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राजनीति

पाक नेताओं को संजीवनी प्रदान करता है कश्मीर मुद्दा

तनवीर जाफरीहम कश्मीर को लेकर रहेंगे,कश्मीर हमारा है तथा हम कश्मीर को कभी नहीं छाड़ेंगे जैसी बेतुकी बातें पाकिस्तान के नेताओं के मुंह से अक्सर सुनी जाती रही हैं। मरहूम ज़ुल्फि़कार अली भुट्टो ने कहा था कि चाहे हमें कश्मीर को हासिल करने के लिए भारत से सौ साल तक क्यों न लडऩा पड़े परंतु […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

जितने समय जहाँ हैं पूरे मन से काम करें

आजकल संक्रमण का दौर अक्सर आता-जाता रहता है। यह संक्रमण अन्यमनस्कता और उद्विग्नता के सायों को हमारे साथ कर देता है जहाँ मन का उचट जाना स्वाभाविक है और जब मन उचटने लगता है तब मस्तिष्क और शरीर भी अपने-अपने ढंग से शिथिलता को प्राप्त कर लिया करते हैं। यह वह अवस्था है जिसमें आदमी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

लाखों स्वतंत्रता सैनानियों की हत्या कर दी थी बलबन ने

गयासुद्दीन बलबन गुलाम वंश का सबसे प्रमुख सुल्तान था। नासिरूद्दीन के शासन काल में वह मुख्य सेनापति था और तब उसकी शक्ति में पर्याप्त वृद्घि हो गयी थी। बदायूंनी का कथन तो यह भी है कि सुल्तान नासिरूद्दीन ने राज्यसिंहासन पर बैठते ही उलुघ खां की उपाधि बलबन को दी थी और इस उपाधि को […]

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महत्वपूर्ण लेख

वार्तालाप द्वारा फैलाए तमिलनाडु में हिन्दी

डॉ. मधुसूदन (एक) प्रवेश और लाभ: इस पद्धति में, देवनागरी लिपि सीखना  आवश्यक  नहीं। सफलता  भी तुरंत प्राप्त होती है।  अनपढ भी हिन्दी बोलना सीख सकता है।यदि, बडी मात्रा में संसाधन लगाकर हिन्दी वार्तालाप तमिलनाडु में फैलाया जाए, तो,हिन्दी के लिए अनुकूल जनमानस बनाने में भी यह पद्धति सफल हो सकती है।तीर्थ स्थानों के मार्ग […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

हम सब हैं जासूस

बाहर चलने वाली हवाओं और हलचलों से इंसान हमेशा प्रभावित रहा है। उसे हमेशा यह जिज्ञासा रही है कि लोग क्या कर रहे हैं, बाहर क्या हो रहा है, कौन क्या कह रहा है, क्या सुन रहा है और क्या कर सकता है, क्या हो सकता है, क्या होना चाहिए। हम सभी लोग इसी महामारी […]

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गौ और गोवंश

गो, गोपाल, गोधरा-पृथ्वी

सियाराम दास त्यागीइस वैज्ञानिक युग में घोर अवैज्ञानिक मतिभ्रम फेेला हुआ है। तभी तो नास्तिकता, हिंसा स्वार्थ लोलुपता आदि अवगुणों को अधिकाधिक प्रश्रय मिल रहा है। मानवता पथभ्रष्ट हो गयी है। मनुष्य का मस्तिष्क और शरीर दोनों विकृत  से प्रतीत हो रहे है। यही कारण है कि विज्ञान के अंधभक्त प्राय: धर्म के नाम से […]

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भारतीय संस्कृति

भारत की चेतना का मूल प्रेरणास्रोत हैं वेद

राजेन्द्र सिंह अखिल वेद-चारों वेद इस सर्वप्राचीन राष्ट्र भारतवर्ष की धार्मिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक राजधर्मीय और ऐतिहासिक चेतना का मूल प्रेरणा स्रोत है। वेद प्रतिपादित कालगणना को आधार बनाकर आप द्वारा 2064-65 विक्रमी से श्री मोहन कृति आर्ष तिथि पत्रक निरंतर प्रकाशित किया जा रहा है। काल गणना संबंधी अनेक प्रचलित भ्रमों का निवारण करने वाले […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

कितना खर्च करते हैं हम अपनों पर

हर आदमी के अपने शौक होते हैं जिनके लिए वह खर्च करता है। विवेकशील लोग सीमित दायरे में रहकर खर्च करते हैं जबकि विवेकहीनों के खर्च का दायरा असीमित होता है। कई लोग ऎसे भी होते हैं जो सीमा से अधिक खर्च कर दिया करते हैं लेकिन ये विवेकहीन नहीं बल्कि अत्यन्त उदार और फक्कड़ […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-34

गतांक से आगे…. इन्हीं दोनों को ऋग्वेद 10 /14/11 में यौ ते श्वानौ यम रक्षितारौ चतुरक्षौ पथिरक्षी कहा गया है। ये श्वान सदैव द्विवचन में कहे गये हैं, जिससे ज्ञात होता है कि वे दो हैं। पर तिलक महोदय श्वान के विषय के जो चार प्रमाण देते हैं, उनमें सर्वत्र एक ही वचनवाला श्वान कहा […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

सोचें, क्या है हमारा अपना

हम बहुत सारे इंसानों को हमारे अपने और खूब सारी वस्तुओं को अपनी मानने में हमेशा गर्व का अनुभव करते हैं और यह गर्व हमें अपनी मृत्यु तक बना रहता है। सिर्फ मृत्यु के कुछ क्षण पहले शरीर से प्राण निकलते वक्त चंद सैकण्ड ही ऎसे होते हैं जब हर इंसान को अपनी संपदा, गलतियों […]

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