Categories
संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

पासबां जब चोर हो तो..

13 अप्रैल 1919 भारतीय इतिहास का वह ‘काला दिवस’ है जिसे ‘जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड’ के लिए जाना जाता है। उस समय देश के स्वातंत्रय समर का क्रांतिकारी आंदोलन अपने यौवन पर था। कांग्रेस के नेता अक्सर यह कहते मिलते हैं कि देश की स्वतंत्रता के लिए हमने ही बलिदान दिये हैं-भाजपा जैसे दलों का स्वतंत्रता […]

Categories
संपादकीय

देवासुर संग्राम का सत्य

हमें स्मरण रखना होगा कि संसार में मानव की मानवी और दानवी प्रवृत्तियों में एक शाश्वत संघर्ष चलता रहा है। इसे ‘देवासुर संग्राम’ की संज्ञा भी दी जाती है। मानव के भीतर का मानव उसे सृजनशील बनने के लिए प्रेरित करता है। उसे संसार के लिए उपयोगी और सकारात्मक बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित करता […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

हिंदुत्व की नई परिभाषा में छिपा है सच्चा राष्ट्रवाद

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने मध्यप्रदेश यात्रा के दौरान ऐसा बयान दे दिया है, जो हिंदुत्व शब्द की परिभाषा ही बदल सकता है। अभी तक भारत में हिंदू किसे कहा जाता है और अहिंदू किसे? पहले अहिंदू को जानें। जो धर्म भारत के बाहर पैदा हुए, वे अहिंदू यानी ईसाई, इस्लाम, […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

जर, जोरू और जमीन

भारतीय समाज में सामान्यतया जनसाधारण को यह कहते हुए सुना जाता है कि जर, जोरू और जमीन पर तो विश्व हमेशा से लड़ता आया है। हम विचार करें कि यह कथन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में कितना प्रासंगिक और सार्थक है? गहराई से पड़ताल की जाए तो ज्ञात होता है कि इस जर, जोरू […]

Categories
आर्थिकी/व्यापार

डिजिटल अर्थव्यवस्था की सीमाएं

वर्तमान में यह एक खुला प्रश्न है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से कर वसूली बढ़ेगी या नहीं। कहावत है कि ताले शरीफों के लिए लगाए जाते हैं। चोर तो ताले को खोलना जानता ही है। इसी प्रकार कच्चे पर्चे कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रभावी होने में मुझे संशय है। उपरोक्त विवेचन […]

Categories
संपादकीय

राष्ट्रदेव की पूजा करो

हमारे हिन्दू समाज में तैंतीस करोड़ देवों की कल्पना की गयी है। विद्वानों की अपनी-अपनी व्याख्याएं इस विषय में उपलब्ध हैं। हमें इस प्रकरण में प्रचलित व्याख्याओं का उल्लेख यहां विषयांतर के कारण नहीं करना है। आज हमें देवों के भी देव की आराधना करनी है, उसी की उपासना करनी है उसी की आरती उतारनी […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत का वह पुराना वंदनीय स्वरूप

भारत में आज न्यायालयों में करोड़ों वाद लंबित हैं। सस्ता और सुलभ न्याय देना सरकारी नीतियों का एक अंग है। किंतु यथार्थ में न्याय इस देश में इतना महंगा और देर से मिलने वाला हो गया है कि कई बार तो न्याय प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी वह न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होने […]

Categories
अन्य महत्वपूर्ण लेख राजनीति

गरीबों के मसीहा बनकर उभरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

संसद के वर्तमान बजट सत्र में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जो उत्तर दिया वह काफी ऐतिहासिक व लम्बा था। राजनैकि हलको मेंकहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन के माध्यम से जहां विपक्ष पर तीखा हमला बोल दिया वहीं दूसरी ओर एक प्रकार से ऐसा प्रतीत […]

Categories
राजनीति संपादकीय

संगठित लूट और कानूनी लूट

जब आप किसी के लिए कुछ कहते हैं तो समझ लीजिए कि आपके कहे की वह प्रतिक्रिया अवश्य करेगा। ऐसा हो ही नहीं सकता कि आप कुछ कहें और आगे वाले की ओर से कुछ भी प्रतिक्रिया ना हो। आगे वाले की प्रतिक्रिया हमारे लिए कर्णप्रिय और हृदय को प्रफुल्लित करने वाली हो-इसके लिए आवश्यक […]

Categories
संपादकीय

……कितना बदल गया इंसान

रामचंद्रजी पिता की पीड़ा को देखकर माता कैकेयी से पूछ लेते हैं कि ”माते! मेरे राजतिलक होने के पश्चात से पिताजी इतने व्यथित क्यों हैं?” माता कैकेयी रामचंद्रजी को सारा वृतांत सुना देती है, और कह देती है कि मुझे दिये वचनों से वह लौट नहीं सकते और तुम्हें राजतिलक करके अब तुमसे वनगमन के […]

Exit mobile version