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आर्थिकी/व्यापार

राज्य, समाज, व्यक्ति और निन्यानबे का फेर

रवि शंकर बाप बड़ा न भैय्या, सबसे बड़ा रुपैय्या। यह कहावत जिसने भी बनाई होगी, उसने सोचा नहीं होगा कि कभी एक समय पूरा देश उसकी कहावत के पीछे ही चलेगा। रुपैय्या यानी कि धन औप धन अर्थात् अर्थतंत्र। अर्थतंत्र यानी धन कमाना, धन व्यय करना, धन संग्रह करना, धन का वितरण करना। भारतीय शास्त्रों […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती ऊँचा सोचो सर्वदा,ऊँचे रखो भाव

ऊँचा सोचो सर्वदा, ऊँचे रखो भाव। जैसा चिन्तन चित्त में, वैसा बने स्वभाव॥1504॥ व्याख्या:- छान्दोग्य-उपनिषद की सूक्ति है “यत पिण्डे जो ब्रह्माण्डे” अर्थात जो हमारे शरीर में है, वही ब्रह्माण्ड में है। पिण्ड और ब्रह्माण्ड का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। हमारे हृदय में चित्त है, जिसमें आत्मा रहता है और आत्मा के अन्दर परमात्मा रहता है, […]

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उगता भारत न्यूज़

सरदार पटेल का भारत की राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखने में था अप्रतिम योगदान : एके शर्मा

मेरठ। ( विशेष संवाददाता) 1857 क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा ‘आजादी का राष्ट्रीय अमृत महोत्सव’ में भारत रतन सरदार वल्लभभाई पटेल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। इस वेबीनार के मुख्य अतिथि श्री ए के शर्मा (सेवानिवृत्त आईएएस, एमएलसी एवं उत्तर प्रदेश भाजपा के […]

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