भारत अपना 68वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। अब से ठीक 68 वर्ष पूर्व भारत ने अपने गणतान्त्रिक स्वरूप की घोषणा की थी। 26 जनवरी 1950 से देश ने अपने राजपथ के गणतंत्रीय स्वरूप को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान किया। अब 68 वर्ष पश्चात देश के कई लोगों को चिन्ता होने लगी है कि भारत का […]
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू की भालू पार्टी से मुक्ति पाकर पुन: मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। यह त्यागपत्र प्रत्याशित था। जिस समय बिहार में महागठबंधन किया गया था, उसी समय अधिकांश राजनीतिक समीक्षकों की दृष्टि में यह निश्चित था कि यह ‘गठबंधन’ कुछ समय पश्चात ‘लठबंधन’ […]
राजस्थान के राजभवन की घटना इसके पश्चात दूसरी बार लोकतंत्र की हत्या का यह ढंग राजस्थान के राजभवन में सन् 1967 में दोहराया गया। उस समय राजस्थान के राज्यपाल डा. संपूर्णानंद थे। उनके समय में राजस्थान में यह स्थिति आयी कि चुनावों में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से कुछ पीछे रह गयी। तब ऐसी परिस्थितियों में […]
केन्द्र में राष्ट्रपति और प्रांतों में राज्यपाल के पद का सृजन हमारे संविधान निर्माताओं ने इस भावना से किया था कि ये दोनों पद राजनीति की कीचड़ से ऊपर रहेंगे। राजनीति राजभवन से बाहर रहेगी। राजभवन से राजनीति कभी नहीं की जाएगी। राजभवन एक न्याय मंदिर होगा। जिसकी ओर सभी की दृष्टि न्याय पाने की […]
बांग्लादेश से हो रही मुस्लिमों की घुसपैठ पर जब पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने यहां जाकर उनके कान ऐंठ दिये हैं, इसलिए तब से चुप है। साम्यवादियों को अंधे की भांति दो नैनों के रूप में मुस्लिम मतों की भूख रही है। इनके समक्ष उनके लिए राष्ट्रहित गौण है। यही स्थिति कांग्रेस की […]
मार्च का महीना चला गया है और अप्रैल आ गया है। कहने का अभिप्राय है कि स्कूलों की मनमानी का समय आ गया है। अब नये बच्चों के प्रवेश पर और पुराने बच्चों को अगली कक्षा में भेजने के नाम पर हर स्कूल वाला अपनी मनमानी करेगा और अभिभावकों की जेब पर खुल्लम-खुल्ला डकैती डालेगा। […]
लोकतंत्र तेरी जय हो
विशेष सम्पादकीय : महाभारत में आया है कि ऐसा राजा जो प्रजा की रक्षा करने में असमर्थ है और केवल जनता के धन को लूटना ही जिसका लक्ष्य होता है और जिसके पास कोई नेतृत्व करने वाला मंत्री नहीं होता वह राजा नहीं कलियुग है। समस्त प्रजा को चाहिए कि ऐसे निर्दयी राजा को बांध कर […]
कांग्रेस में गांधीजी का आविर्भाव 1914 ई. से हुआ। 1922 ई. में गांधीजी ने पहली बार कहा कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे। कांग्रेस के इतिहास लेखकों ने गांधीजी के इस कथन को संविधान निर्माण की दिशा में उनकी और कांग्रेस की पहली अभिव्यक्ति के रूप में निरूपति किया है। जिसका अभिप्राय है […]
मनुष्य के लिए सबसे उत्तम संविधान क्या है? यह प्रश्न इस जगत के सृष्टा के हिरण्यगर्भ रूपी मानस में उस समय भी था जब कोई नही था और कोई था तो वह-“भूतस्य जात: पतिरेक आसीत” सभी भूतों (प्राणियों) का एक मात्र स्वामी ईश्वर था। तब उस ‘एक’ ने अपनी समस्त प्रजा के लिए (मानव मात्र […]
1947 में देश के विभाजन का प्रमुख कारण मुस्लिम साम्प्रदायिक थी। जिन्नाह ने स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि-‘‘हिंदू मुसलमानों का एक राष्ट्र के रूप में सहअस्तित्व संभव नही है। वह दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। किसी भी राजनैतिक अथवा प्रशासनिक उपाय द्वारा उनको एक राष्ट्र में संगठित नही किया जा सकता है। उनके प्रेरणा स्रोत […]