आज जिस भारत में हम सांस ले रहे हैं वह सरदार पटेल के कारण हैं. एक कश्मीर ही हमारे लिए मुसीबत बना हुआ है. यदि इस तरह के कुछ और कश्मीर (हैदराबाद/ जूनागढ़) होते तो हमारी हालत क्या होती? दक्षिण भारत की रियासत “हैदराबाद” पर निजाम उस्मान अली खान राज करता था । उस समय […]
महीना: नवम्बर 2021
(2018 में प्रकाशित लेख का पुन: प्रकाशन) #डॉविवेकआर्य हामिद अंसारी ने देश के बंटवारे को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश के विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्तान ही जिम्मेदार नहीं था, बल्कि हिंदुस्तान भी जिम्मेदार था। अंसारी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के भारत की आजादी के चार दिन पहले 11 अगस्त […]
संजीव कपूर नए साल में डाइटरी के संबंध में एक संकल्प है, जो आजकल चल रहा है, वह है ‘हरियाली का मंत्र’। अपरिहार्य रूप से हरा का विकल्प इन दिनों लोगों को आकर्षित कर रहा है। इसका कारण है हरे सब्जियों के आहार की सादगी और आधुनिक श्रमसाध्य जीवन शैली की माँग है। ज़्यादा से […]
प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य भारत गांवों का देश था और आज भी है। यहां सम्पन्नता, खुशहाली और समृद्धि की पूजा होती रही है। फसलों के पकने पर आनन्दित होकर उत्सवों का आयोजन करना हमारी परम्परा रही है। अत्यन्त आधुनिक यंत्रों और पद्धतियों से कृषि कर के भरपूर फसलें ली जाती रही हैं। सम्पन्न भारत को […]
प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) पिछले दिनों देश में घर वापसी की काफी चर्चा हुई है। यह चर्चा शुरू हुई आगरा में कुछ मुस्लिम परिवारों को वापस सनातन मत में लाने के एक कार्यक्रम से। घर वापसी किए एक व्यक्ति ने लालच दिए जाने की बात कह दी और हंगामा […]
डॉ. हेमेन्द्र कुमार राजपूत महाभारत में स्वयं महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास जी ने सम्पूर्ण जम्बूद्वीप का प्रादेशिक भ्रमण करके जो कुछ भौगोलिक इतिहास लिखा, वह कहीं अन्यत्र नहीं मिलता। साथ ही उन्होंने अखण्ड महाभारत वर्ष जिसे जम्बूद्वीप कहते हैं, का सांस्कृतिक और सामाजिक एवं राजनैतिक इतिहास हमारे सामने प्रस्तुत किया जिसे आज के आधुनिक […]
सुद्युम्न आचार्य शब्दों में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं। ये शब्द समाज की वाणी से मुखरित होकर कालक्रमानुसार अनेक प्रकार के रूप धारण करते रहते हैं। कभी तो इनकी ध्वनियों में बदलाव हो जाता है। यह बदलाव इतना अधिक होता है कि वह समूचा शब्द नया रूप धारण कर लेता है। कभी […]
जयप्रकाश सिंह उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि मिशनरियों द्वारा सिनेमा के जरिए पश्चिमी आदर्शों को भारत पर थोपे जाने का विरोध करने के लिए दादा साहब ने भारतीय सिनेमा को स्थापित किया। यह एक स्थापित तथ्य है कि औपनिवेशिक शासनकाल में मतांतरण की प्रकिया को राज्याश्रय प्राप्त था। हिन्दू धर्मावलम्बियों […]
कृपाशंकर सिंह ऋग्वेद की ऋचाओं में कुछेक रोगों के नाम भी मिलते हैं। इनमें यक्ष्मा, राजयक्ष्मा, हृदय रोग, दनीमा (बवासीर) हरिमा पृष्ठयामगयी आदि रोगों का उल्लेख है। इसमें से यक्ष्मा रोग का वर्णन कई ऋताओं में मिलता है। यक्ष्मा से ऋषियों का वास्तविक आशय किस तरह के रोग का है, यह पूरी तौर पर स्पष्ट […]
डॉ. ओमप्रकाश पांडे सृष्टि विज्ञान के दो पहलू हैं। पहला पहलू है कि सृष्टि क्या है? आधुनिक विज्ञान यह मानता है कि आज से 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग यानी कि महाविस्फोट हुआ था। उसके बाद जब भौतिकी की रचना हुई, अर्थात्, पदार्थ में लंबाई, चौड़ाई और गोलाई आई, वहाँ से विज्ञान की शुरुआत […]