तीन तलाक के मुद्दे पर एक ठोस और सकारात्मक पहल करते हुए केन्द्र सरकार ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से चार प्रश्न पूछे हैं। जिनमें पहला है कि क्या ‘तलाक-एक-बिद्दत’ (एक बार में तीन तलाक देना) निकाह, हलाला और बहुविवाह को संविधान के अनुच्छेद 25 (1) (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) में संरक्षण प्राप्त है? […]
Month: February 2017
ऋषि भक्त स्वामी सत्यपति जी महाराज ऋषि दयानन्द जी की वैदिक विचारधारा और पातंजल योग दर्शन के सफल साधक हैं। आपने दर्शन योग महाविद्यालय और वानप्रस्थ साधक आश्रम की रोजड़, गुजरात में स्थापना की है और अपने अनेक शिष्यों को दर्शनों का आचार्य बनाया है। दर्शन के अध्ययन सहित आपने उन्हें योगाभ्यास भी कराया है। […]
यह दिल दहला देने वाला कृत्य है कि जयपुर में एक शिक्षक ने दस साल में तकरीबन दो सौ से अधिक बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया। शिक्षक पर यह भी आरोप है कि वह पीडि़त बच्चों को ब्लैकमेल कर उनसे पैसा भी वसूलता था। स्कूल प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में […]
न केवल पिछड़ों का, बल्कि इन वोट बैंक माने जाने वाले वर्गों का भी अच्छा खासा हिस्सा उन दलों में बंटता है, जिनको इनके खिलाफ माना जाता रहा है। इनमें से बहुत से मतदाता अपने प्रत्याशी अथवा दल की उपलब्धियों और विकास की नीतियों के कारण उसे मत देते हैं। यह अपने आप में सकारात्मक […]
महात्मा विदुर का मानना है कि राजा को चाहिए कि वह राजा कहलाने और राजछत्र धारण करने मात्र से ही संतुष्ट रहे, अर्थात राजा का ऐश्वर्य उसका राजा कहलवाना और राजछत्र धारण करना ही है। उसे चाहिए कि राज्य के ऐश्वर्यों को राज्यकर्मचारियों और प्रजा के लिए छोड़ दे, उनमें बांट दे, सब कुछ अकेला […]
13 अप्रैल 1919 भारतीय इतिहास का वह ‘काला दिवस’ है जिसे ‘जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड’ के लिए जाना जाता है। उस समय देश के स्वातंत्रय समर का क्रांतिकारी आंदोलन अपने यौवन पर था। कांग्रेस के नेता अक्सर यह कहते मिलते हैं कि देश की स्वतंत्रता के लिए हमने ही बलिदान दिये हैं-भाजपा जैसे दलों का स्वतंत्रता […]
हमें स्मरण रखना होगा कि संसार में मानव की मानवी और दानवी प्रवृत्तियों में एक शाश्वत संघर्ष चलता रहा है। इसे ‘देवासुर संग्राम’ की संज्ञा भी दी जाती है। मानव के भीतर का मानव उसे सृजनशील बनने के लिए प्रेरित करता है। उसे संसार के लिए उपयोगी और सकारात्मक बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित करता […]
डिजिटल अर्थव्यवस्था की सीमाएं
वर्तमान में यह एक खुला प्रश्न है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से कर वसूली बढ़ेगी या नहीं। कहावत है कि ताले शरीफों के लिए लगाए जाते हैं। चोर तो ताले को खोलना जानता ही है। इसी प्रकार कच्चे पर्चे कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रभावी होने में मुझे संशय है। उपरोक्त विवेचन […]
हमारे हिन्दू समाज में तैंतीस करोड़ देवों की कल्पना की गयी है। विद्वानों की अपनी-अपनी व्याख्याएं इस विषय में उपलब्ध हैं। हमें इस प्रकरण में प्रचलित व्याख्याओं का उल्लेख यहां विषयांतर के कारण नहीं करना है। आज हमें देवों के भी देव की आराधना करनी है, उसी की उपासना करनी है उसी की आरती उतारनी […]
भारत में आज न्यायालयों में करोड़ों वाद लंबित हैं। सस्ता और सुलभ न्याय देना सरकारी नीतियों का एक अंग है। किंतु यथार्थ में न्याय इस देश में इतना महंगा और देर से मिलने वाला हो गया है कि कई बार तो न्याय प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी वह न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होने […]