ओ३म् विश्वानि देव सवितर दुरितानि परासुव यद् भद्रम् तन्न आसुव ( हे सकल जगत के उत्पत्तिकर्त्ता , समग्र ऐश्वर्ययुक्त , शुद्धस्वरूप , सब सुखों के दाता , परमेश्वर ! आप कृपा करके हमारे सम्पूर्ण दुर्गुण , दुर्व्यसन और दुखों को दूर कर दीजिए , जो कल्याणकारक गुण कर्म स्वभाव और पदार्थ है वह सब हमको […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म् — मारा हुआ धर्म कहीं तुम्हें न मार दें ! जिस प्रकार प्राणों के बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता, उसी प्रकार धर्म (नैतिक आचरण) के बिना मनुष्य का भी कोई महत्त्व नहीं। धर्म आचरण की वस्तु है।धर्म केवल प्रवचन और वाद-विवाद का विषय नहीं।केवल तर्क-वितर्क में उलझे रहना धार्मिक होने का लक्षण नहीं […]
* Dr D K Garg भाग 5 निवेदन; रिश्तों में यदि विश्वास हो तो मौन भी समझ आ जाता है । यदि विश्वास ना हो तो शब्द भी विषबाण जैसे लगते हैं। परिवारों में टूट रही एकता के अनेकों कारण है जिनको ध्यान में रखकर 101 सूत्र लिखे है ।कृप्या अपने विचार बताएं ।और शेयर […]
आजकल सभी लोगों में यह होड़ (Competition) लगी है कि “मुझे ऊंचा पद चाहिए, ऊंची नौकरी चाहिए, बहुत अधिक धन चाहिए, बड़ा व्यापार चाहिए, बड़ी प्रसिद्धि चाहिए, बड़ा बंगला चाहिए, बड़ी कार चाहिए, सब महंगे महंगे आभूषण आदि साधन चाहिएं इत्यादि।” “यदि मेरे पास यह सब हो, तो मैं सफल व्यक्ति मान जाऊंगा।” अर्थात लोगों […]
क्रमश: । दसवीं किस्त। महर्षि पतंजलि ने 27 वे सूत्र में परिणाम शब्द की व्याख्या करके ईश्वर का वाचक प्रणय बताया। प्रणव के वाच्य वाचक संबंध को बताने का प्रयास किया ,समझाने का प्रयास किया। इसी को ईश्वर प्राणिधान कहा। तब शिष्य ने निम्न प्रकार शँका उठाई। शंका संख्या 91—– उस ईश्वर का जप और […]
* डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यता: दुर्गा मां शक्ति की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और पार्वती, जगदम्बा और आदि नामों से भी जाना जाता हैं। वह शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में किया […]
द्वा सुपर्णा सुयजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्व जाते ! तयोरन्य: पिप्पलं स् वाद्वत्तनश्नन्नन्यो sभिचाकशीति !! समानेवृक्षे पुरुषो निमग्नोsनीशया शोचति मुह्यमान: ! जुष्टं यदा पश्यत्यन्यमीशमश्य महिमानमीति वीतशोक:!! यदा पश्य: पश्यते रुक्मवर्णं कर्तारमीशं पुरुषं ब्रह्मयोनिम्! तदा विद्वान् पुण्यपापे विधूय निरंजन: परमं साम्यमुपैति !! — मुण्डकोपनिषद – तृतीय मुण्डक प्रथम खण्ड १/३ भावार्थ : – इस जगत् रूपी […]
DR. D. K. Garg पौराणिक कथा – भगवान शिव की पत्नी सती जब पिता के किसी यज्ञ आयोजन में पहुँचती है तो वहाँ शिव का अपमान होता है। वो इसे सहन नहीं कर पाई और यज्ञ कुंड में कूद पड़ती है। ऐसे में उनका शरीर क्षत-विक्षत हो जाता है। सती की मृत्यु से भगवान शिव […]
लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ इस समय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के लिहाज से बेहद खराब स्थिति है| एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के आंकड़े को छू रहा है| सरकार संस्थाओं, विशेषज्ञों को सूझ नहीं रहा है ऐसी स्थिति में क्या किया जाए..? समाधान सभी के सामने है परमात्मा ने वेदों में प्रदूषण के […]
* डॉ डी के गर्ग भाग 3 निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे। कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है। जो पुत्र पिता के डांट फटकार ,या कुछ भी बोलने […]