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संपादकीय

हमारा संविधान और ब्रिटिश सत्ताधीश

कांग्रेस में गांधीजी का आविर्भाव 1914 ई. से हुआ। 1922 ई. में गांधीजी ने पहली बार कहा कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे। कांग्रेस के इतिहास लेखकों ने गांधीजी के इस कथन को संविधान निर्माण की दिशा में उनकी और कांग्रेस की पहली अभिव्यक्ति के रूप में निरूपति किया है। जिसका अभिप्राय है […]

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अन्य

बिना संविधान के मरता हुआ देश पाकिस्तान

हरिहर शर्मा पाकिस्तानी रेंजरों ने पांच सीमा चौकियों और जम्मू जिले में भलवाल, भार्थ, मलबेला, कानाचक और सिदेरवन आदि असैनिक गांवों पर मोर्टार तोपों से भारी गोलीबारी की, जिसमें दो बीएसएफ जवानों (अंजनी कुमार और वाई पी तिवारी) सहित छह लोग जख्मी हो गए। एक दिन पहले भी हुई इसी प्रकार हुई संघर्ष विराम उल्लंघन […]

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विशेष संपादकीय

देश में राम मंदिर निर्माण की अनुमति देता है हमारा संविधान

राम जन्मभूमि का प्रकरण  माननीय सर्वोच्च न्यायालय लंबित है। इसलिए हम   माननीय न्यायालय की कार्यशैली पर कोई टिप्पणी न करते हुए या इस प्रकरण के समाधान में न्यायिक प्रक्रिया पर कोई प्रश्न न उठाते हुए इस लेख में केवल इतना स्पष्ट करना चाहेंगे,  देश के राजनीतिज्ञों की इच्छाशक्ति और समस्याओं के समाधान के प्रति उनकी […]

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संपादकीय

महाभारत का एक श्लोक और हमारा संविधान

मनुष्य के लिए सबसे उत्तम संविधान क्या है? यह प्रश्न इस जगत के सृष्टा के हिरण्यगर्भ रूपी मानस में उस समय भी था जब कोई नही था और कोई था तो वह-“भूतस्य जात: पतिरेक आसीत” सभी भूतों (प्राणियों) का एक मात्र स्वामी ईश्वर था। तब उस ‘एक’ ने अपनी समस्त प्रजा के लिए (मानव मात्र […]

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विशेष संपादकीय

संविधान की 65वीं वर्षगांठ के अवसर पर चिंतनीय विषय

1947 में देश के विभाजन का प्रमुख कारण मुस्लिम साम्प्रदायिक थी। जिन्नाह ने स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि-‘‘हिंदू मुसलमानों का एक राष्ट्र के रूप में सहअस्तित्व संभव नही है। वह दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। किसी भी राजनैतिक अथवा प्रशासनिक उपाय द्वारा उनको एक राष्ट्र में संगठित नही किया जा सकता है। उनके प्रेरणा स्रोत […]

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राजनीति

भारत का संविधान और वैदिक धर्म, दर्शन-संस्कृति

प्रो. राजेन्द्र सिंह विगत एक सहस्र वर्ष से भारतवर्ष को वह बनाने की निरंतर चेष्टा की जा रही है जो इस सर्व प्राचीन राष्ट्र की सहज प्रकृति से कतई मेल नही खाता। विदेशी आक्रांता शासकों ने इस देश के मूलभूत स्वरूप को मिटाने के लिए बृहद हिंदू समाज पर अनगिनत अत्याचार किये थे। समय पाकर […]

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महत्वपूर्ण लेख

भारतीय संविधान, न्यूनतम मजदूरी और लोक सेवकों के वेतनमान

मनीराम शर्माआपको ज्ञात ही है कि सरकारी सेवकों के वेतनमानों में संशोधन के लिए वेतन आयोग के सदस्यगण विदेशों का भ्रमण कर यह पता लगाते हैं कि वहाँ पर वेतनमानों की क्या स्थिति है और भारत में लोक सेवकों को विदेशों के सामान वेतनमान की अनुसंशा की जाती है। गत छठे वेतन आयोग के माध्यम […]

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