Categories
आज का चिंतन

ओ३म् “वैदिक धर्म में ही ऋषियों व योगियों सहित राम एवं कृष्ण जैसे महान् पुरुषों को उत्पन्न करने की क्षमता है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में सबसे महान धर्म एवं संस्कृति कौन सी है? इसका हमें एक ही उत्तर मिलता है कि 1.96 अरब वर्ष पूर्व लोक-लोकान्तरों की रचना होने के बाद सृष्टि का आरम्भ हुआ था। तभी परमात्मा ने चार वेदों का आविर्भाव किया था। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद ही […]

Categories
आज का चिंतन

ग्रामीण क्षेत्रों की लचर शिक्षा व्यवस्था

मुरली कुमारी बीकानेर, राजस्थान पिछले कुछ वर्षों में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तरह कई स्तरों पर विकास हुआ है. विशेषकर सड़क और रोज़गार के मामलों में देश के गांव पहले की तुलना में तेज़ी से विकास की ओर अग्रसर हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांव-गांव तक सड़कों का जाल […]

Categories
आज का चिंतन

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के भव्य मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बारात के फूफा जी जैसे मुंह फुलाकर बैठे धर्माचार्यों से आग्रह।

खुला पत्र====== पूज्य चरण धर्माचार्य महानुभाव गण।। आज जब कि संपूर्ण विश्व के हिंदुओं में एक गौरवशाली उल्लास व्याप्त है चतुर्दिक हर्ष का वातावरण है।500 वर्षोपरांत सनातनी हिंदुओं को वैश्विक स्तर पर विजयानुभूति हो रही है।टोपी लगाकर इफ्तार पार्टियों में बिना बुलाए पहुंच कर धन्य होने की परिपाटी लुप्तप्राय हो चली है।इस देश के शाशक […]

Categories
आज का चिंतन

आप भी कर सकते हैं अपने घर में यज्ञ

पं. लीलापत शर्मा-विभूति फीचर्स गायत्री और यज्ञ एक-दूसरे के पूरक है, उन्हें अन्योन्याश्रित कहा गया है। सर्वविदित है कि गायत्री अनुष्ठानों की पूर्णता के लिए सतयुग में दशांश होम का विधान था और अब बदली हुई परिस्थितियों में शतांश का विधान है। आर्थिक, शारीरिक एवं परिस्थितिजन्य कठिनाइयों की स्थिति में भी ऋषि परंपरा यह है […]

Categories
आज का चिंतन

ओ३म् “यदि ऋषि दयानन्द न आते तो क्या हो सकता था?”

========= ऋषि दयानन्द का जन्म 12 फरवरी, 1825 को गुजरात राज्य के मोरवी जिले के टंकारा कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कर्षनजी तिवारी था। जब उनकी आयु का चैदहवां वर्ष चल रहा था तो उन्होंने अपने शिवभक्त पिता के कहने पर शिवरात्रि का व्रत रखा था। शिवरात्रि को अपने कस्बे के […]

Categories
आज का चिंतन

ओ३म् “विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के सत्य अर्थों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास तथा पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में […]

Categories
आज का चिंतन

क्या आप हवन (अग्निहोत्र) करते हैं और उसमें हवनसामग्री इस्तेमाल करते हैं?

यदि इसका जवाब हां है तो आपको एक बात बहुत ध्यान से देखने की आवश्यकता है कि क्या आप के द्वारा इस्तेमाल होने वाली हवन सामग्री में सुगंधित पदार्थ डालकर ही तो उसे नहीं बनाया जा रहा है? क्योंकि हम में से अधिकतर लोगों को केवल हवन सामग्री का मतलब उसकी सुगंध से ही होता […]

Categories
आज का चिंतन

मानव शरीर में ही आध्यात्मिक उन्नति संभव है

आत्‍माराम यादव पीव महाकवि कालिदासकृत के द्वारा रचित ’’कुमारसंभव’’ के पॉचवे सर्ग में भगवान शंकर की प्राप्ति के लिये पार्वती जी हिमालय पर तप कर रही है, तब शंकर जी उनके निश्चय की परीक्षा करने के लिये एक ब्रम्हचारी के वेश में आकर कुशल क्षेम पूछने के बाद कहते है-’’अपि क्रियार्थ सुलभं समित्कुशं जलान्यपि स्नानविधिक्षमाणि […]

Categories
आज का चिंतन

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों का रहस्य

यह वह समय था जबकि देवता लोग धरती पर रहते थे। धरती पर वे हिमालय के उत्तर में रहते थे। काम था धरती का निर्माण करना। धरती को रहने लायक बनाना और धरती पर मानव सहित अन्य आबादी का विस्तार करना। देवताओं के साथ उनके ही भाई बंधु दैत्य भी रहते थे। तब यह धरती […]

Categories
आज का चिंतन

वेदों में भगवान की भक्ति

यहाँ पर प्रश्न उत्पन्न होता है कि हम परमात्मा की भक्ति क्यों करें? ईश्वरभक्ति की हमें क्या आवश्यकता है? हम जड पदार्थों अथवा अल्प मनुष्यों की भक्ति क्यों न करें? ईश्वर की भक्ति से हमें क्या लाभ हो सकता है? यह प्रश्न वास्तव में बड़ा गम्भीर तथा विचारणीय है। शास्त्र कहते हैं, कि जो जिसकी […]

Exit mobile version