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आज का चिंतन

संबंध सूत्र शतकम* 5

*

Dr D K Garg

भाग 5

निवेदन; रिश्तों में यदि विश्वास हो तो मौन भी समझ आ जाता है । यदि विश्वास ना हो तो शब्द भी विषबाण जैसे लगते हैं।
परिवारों में टूट रही एकता के अनेकों कारण है जिनको ध्यान में रखकर 101 सूत्र लिखे है ।कृप्या अपने विचार बताएं ।और शेयर करे।

81 जो पति पत्नी एक दूसरे की अनावश्यक गलतियां निकालते है,एक दूसरे पर अनावश्यक क्रोध करते है ,ऐसा गृहस्थ जीवन कभी सुखमय नहीं होता ।
82 जो पति पत्नी को हमेशा एक दूसरे उत्साह वर्धन करते है,समाज में सार्वजनिक रूप से आपसी बातचीत में ठहाके लगाते है ऐसे दंपत्ति हमेशा स्वस्थ और दीर्घ आयु वाले होते है और इनका परिवार सुखमय होता है ।
83.जो माता पिता अनावश्यक बच्चो को डांटे,पिटाई करे , टोका टाकी करे उनके बच्चे हुई बड़े होकर अपने बच्चो के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं।
84 जो मित्र या परिवार का सदस्य पद प्रतिष्ठा,योग्यता आदि में बड़ा हो उसको आयु में छोटा होने पर भी पूर्ण सम्मान देना चाहिए।
85 भाभी और देवर के संबंध अति उच्च श्रेणी के होने चाहिए जैसे लक्ष्मण और सीता जी। उनके आपसी हंसी मजाक सीमित दायरे में होने चाहिए और पारिवारिक सहयोग असीमित होना चाहिए।
86.भाभी देवर को परिवार का अभिन्न अंग मानकर उसके मार्गदर्शन और उन्नति में योगदान दे और भाईयो में प्रीति ,एकता में अपना निष्काम योगदान दे।
87बच्चो को परिवार के बड़े,बुजुर्गो के आपसी विवाद में कभी रुचि नहीं लेनी चाहिए और बल्कि इसके उलट बच्चो को आपसी एकता का बनाए रखना चाहिए अन्यथा बाहरी लोग ऐसे परिवार की उन्नति नहीं होने देंगे।
88 जिस परिवार के सभी सदस्य पूजापाठ में सक्रिय और स्वेच्छा से भाग नही लेते ,जहा विद्वानों का सत्संग नही होता उस परिवार का आध्यात्मिक पतन निश्चित है।
89पूत्र और पुत्री के विवाह के बाद इनके माता पिता आपस में वार्ता करते रहे और बच्चो में एक जुट होने का सन्देश देते रहे।
90 पुत्री के विवाह के बाद इनके माता पिता को पुत्री के पारिवारिक मामलों में बिलकुल भी रूचि नहीं लेनी चाहिए ,हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए अन्यथा परिवार का विघटन हो जायेगा ।
91 पुत्र या पुत्री के विवाह से पूर्व प्रारंभिक बातचीत में ही इनके गुण दोष पूरी तरह से एक दुसरे पक्ष को बता देने चाहिए ,धोखे से अथवा जरूरी तथ्य छिपाकर किये गए विवाह ज्यादा नहीं चलते,आजीवन दुःख देते है और ईश्वर भी ऐसे दोष क्षमा नहीं करता।
92 बहिने आपस में एक दुसरे के साथ इस तरह से घुल मिलकर रहे जैसे दूध में मिश्री ,और विवाह पश्चात् भी एक दुसरे के लिए आलम्बन बनी रहे।
93 छोटे भाई को चाहिए की बड़े भाई को सम्मान दे ,कभी बहस ना करे , ऊची आवाज में ना बोले ,बड़े भाई के गलत होने पर भी क्रोध ना करे।
94 यदि बड़ा भाई छोटे भाई का उपहास करता है और उसको भटकने का प्रयास करता है , पैसा हड़पने का प्रयास में रहता है ,इस स्थिति में बड़ा भाई अपना सम्मान खो देता है और पाप का भागी है। ईश्वर उसे दंड देता है।
95 यदि कोई रिश्तेदार ,मित्र बेसहारा हो जाये तो उसकी निष्काम मदद उसी प्रकार से करें जैसे आप अपनी संतान की करते है
96 किसी की मदद करने के बाद उसको बार बार न दोहराये , किसी अन्य के सामने उसे लज्जित ना करे ,जो मदद की है उसे भूल जाये। दी भी ना माने तो ऐसे व्यक्ति का त्याग कर दे।
97 यदि आपके परिवार में आपसी द्वेष पनप रहा है तो इस पर विचार करें ,द्वेष समाप्ति के लिए किसी भी त्याग के लिए तैयार रहे क्योकि परिवार की एकता और अखंडता बहुमूल्य होती है
98 बड़े बुजुर्गो को उनके दोनों पैर एक साथ छूकर अभिवादन करना चाहिए ,ये ध्यान रखें -अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम् ॥
जो हमेशा वृद्धों को सम्मान करता है, उनकी सेवा करता है: वे इन चार क्षेत्रों में सफल होते हैं – दीर्घायु, ज्ञान, प्रसिद्धि और जोश।
99 परिवार के संपत्ति के बटवारे में कभी भी माता पिता को बोझ ना समझे,जिसके पास माता ,पिता रहते है वह अप्रत्याशित रूप से प्रगति करता है , उस घर में देवता निवास करते है।
100 जो पुत्र माता पिता से धन और संपत्ति के बटवारे को लेकर झगड़ा करता है वह नरक का भागी होता है और कभी भी जीवन में आनंद नहीं पा सकता है।
101 जो पुत्र माता पिता से छिपकर धन का संग्रह करता है , अकेला धन का भोग करता है , अकेला छिपकर स्वादिष्ट भोजन करता है , माता पिता के पास बैठकर उनके साथ कोई चर्चा नहीं करता ऐसा पूत्र दृष्ट प्रकृति का होता है और त्याज्य है।
102 भाईयो के चाहिए की आपसी मतभेद गलती से भी सार्वजनिक ना करे अन्यथा इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
103 बड़े भाई को छोटे भाई की गलतियां क्षमा करने के साथ साथ उसका मार्गदर्शन भी करे ,और ऐसा सतत प्रयास करते रहना उसका धर्म है।
104 जो पुत्र क्रोध के कारण माता पिता से अलग होकर घर के आसपास रहता हो ,घर वापसी की कोई संभावना ना हो ,ऐसे पुत्र को उतना महत्व दे जितना पडोसी को देते है। और कुछ समय के बाद उसकी घर वापसी के प्रयास भी त्याग देने चाहिए।

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