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धर्म-अध्यात्म

विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन

पौराणिक मान्यतानुसार सृष्टि पालक भगवान विष्णु अब तक अधर्म के नाश के लिए नौ बार यथा मत्स्य, कुर्म (कच्छप), वाराह, नृसिंह (नरसिम्हा), वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध के रूप में धरती पर अवतरित हो चुके हैं और दसवीं बार भविष्य में कलियुग की समाप्ति पर कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे। इन सभी अवतारों […]

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अन्य महत्वपूर्ण लेख मुद्दा समाज

बाबाओं की समानांतर सत्ता के दुष्फल

बाबाओं के पास जो भीड़ जमा होती है, उसके मूल में दुख है, अभाव है, गरीबी है या अशांति है। कोई बेटे से परेशान है, कोई बहू से, कोई नौकरी से, कोई जमीन के झगड़े में फंसा है और किसी को कोर्ट-कचहरी के चक्कर में जायदाद बेचनी पड़ गई है। या तो धन ही नहीं […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-21

मि. विन्सेंट ए. स्मिथ अपनी पुस्तक ”भारत एवं श्रीलंका की उत्तम कला का इतिहास” के पृष्ठ 22 पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित ‘अखण्ड स्तंभ’ के बारे में हमें बताते हैं-”इतने विशाल आकार के अखण्ड स्तंभ का ढालना, सजाना, खड़ा करना, इस बात का प्रमाण है कि अशोक के काल में इंजीनियर एवं पत्थर काटने वाले […]

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Make in India Technology / Auto / Property

दिवाली से पहले LG पेश करेगी ऐसा फोन जो पूरी तरह भारतीय होगा

कोरियाई इलेक्ट्रानिक्स कंपनी एलजी दुनिया के सबसे बड़े फोन बाजारों में से एक भारत के लिए नया फोन पेश करने की तैयारी में है. यह फोन ‘पूरी तरह भारतीय’ होगा. कंपनी इस फोन को दीवाली से पहले पेश करेगी. एलजी इलेक्ट्रोनिक्स इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर अमित गुजराल ने बताया कि कंपनी भारतीय सोच और […]

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आर्थिकी/व्यापार

जीडीपी गिरावट के लिए नोटबंदी नहीं ‘जीएसटी में चूक’ है जिम्मेदार

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी अपने तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. जहां विपक्ष दावा कर रहा है कि नोटबंदी इसके लिए जिम्मेदार है, वहीं जानकारों का मानना है कि जीडीपी में दर्ज हुई गिरावट का असली गुनहगार जीएसटी को लागू किए जानें की प्रक्रिया में एक पेंचीदा नियम […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-20

भारत की 64 कलाएं प्रमुख मानी गयी हैं। इनके नाम हैं नृत्य कला, वाद्यों का निर्माण करने की कला, स्त्री पुरूष के परिधान एवं अलंकार पहनाने की कला, अनेक प्रकार के रूप धारण (बहुरूपिया होना) करने की कला, शय्या अर्थात बिस्तर (उपस्तरण से बना है बिस्तर) बिछाना और पुष्पों को सही ढंग से गूंथने की […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-19

भारत की स्थापत्य कला में देखने वाली बात ये होती है कि हजारों वर्ष पूर्व निर्मित किये गये भव्य-भवन, राजप्रासाद, दुर्गादि के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है और ना ही सीमेंट प्रयोग हुआ है। परंतु उसके उपरांत भी ये भव्य-भवन, राजप्रासाद, दुर्गादि बहुत से भूकंपों और प्राकृतिक आपदाओं को झेलकर भी […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-18

फल फूल से लदी हों औषध अमोघ सारी देशवासियों को पर्जन्य समय पर बरसकर अन्नादि की पूर्ति करते हैं, साथ ही समय पर वर्षा होने से अनेकों प्रकार के पेड़ पौधों को भी नवजीवन मिलता है। मानव समाज को कितने ही पेड़ों से फल मिलते हैं तो कितनों से ही औषधियां मिलती हैं। कितनी ही […]

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मुद्दा

इस समय विधवाओं की सुध लेने की जरूरत है देश में

रीता सिंह देश की सर्वोच्च अदालत ने आश्रमों में कम उम्र की विधवाओं के रहने पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि विधवा विवाह को कल्याणकारी योजनाओं का हिस्सा क्यों नहीं होना चाहिए? न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने चिंता जताई कि विधवाओं के पुनर्वास की […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-17

भारत ने नारी को आगे बढऩे का अवसर इसी लिए दिया कि वेद के राष्ट्रगान में ही उसे आगे बढऩे की पूरी छूट दे दी गयी थी। अत: भारत पर यह आरोप लगाना मिथ्या और भ्रामक है कि यहां कभी नारी का सम्मान नहीं किया गया। हमारी संस्कृति में नारी सम्माननीया है, जहां उसे सम्माननीया […]

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