Categories
महत्वपूर्ण लेख

राजनीतिक उथल – पुथल से भरा रहा यह वर्ष !

डॉ. भरत मिश्र प्राची वर्ष 2022 कोरोना महामारी से मुक्त रहा जिसका परिणाम यह रहा कि हर क्षेत्र में चहल – पहल बरकरार रही। कोरोना के भय से विगत दो वर्षो तक जो पर्व-,त्योहार,, शादी – समारोह , मिलने – जुलने आदि जो भी कार्यक्रम स्थगित रहे, इस वर्ष खुलकर लोगों ने आनन्द लिया। बंद […]

Categories
आज का चिंतन

भारतवासियों का पराभव और महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज

भारतीयों का पराभव महर्षि दयानंद सरस्वती जी की दृष्टि में भारतीयों का राजनीतिक पराभव और उसके प्रमुख कारक जब भी किसी देश, जाति या समाज का पराभव होता है, वह एक सुखद अवसर नहीं होता। भारतीय इतिहास में अनेक ऐसे अवसर आये हैं, जब हमने अपने को पराजित, पददलित और शोषित अनुभव किया है। इस […]

Categories
भारतीय संस्कृति

वैदिक सृष्टि संवत की वैज्ञानिकता और कालगणना

कल्पसंवत का प्रचलन अनुचित है। केवल सृष्टि संवत ही प्रामाणिक है। वेद उत्पत्ति संवत की अवधारणा गलत है। भारतवर्ष पर महर्षि दयानंद का इतना ऋण है कि हम सदियों तक नहीं चुका सकते। अगर मैं यह कहूं कि आर्य समाज के लोगों पर तो स्वामी दयानंद के विशेष ऋण हैं, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं […]

Categories
Uncategorised

महाप्रतिभा मंडित महापुरुष दयानंद

महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला उन्नीसवीं शताब्दी के परार्द्ध भारत के इतिहास का अपर स्वर्ण प्रभात है। कई पावन चरित्र महापुरुष अलग अलग उत्तरदायित्व लेकर इस समय इस पुण्य भूमि में अवतीर्ण होते हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती भी उन्हीं में एक महाप्रतिभा मंडित महापुरुष हैं। शासन बदला ,अंग्रेज आये, संसार की सभ्यता एक नए प्रभाव से […]

Categories
भारतीय संस्कृति

वेद और वैदिक संस्कृति की विशिष्टता, भाग – 3

गतांक से आगे क्रमशः केवल वही साथी पढ़ें जो अपनी बुद्धि कौशल, ज्ञान बल , चातुर्य एवं तर्कशक्ति को समृद्ध करना चाहते हैं। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। वेद अपौरुषेय हैं। वेदों में नदियों पहाड़ों राजाओं के नाम नहीं हैं। वेदों में राजाओं का कोई इतिहास नहीं है। वेदों में किसी भी राजा की […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग ……16

कश्मीर का कर्कोट राजवंश कश्मीर का राजा चंद्रपीड हुआ जिसने अरबों का मुंह मोड़ दिया था। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा विवरणों में कश्मीर के तत्कालीन कर्कोटा राजवंश के संस्थापक राजा दुर्लभवर्धन का उल्लेख करते हुए बताया है कि वह एक शक्तिशाली राजा था और अपने राज्यारोहण (625 ई.) के पश्चात उसने अपना राज्य कश्मीर से काबुल […]

Exit mobile version