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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व धर्म-अध्यात्म

गीता कर्मयोग का सुन्दर प्रबोधन है

ह्रदय नारायण दीक्षित गीता दर्शन ग्रंथ है। इसका प्रारम्भ विषाद से होता है और समापन प्रसाद से। विषाद पहले अध्याय में है और प्रसाद अंतिम में। अर्जुन गीता समझने का प्रभाव बताते हैं, “नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत।“ हे कृष्ण आपके प्रसाद से – त्वत्प्रसादान्मयाच्युत मोह नष्ट हो गया। प्रश्न उठता है कि यह विषाद क्या […]

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कविता गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या ….17 , देव पूजा से कल्याण

देव पूजा से कल्याण सोते हुए बालक को जैसे माता पिलाती दूध को। प्रतीति नहीं है स्वाद की पर पीता है बच्चा दूध को।। रहते हैं संसार में वैसे ही योगी जान विषय गूढ़ को। हम निर्लिप्त भाव से रहें – समझें विचार विशुद्ध को।। आंखों से देखता है योगी पर देखता नहीं संसार को। […]

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कविता गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

भगवान  उन्हीं   को   चाहते  हैं,…..

गीता मेरे गीतों में गीत संख्या , 14 तर्ज :  बाबुल की दुआएं लेती जा ….. जो  सच्चे  योगी  होते  हैं –  वह  पीर  पराई  हरते  हैं। जो भी दुखिया उन्हें मिलता है उसकी भलाई करते हैं।। टेक।। जो दुखिया के दु:ख में हो दु:खी दु:ख   हरने   की  युक्ति  सोचे। कोई दुखिया रहे ना इस […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

तर्ज :  बाबुल की दुआएं लेती जा …..

जो  सच्चे  योगी  होते  हैं –  वह  पीर  पराई  हरते  हैं। जो भी दुखिया उन्हें मिलता है उसकी भलाई करते हैं।। टेक।। जो दुखिया के दु:ख में हो दु:खी दु:ख   हरने   की  युक्ति  सोचे। कोई दुखिया रहे ना इस जग  में हर  प्राणी   की   मुक्ति   खोजे।। जो ऊंची सोच सदा रक्खे ना कभी  बुराई  करते  […]

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कविता गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

यज्ञ के लाभ और गीता ,….

गीत संख्या – 6 यज्ञ के लाभ और गीता तर्ज –  हम वफा करके भी तन्हा रह गए ….. यज्ञ से आनन्द  मिलता  यह  ऋषिवर   कह   गए। यज्ञ  से  भगवान  मिलता  यह  मुनिवर  कह  गए।। यज्ञ से कल्याण पाता हर जीव  जो  जन्मा  यहाँ। जिसने  पकड़ा  यज्ञ  को  वही  तर  गए ….. यज्ञ से आनन्द  […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

श्रीमदभागवदगीता : अगर उड़ नहीं सकते हो तो दौड़ो …… मगर मंजिल को अवश्य प्राप्त करो

Random_Musings_On_Bhagwat_Gita: Going On.. थोड़े साल पहले जब भारत में टेलीवीजन आया तो मोहल्ले के एक टीवी के आगे इलाके के सब लोग जुटते। उस से पहले तक ऐसा ट्रांजिस्टर के लिए होता हा। भारत के लिए ये अनोखी चीज़ें थी। गावों में तो आज भी चुक्की-माली बैठ कर, एक ट्रांजिस्टर पर समाचार सुनता पूरा चौपाल […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

लोबस्टर जॉर्डन पीटरसन और भगवत गीता

लॉबस्टर, जॉर्डन पीटरसन और भगवद्गीता घूम-घूम कर खाने-पीने की चीज़ें दिखाने वाला कार्यक्रम था और शायद एनडीटीवी के माल्या के साथ वाले एनडीटीवी गुड टाइम्स पर आया करता था। इसमें होस्ट एक नामी पत्रकार थे विनोद दुआ और “ज़ायका इंडिया का” में ये दक्षिणी भारत में कहीं पहुंचे हुए थे! उनके सामने जो परोसा गया […]

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इतिहास के पन्नों से गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

मन से आत्मा की यात्रा : गीता सार

यथार्थ गीता के संबंध में श्रीमद्भगवद्गीता को यथार्थ मानव शास्त्र प्रतिपादित करते हुए स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का कथन है-“श्री कृष्ण जिस स्तर की बात करते हैं, क्रमशः चल कर उसी स्तर पर खड़ा होने वाला कोई महापुरुष अक्षरशः बता सकेगा कि श्री कृष्ण ने जिस समय गीता का उपदेश दिया था, उस समय उनके […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

गीतामृत : जो जिसका है उसे उसी के लिए छोड़ दो

  हम तनिक कल्पना करें कि एक माता की गोद में उसका एक अबोध बच्चा है । मां ने अपने बच्चे को अपने अंक में आलिंगनबद्घ किया हुआ है। मां बहुत ही ममत्व से बच्चे के सिर को सहलाते हुए अपने आंचल से स्तनपान करा रही है। मां अभी दाहिने स्तन से स्तनपान करा रही […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-100

गीता का अठारहवां अध्याय भारतीय संस्कृति का उच्चादर्श इस पृथ्वी को स्वर्ग बना देना है और यह धरती स्वर्ग तभी बनेगी जब सभी लोग ईश्वरभक्त हो जाएंगे, और ईश्वरभक्त बनकर ईश्वरीय वेदवाणी को संसार के कोने-कोने में फैलाने के लिए कार्य करने लगेंगे। धरती को स्वर्ग बनाना और उसके लिए जुट जाना ईश्वरीय आज्ञा का […]

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