आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी हैं राम हमारे यू पी में हैं श्याम हमारे यू पी मे दशरथ मख भूमि है यू पी में शांता सृंगीनारी यू पी में। सृंगी ऋषि आश्रम यू पी में भरत नंदी ग्राम है यू पी में। विंध्याचल देवी यू पी में पाटन देवी भी यू पी में। शिव की […]
श्रेणी: आज का चिंतन
पवन वर्मा – विभूति फीचर्स भारतीय साहित्य में तुलसी के राम लोकनायकों की उस गौरवमयी परम्परा के अद्भुत और अलौकिक रूप है जिनकी प्रेरणा में आबद्घ भारतीय जनमानस उनकी भक्ति में रसलीन हो जाता है। गोस्वामी तुलसीदास की सर्वश्रेष्ठ रचना ‘रामचरित मानस’ है इसमें भारतीय जीवनधारा का सर्वांगीण चित्रण है। इसमें बाल्यावस्था में ही राम […]
#डॉविवेकआर्य आजकल सभी अखबारों में ,रेलवे स्टेशनों पर रेल गाड़ियों ने बसों में तथा लगभग सभी सार्वजानिक दीवारों पर आपको औलियाओं ,मोलवियों ,बंगाली मियां जादूगर बाबाओ और तांत्रिको के विज्ञापन , स्टिकर व् पोस्टर लगे मिल जाएंगे जिनमे तरह–तरह के झूठे आश्वासनों और घटिया हथकंडो का सहारा लेकर भोले-भाले और मूर्ख ( विशेषकर महिलाओं ) […]
प्रायः सभी लोग ऐसा मानते हैं, कि *”मैं ही सबसे अधिक बुद्धिमान हूं। इसलिए दूसरे लोगों को मेरी बुद्धि के अनुसार व्यवहार करना चाहिए।”* परंतु ऐसा होता नहीं। क्यों? यह तब हो सकता था, जब दूसरे लोग आपको अपने से अधिक बुद्धिमान मान लेते। परन्तु वे लोग आपको अपने से अधिक बुद्धिमान मानते नहीं। क्यों […]
* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ गुरुकुल महाविद्यालय सिकंदराबाद की स्थापना सन् 1898 आर्ष जगत व दर्शनों के उद्भट्ट मूर्धन्य विद्वान स्वामी दर्शनानंद ने की थी। जिनका पूर्व नाम पंडित कृपाराम था।उनके दार्शनिक ज्ञान का डंका जालंधर से लेकर काशी तक बजता था |इस गुरुकुल में अध्ययन प्राप्त अनेक आचार्य, स्नातकों विद्वानों शास्त्रियों पुरोहितों ने […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार, राजभाषा guni.pra@gmail.com 9425002270 सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद। चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद।। श्रीराम जन्मभूमि के भव्य निर्माण व उसके लोकार्पण को केवल मंदिर निर्माण व लोकार्पण का अवसर मात्र कहना, भारत को कतई व्यक्त नहीं कर पाएगा। इस जन्मभूमि निर्माण और उसकी भूमिका के […]
आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री (वेद प्रवक्ता) परमेश्वर ही कर्मों का फल देता है। चूंकि परमेश्वर न्यायकारी है इसीलिए सभी जीवों को सभी कर्मों का फल यथायोग्य अवश्य देता है। कर्म का फल कम या अधिक मिले, ऐसा नहीं होता है। कर्मों का फल न मिले, ऐसा नहीं होता है। किसी भी अनुष्ठान से किये कर्मों के […]
========== संसार में सबसे महान धर्म एवं संस्कृति कौन सी है? इसका हमें एक ही उत्तर मिलता है कि 1.96 अरब वर्ष पूर्व लोक-लोकान्तरों की रचना होने के बाद सृष्टि का आरम्भ हुआ था। तभी परमात्मा ने चार वेदों का आविर्भाव किया था। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद ही वैदिक धर्म एवं […]
हमें आज दिनांक 14-1-2024 को आर्यसमाज-धामावाला, देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। हमारे सत्संग में पहुंचने पर आर्यसमाज के पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी आज से पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय जी रचित ऋषि दयानन्द जी के जीवन-चरित का पाठ आरम्भ कर रहे थे। जीवनचरित का यह पाठ प्रत्येक सत्संग से पूर्व […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में सबसे महान धर्म एवं संस्कृति कौन सी है? इसका हमें एक ही उत्तर मिलता है कि 1.96 अरब वर्ष पूर्व लोक-लोकान्तरों की रचना होने के बाद सृष्टि का आरम्भ हुआ था। तभी परमात्मा ने चार वेदों का आविर्भाव किया था। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद ही […]