क-वितर्क में उलझे रहना धार्मिक होने का लक्षण नहीं […]

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संबंध सूत्र शतकम* 5

* Dr D K Garg भाग 5 निवेदन; रिश्तों में यदि विश्वास हो तो मौन भी समझ आ जाता है । यदि विश्वास ना हो तो शब्द भी विषबाण जैसे लगते हैं। परिवारों में टूट रही एकता के अनेकों कारण है जिनको ध्यान में रखकर 101 सूत्र लिखे है ।कृप्या अपने विचार बताएं ।और शेयर […]

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बुद्धिमान लोगों का ही अनुकरण करें: स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी महाराज

आजकल सभी लोगों में यह होड़ (Competition) लगी है कि “मुझे ऊंचा पद चाहिए, ऊंची नौकरी चाहिए, बहुत अधिक धन चाहिए, बड़ा व्यापार चाहिए, बड़ी प्रसिद्धि चाहिए, बड़ा बंगला चाहिए, बड़ी कार चाहिए, सब महंगे महंगे आभूषण आदि साधन चाहिएं इत्यादि।” “यदि मेरे पास यह सब हो, तो मैं सफल व्यक्ति मान जाऊंगा।” अर्थात लोगों […]

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महर्षि पतंजलिकृत योगदर्शन के प्रथम अध्याय समाधि पाद के सूत्र 28वें के आधार पर शंका एवं उनका समाधान

क्रमश: । दसवीं किस्त। महर्षि पतंजलि ने 27 वे सूत्र में परिणाम शब्द की व्याख्या करके ईश्वर का वाचक प्रणय बताया। प्रणव के वाच्य वाचक संबंध को बताने का प्रयास किया ,समझाने का प्रयास किया। इसी को ईश्वर प्राणिधान कहा। तब शिष्य ने निम्न प्रकार शँका उठाई। शंका संख्या 91—– उस ईश्वर का जप और […]

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अष्ट भुजी दुर्गा*

* डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यता: दुर्गा मां शक्ति की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और पार्वती, जगदम्बा और आदि नामों से भी जाना जाता हैं। वह शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में किया […]

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त्रैतवाद : ईश्वर, जीव, प्रकृति का अनादित्व मान लें तो क्या होगा❓

द्वा सुपर्णा सुयजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्व जाते ! तयोरन्य: पिप्पलं स् वाद्वत्तनश्नन्नन्यो sभिचाकशीति !! समानेवृक्षे पुरुषो निमग्नोsनीशया शोचति मुह्यमान: ! जुष्टं यदा पश्यत्यन्यमीशमश्य महिमानमीति वीतशोक:!! यदा पश्य: पश्यते रुक्मवर्णं कर्तारमीशं पुरुषं ब्रह्मयोनिम्! तदा विद्वान् पुण्यपापे विधूय निरंजन: परमं साम्यमुपैति !! — मुण्डकोपनिषद – तृतीय मुण्डक प्रथम खण्ड १/३ भावार्थ : – इस जगत् रूपी […]

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