Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

हिन्दू महासभा से…

आज राष्ट्र के समक्ष विभिन्न ज्वलंत समस्याएं हैं। देश में सर्वत्र अराजकता की सी स्थिति है। राजनीतिज्ञ धर्महीन, धर्मनिरपेक्ष होकर पथभ्रष्ट हो गये हैं। लोगों का राजनीति और राजनीतिज्ञों से विश्वास भंग हो चुका है, क्योंकि राजनीति और राजनीतिज्ञ आज व्यक्ति का शोषण कर रहे हैं और अधिकारों का दोहन कर रहे हैं। जबकि उनसे […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-4

भारत के राजनैतिक नेतृत्व से ऐसी अपेक्षा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उसे तो वोटों की राजनीति करनी है। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और चर्च में जाकर उन्हीं की पोशाक पहनना और उन्हीं की बोली बोलना आज हमारे इन राजनीतिज्ञों का शगुन हो गया है। इन धर्महीनों से राष्ट्रधर्म पालन करने की अपेक्षा करना बेमानी है। […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-3

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-3 भारत में संविधान के अंदर एक दर्जन से भी अधिक भारतीय भाषाओं को मान्यता प्रदान कर दी गयी है। यदि राजभाषा हिंदी अपने सही ढंग से उन्नति करती और उसकी उन्नति पर हमारी सरकारें (केन्द्रीय और प्रांतीय दोनों) ध्यान देतीं तो आज जो क्षेत्रीय भाषाई लोग अपनी-अपनी भाषाओं को […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-2

 जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं होती- वह बैसाखियों पर चलता है। ऐसे देश की स्वाधीनता उधार होती है, उसकी आस्थायें उधार होती हैं, उसकी मान्यतायें और परम्परायें भी उधार होती हैं। जब ऐसी परिस्थितियां किसी देश के समाज में बन जाया करती हैं तब इस देश का सांस्कृतिक पतन होने लगता है। आज […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा का स्तर दिया गया। हिंदी को ही राजभाषा भी माना गया। संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार हिंदी भारत की राजभाषा तथा देवनागरी इसकी लिपि है। यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि व्यवहार में हमारा यह संवैधानिक अनुच्छेद हमारा राष्ट्रीय संकल्प न बनकर केवल कागज का […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

लोकतंत्र के हत्यारे बने राजभवन, भाग-2

राजस्थान के राजभवन की घटना इसके पश्चात दूसरी बार लोकतंत्र की हत्या का यह ढंग राजस्थान के राजभवन में सन् 1967 में दोहराया गया। उस समय राजस्थान के राज्यपाल डा. संपूर्णानंद थे। उनके समय में राजस्थान में यह स्थिति आयी कि चुनावों में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से कुछ पीछे रह गयी। तब ऐसी परिस्थितियों में […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

लोकतंत्र के हत्यारे बने राजभवन

केन्द्र में राष्ट्रपति और प्रांतों में राज्यपाल के पद का सृजन हमारे संविधान निर्माताओं ने इस भावना से किया था कि ये दोनों पद राजनीति की कीचड़ से ऊपर रहेंगे। राजनीति राजभवन से बाहर रहेगी। राजभवन से राजनीति कभी नहीं की जाएगी। राजभवन एक न्याय मंदिर होगा। जिसकी ओर सभी की दृष्टि न्याय पाने की […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

चौदहवें रतन को खोजता देश

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट है। हमें भाजपा की ओर से शीघ्र ही नये राष्ट्रपति का नाम मिलने वाला है। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह,  अरूण जेटली, वैंकैया नायडू को नियुक्त कर दिया है। विपक्षी दलों से समन्वय स्थापित कर ये तीनों मंत्री अगले राष्ट्रपति […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्र के वृत्त की परिधि का केन्द्र है हिन्दुत्व

समाचार है कि मुजफ्फरनगर और सहारनपुर दंगों की आड़ में अलकायदा ने भारतीय मुसलमानों से जिहाद में सम्मिलित होकर अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की भावुक अपील की है। भारत में इस आतंकी संगठन का प्रमुख असीम उमर है। जिसके विषय में सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि उसके तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े […]

Categories
संपादकीय

कोऊ नृप होइ हमें का हानि-क्यों बनी ऐसी सोच?-भाग-3

राष्ट्र धर्म की उपेक्षा घातक स्वतंत्रता के उपरांत हमारा राष्ट्रधर्म था राजनीति को मूल्य आधारित बनाना, शासक को शासक के गुणों से विभूषित करना तथा राष्ट्र को दिशा देने में सक्षम बनाने वाले राजनीतिक परिवेश का निर्माण करना। हमने इसी धर्म को निशाने में चूक की। परिणामस्वरूप राजनीति बदमाशों के पल्ले पड़ गयी जो आज […]

Exit mobile version