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कृषि जगत

जिन कृषि कानूनों का हो रहा है विरोध उन्हीं से महाराष्ट्र के किसानों ने कमाई 10 करोड़ रुपए

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पर्व – त्यौहार स्वास्थ्य

पोहा है भारतीय फास्ट फूड

  एस बी मूथा चिवड़ा, चूड़ा, चूरा आदि नाम से जाना जाने वाला पोहा सबका प्रिय है। पोहा पेसिंग राइस से बनता है और इसे आयरन का एक बेहतर स्रोत माना गया है। पोहे को और अधिक पौष्टिक बनाने के लिए इसमें नींबू का रस और मौसमी सब्जियां मिलाकर भी बनाया जा सकता है। आजकल […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारतीय धातु परंपरा और लोक कल्याण की भावना

    आर.के.त्रिवेदी विश्व के कल्याण का भाव लेकर ही भारत में धातुकर्म विकसित हुआ था। धातुकर्म के कारण ही भारत में बड़ी संख्या में विभिन्न धातुओं के बर्तन बना करते थे जो पूरी दुनिया में निर्यात किए जाते थे। धातुकर्म विशेषकर लोहे पर भारत में काफी काम हुआ था। उस परम्परा के अवशेष आज […]

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महत्वपूर्ण लेख

शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे ने तोड़ दिया है ममता बनर्जी को

एक तरफ चुनावी मौसम विशेषज्ञ डूबते जहाज को छोड़ अपनी जीविका के अपने नए आश्रय की ओर कूच कर रहे हैं, लेकिन कुछ दल अभी भी अपनी विध्वंस और अराजक पृष्ठभूमि त्यागने को तैयार नहीं। नवंबर 28 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हैदराबाद में ओवैसी के गढ़ को भगवामय करने के अलावा […]

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इतिहास के पन्नों से महत्वपूर्ण लेख वैदिक संपत्ति

बहुत ही चमत्कार पूर्ण ढंग से बनाया गया था जैविक घड़ी को

  पूनम नेगी (लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।) कभी सोचा है कि क्यों रात को एक तय समय पर पलकें झपकने लगती हैं और सुबह एक तय समय पर खुद व खुद हमारी आंखें खुल जाती हैं। हम ही नहीं पशु-पक्षियों और वृक्ष-वनस्पतियों का जीवनक्रम भी एक सुनिश्चित प्राकृतिक लय के अनुरूप ही चलता है। यह […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत का गौरवपूर्ण अतीत : वेदों में वर्णित जल और नौका विज्ञान

  कृपाशंकर सिंह ऋग्वेद मे कुएँ का उल्लेख अनेक ऋचाओं में हुआ है। इससे पता चलता है कि ऋग्वेदिक काल में सिंचाई के साधनों में कुआँ का उपयोग भी होता रहा होगा। इसकी प्रप्ति कई़ ऋचायों मे चरस का नाम आने से भी होती है। सम्भवतः पीने के लिये भी कुएँ के पानी का उपयोग […]

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पर्यावरण

प्रकृति का सानिध्य भरता है जीवन में सफलता के रंग

करतार सिंह धीमान (लेखक भारतीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के महानिदेशक हैं।) आयुर्वेद का सिद्धांत है कि जैसा हम इस प्रकृति में देखते हैं, ठीक वैसा ही हमारे शरीर में भी घटित होता रहता है। बाह्य प्रकृति के साथ हमारे शरीर की पूरी संबंद्धता है। इससे ही मानव प्रकृति का विषय प्रारंभ होता है। जैसे संसार […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों की श्रम व्यवस्था ही उत्तम है

  सुबोध कुमार (लेखक गौ एवं वेद विशेषज्ञ हैं।) भारतवर्ष में केवल 10 प्रतिशत ही श्रमिक ही संगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। लेकिन श्रमिक संघों के प्रभाव से इन मात्र 10 प्रतिशत श्रमिकों ने भारत वर्ष की आर्थिक नस पकड़ रखी है। इन श्रमिक संघों के नेतृत्व में श्रमिकों के हितों की सुरक्षा […]

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गौ और गोवंश

महान गौ भक्त लाला हरदेव सहाय

26 नवम्बर/जन्म-दिवस गोरक्षा आन्दोलन के सेनापति लाला हरदेवसहाय जी का जन्म 26 नवम्बर, 1892 को ग्राम सातरोड़ (जिला हिसार, हरियाणा) में एक बड़े साहूकार लाला मुसद्दीलाल के घर हुआ था। संस्कृत प्रेमी होने के कारण उन्होंने बचपन में ही वेद, उपनिषद, पुराण आदि ग्रन्थ पढ़ डाले थे। उन्होंने स्वदेशी व्रत धारण किया था। अतः आजीवन […]

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धर्म-अध्यात्म शिक्षा/रोजगार

भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आधार बने भारत का प्राचीन ज्ञान विज्ञान

  डॉ. सत्यपाल सिंह ( संसाद,बागपत ) इस देश ने चार बड़ी-बड़ी गलतियाँ कीं। सबसे पहली गलती यह कि मजहब के नाम पर देश को बाँट दिया। दूसरी गलती यह थी, भाषाओं के नाम पर राज्यों का बँटवारा किया गया, तीसरी गलती यह थी कि जातियों ने नाम पर समाज का बाँटा गया और चौथी […]

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