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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

गुरू गोविन्द सिंह ने कीं अपनी सैन्य तैयारियां आरंभ

संघर्ष की भावना ने और गति पकड़ी गुरू तेगबहादुर का बलिदान व्यर्थ नही गया। उनके बलिदान ने भारतवासियों को अन्याय, अत्याचार और शोषण के विरूद्घ अपना संघर्ष जारी रखने की नई ऊर्जा प्रदान की। अपने गुरू के साथ इतने निर्मम अत्याचारों की कहानी को सुनकर लोगों के मन में जहां तत्कालीन सत्ता के विरूद्घ एकजुट […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-58

गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ”पत्ते-पत्ते की कतरन न्यारी तेरे हाथ कतरनी कहीं नहीं-” कवि ने जब ये पंक्तियां लिखी होंगी तो उसने भगवान (प्रकत्र्ता) और प्रकृति को और उनके सम्बन्ध को बड़ी गहराई से पढ़ा व समझा होगा। हर पत्ते की कतरन न्यारी -न्यारी बनाने वाला अवश्य कोई है-पर वह दिखायी नहीं […]

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राजनीति

उ. प्र. में न्याय पंचायतों का खात्मा एक अनुचित निर्णय

स्वयं को भारतीय संस्कृति और परम्पराओं का पोषक दल बताने वाले भारतीय जनता पार्टी के विचारकों के लिए यह आइना देखने की बात है कि उत्तर प्रदेश की योगी केबिनेट ने समाज और संविधान की मान्यता प्राप्त न्याय पंचायत सरीखे एक परम्परागत संस्थान को खत्म करने का निर्णय लिया। उत्तर प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियों तथा […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-57

गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज अन्य देवोपासक और भक्तिमार्गी पीछे हम कह रहे थे कि गीता बहुदेवतावाद की विरोधी है और एकेश्वरवाद की समर्थक है। यहां पुन: उसी बात को श्रीकृष्ण जी दोहरा रहे हैं, पर शब्द कुछ दूसरे हैं। जिन्हें सुनकर लगता है कि वे बहुदेवतावाद को बढ़ावा दे रहे हैं। वह […]

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राजनीति

वोट तक सीमित न हो लोकतंत्र

इस बार के चुनाव प्रचार में राज्य और स्थानीय महत्त्व के मुद्दे गोल कर दिए गए और राज्य के मुद्दों के साथ केंद्र के मुद्दों के घालमेल का प्रयास करके जनता को गुमराह करने का प्रयत्न किया गया। यही नहीं, मुद्दों पर बात करने के बजाय व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप पर फोकस किया गया। इसका कारण यह […]

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बिखरे मोती

मन की शक्ति असीम है, करके देख तू एक

बिखरे मोती-भाग 215 गतांक से आगे…. उसके हृदय की सात्त्विकता, आर्वता (सरलता) और पवित्रता प्रभु का भी मन मोह लेती है। ऐसी अवस्था बड़ी तपस्या के बाद आती है, बड़ी मुश्किल से आती है और यदि कोई व्यक्ति इस अवस्था को प्राप्त हो जाए, तो समझो वह वास्तव में ही प्रभु से जुड़ गया है। […]

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विशेष संपादकीय

अब क्रान्ति होनी चाहिए

देश के विषय में ना तो कुछ सोचो ना कुछ बोलो ना कुछ करो और जो कुछ हो रहा है उसे गूंगे बहरे बनकर चुपचाप देखते रहो-आजकल हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता की यही परिभाषा है। यदि तुमने इस परिभाषा के विपरीत जाकर देश के बारे में सोचना, बोलना, लिखना, या कुछ करना आरम्भ कर दिया […]

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संपादकीय

‘पराली’ बन सकती है हमारे प्राण हरने वाली

दिल्ली में हर साल की तरह इस बार भी स्मॉग ने अपना कहर बरपा किया है। इसकी गिरफ्त में आकर बहुत से लोगों को हृदय की बीमारियों ने घेर लिया है, तो कईयों को ऐसी ही दूसरी घातक बीमारियों के उभरने की शिकायत रही है। यह सब इसलिए हुआ है कि हमारे किसानों ने अपने […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-56

गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इस प्रकार ईश्वर को एक देशीय न मानना स्वयं अपने बौद्घिक विकास के लिए भी आवश्यक है। आज का मनुष्य धर्म में भी व्यापार करता है। इसलिए हम उसे व्यापार में मुनाफे का एक सौदा बता रहे हैं कि वह ईश्वर को सर्वव्यापक सर्वान्तर्यामी माने और परिणाम में […]

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राजनीति

राजनीतिक भीख नहीं तपोवन सत्र

माननीय विधायक अगर वाकआउट करें, तो खर्च का हिसाब लगाना वाजिब है, लेकिन सदन में सत्र के दिन बढ़ें तो लोकतांत्रिक प्रासंगिकता बढ़ती है। अत: तपोवन में विधानसभा का ताप बढ़ाने के लिए सत्र की अवधि में विस्तार की गुंजाइश हमेशा रहेगी।  विधानसभा का तपोवन में होना या शीतकालीन सत्र के दौरान होने की आशा […]

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