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राजनीति

अकालियों को अब कट्टरपंथियों से दूर रहना होगा

राकेश सैन यह संयोग ही है कि अपनी स्थापना के सौ सालों के बाद अकाली दल पुन: उसी मार्ग पर खड़ा दिखाई दे रहा है जब उसे राष्ट्र हितों और अलगाववाद के बीच भेद करना पड़ रहा है तो उसे भविष्य में फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। कृषि कानून-2020 के चलते शिरोमणि अकाली दल ने […]

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आओ कुछ जाने

आइए जाने – सभ्यता-संस्कृति की अग्रदूत माँ गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के उपाय

सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार गंगा नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए 1985 में गंगा कार्य योजना (जीएपी) का शुभारंभ किया गया था। किंतु 15 वर्ष की अवधि में 901.77 करोड़ रुपए व्यय करने के बाद भी नदी में प्रदूषण कम करने में यह योजना विफल साबित हुई। भारत वर्ष में गंगा नदी […]

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मुद्दा

बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर राजनीति करते संकुचित मानसिकता के राजनेता

संजय सक्सेना प्रियंका तब क्यों मौन साध लेती हैं जब एक दलित परिवार एक वर्ग विशेष के उत्पीड़न का शिकार होता है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में वह क्यों आवाज बुलंद नहीं करती हैं कि बलात्कार के आरोपी अनुराग कश्यप को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। अपराध और अपराधी की सिर्फ एक ही परिभाषा होती […]

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देश विदेश

श्रीलंका में सिंहलों और तमिलों का तनाव ,क्या भारत और श्रीलंका के बीच भी तनाव  पैदा कर सकता है

डॉ वेदप्रताप वैदिक महिंदा राजपक्षे के बड़े भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पहले से ही कह चुके हैं कि हमारी सरकार ‘‘विकेंद्रीकरण की बजाय विकास’’ पर ध्यान देगी। सत्तारुढ़ सिंहल-पार्टी की यह मजबूरी है, क्योंकि श्रीलंका के सवा दो करोड़ लोगों में 75 प्रतिशत सिंहली हैं। श्रीलंका और भारत के संबंधों में पिछले कुछ वर्षों […]

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आज का चिंतन

वर्तमान समय में वेद और वेदेतर मत पंचों की प्रासंगिकता

ओ३म् =========== महाभारत काल के बाद संसार में अनेक ज्ञानी व अल्पज्ञानी मनुष्य हुए जिन्होंने समय समय पर देश, काल, परिस्थिति एवं अपनी योग्यतानुसार अनेक मतों का प्रचलन किया। समय के साथ उनके द्वारा चलाये गये मत पल्लवित व पोषित होते रहे और आज अनेक अवैदिक मतों का संसार पर प्रभाव व प्रधानता है। महाभारतकाल […]

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इतिहास के पन्नों से

देशभक्त सूफी अंबा प्रसाद के बारे में

प्रखर देशभक्त सूफी अम्बाप्रसाद सूफी अम्बाप्रसाद का जन्म 1858 में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक सम्पन्न भटनागर परिवार में हुआ था। जन्म से ही उनका दाहिना हाथ नहीं था। कोई पूछता, तो वे हंसकर कहते कि 1857 के संघर्ष में एक हाथ कट गया था। मुरादाबाद, बरेली और जालंधर में उन्होंने शिक्षा पायी। पत्रकारिता में […]

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इतिहास के पन्नों से

कर्नाटक में हिंदी के सेवक विद्याधर गुरुजी

30 सितम्बर/जन्म-दिवस यों तो भारत में देववाणी संस्कृत के गर्भ से जन्मी सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं, फिर भी सबसे अधिक बोली और समझी जाने के कारण हिन्दी को भारत की सम्पर्क भाषा कहा जाता है। भारत की एकता में हिन्दी के इस महत्व को अहिन्दी भाषी प्रान्तों में भी अनेक मनीषियों ने पहचाना और विरोध […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा

29 सितम्बर/बलिदान-दिवस भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कदम से कदम मिलाकर संघर्ष किया था। मातंगिनी हाजरा एक ऐसी ही बलिदानी माँ थीं, जिन्होंने अपनी अशिक्षा, वृद्धावस्था तथा निर्धनता को इस संघर्ष में आड़े नहीं आने दिया। मातंगिनी का जन्म 1870 में ग्राम होगला, जिला मिदनापुर, पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) […]

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संपादकीय

प्रधानमंत्री जी! फारूक अब्दुल्ला के ‘बिगड़े हुए दिमाग’ का इलाज अब होना ही चाहिए

जम्मू कश्मीर का अब्दुल्ला परिवार भारत के प्रति पहले से ही दोगला रहा है । इसका इतिहास यह बताता है कि इसने जुबान से चाहे जो कुछ बोला हो परंतु इसके अंतर में भारत को लेकर सदा कतरनी चलती रही है । शेख अब्दुल्ला हों चाहे फिर फारूक अब्दुल्ला हों या उमर अब्दुल्ला हों इन […]

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खेल/मनोरंजन

ऐसे घृणास्पद और गिरे हुए फिल्मी नायकों को हम अपना आदर्श नायक कैसे माने

ललित गर्ग मुम्बई शहर पर नशे के घातक हमले का गंभीरता से विश्लेषण किया जाए तो वहां 80 फीसदी आबादी किसी-न-किसी प्रकार का नशा करती मिल जाएगी। शराब का सेवन भी युवाओं में तेजी से फैल रहा है, जिससे महिलायें भी अछूती नहीं रहीं। फिल्म अभिनेता सुशांत की आत्महत्या के कारणों तक पहुंचा जायेगा या […]

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