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भारतीय संस्कृति

वेदों का सामगान

वेदों में वाण, वीणा और कर्करि इत्यादि तंतु वाद्यों का उल्लेख मिलता है। अवनद्ध वाद्यों में दुदुंभि, गर्गर इत्यादि का, घनवाद्यों में आघाट या आघाटि और सुषिर वाद्यों में बाकुर, नाडी, तूणव, शंख इत्यादि का उल्लेख है। यजुर्वेद में 30वें कांड के 19वें और 20वें मंत्र में कई वाद्य बजानेवालों का उल्लेख है जिससे प्रतीत […]

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भारतीय संस्कृति

विलक्षण हैं भारतीय वाद्ययंत्र

लेखिका- पूनम नेगी सनातन हिंदू दर्शन में सृष्टि की उत्पत्ति नाद से मानी जाती है। हमारे यहां इस नाद को ब्रह्म की संज्ञा दी गयी है। भारतीय ऋषियों की मान्यता है कि समूचे विश्व ब्रह्माण्ड में अनहद नाद (ओम् की ध्वनि) सतत गूंजता रहता है। इस तथ्य को अब नासा ने भी स्वीकार कर लिया […]

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इतिहास के पन्नों से

नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने वाले मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी की ऐसे हुई थी मृत्यु

क्या आप जानते हैं कि विश्वप्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय को जलाने वाले जे हादी बख्तियार खिलजी की मौत कैसे हुई थी ??? असल में ये कहानी है सन 1206 ईसवी की…! 1206 ईसवी में कामरूप में एक जोशीली आवाज गूंजती है… “बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर कामरूप (असम) की धरती पर आया […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

आखिर क्या कारण था कि गांधी अंग्रेजों के लिए काम करते रहे ——-इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार

———————————————गोखले के उत्तराधिकारी गाँधी ने कांग्रेस नेता के रूप में तीन जन आन्दोलन किये। पहला ख़िलाफ़त आंदोलन,दूसरा नमक सत्याग्रह व तीसरा और अंतिम ‘अंग्रेजों ! भारत छोड़ो’ पर अपनी फौज भारत में ही बनाए रहो। गांधी द्वारा देश की आजादी के नाम पर लड़े गए इन तीनों आंदोलनों की यदि हम समीक्षा करते हैं तो […]

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कविता

गीता मेरे गीतों में , गीत … 40 ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद)

अध्यात्म ज्ञान की आवश्यकता आनंद यदि पाना है तो भगवान की भक्ति करते चलो। जो भी मिले दीन दुखी जग में सबकी पीड़ा को हरते चलो।। सम्मान मिले- अपमान मिले मत ध्यान लगाओ इसमें कभी। भगवान की देन समझ करके, संतोष मनाओ उसमें सभी ।। दो दिन का जग का मेला है, बस धर्म पुण्य […]

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इतिहास के पन्नों से

बहुत महत्वपूर्ण योगदान है छत्तीसगढ़ का भारत की आजादी की लडाई में

शशांक शर्मा सामान्य तौर पर भारत में अंग्रेजी सत्ता के दो कालखंड रहे, पहले ईस्ट इंडिया कंपनी, जिसका शासन 1765 से 1858 तक रहा और फिर ब्रिटिश सरकार 1858 से 1947 तक जिसमें ब्रिटिश संसद के माध्यम से वहां की सरकार महाराजा या महारानी के नाम से शासन करती थी। इन दोनों कालखण्डों में भारतीय […]

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इतिहास के पन्नों से

किन परिस्थितियों में सरदार पटेल नहीं बन पाए थे देश के पहले प्रधानमंत्री ?

अनिल कुमार 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। यह इसलिए हुआ क्योंकि ब्रिटिश सरकार की तरफ से यह कैबिनेट मिशन प्लान था कि अंतरिम सरकार के तौर पर वॉयसराय की अध्यक्षता में एग्जिक्यूटिव काउंसिल बनेगी। कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष इस काउंसिल का वाइस प्रेसिडेंट बनेगा। आजादी […]

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इतिहास के पन्नों से

हिन्दू नेताओं की मुस्लिमपरस्ती

———————————————— गत सौ सालों में अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी उग्रवाद को खाद-पानी देने में सब से बड़ी भूमिका भारत के हिन्दू नेताओं की है। पहली बार, 1920-22 में तुर्की में इस्लामी खलीफा की गद्दी बहाल करने का आंदोलन महात्मा गाँधी ने चलाया, जब कि खुद तुर्की और अरब में वातावरण खलीफा के विरुद्ध था। अंततः स्वयं तुर्की […]

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इतिहास के पन्नों से

1971 की भारत-पाक जंग , बांग्ला देश का उदय और भारत की मुक्ति वाहिनी सेना

अंकित सिंह 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की घोषणा हुई थी। हालांकि, उसके लिए आजादी की लड़ाई आसान नहीं थी। 9 महीने के संघर्ष के बाद 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेशी को आजादी मिली। 26 मार्च 1971 को जब बांग्लादेश की घोषणा हुई उसके बाद से पाकिस्तान का पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू हुआ। […]

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भाषा

जब नेहरु ने कहा कि “संस्कृत is an outdated language”*

1947 में भारतीय राष्ट्रभाषा के विषय पर चर्चा हो रही थी …. जब पाकिस्तान ने उर्दू को राष्ट्रीय भाषा बनाया था….उस समय दक्षिण भारत से एक व्यक्ति सामने आया जिसका नाम था अन्ना दुरई … वह एक communist थे…उनका ज्यादा जन-आधार नहीं था…परन्तु उनके एक वक्तव्य ने उनको इतना जन-आधार दिया कि वो पूरे दक्षिण […]

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