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कृषि जगत

पशुधन बना आमदनी का साधन

अंजली बीकानेर, राजस्थान देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आय का सबसे सशक्त माध्यम कृषि है. देश की आधी से अधिक ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर करती है. इसके बाद जिस व्यवसाय पर ग्रामीण सबसे अधिक निर्भर करते हैं वह है पशुपालन. बड़ी संख्या में ग्रामीण भेड़, बकरी और मुर्गी पालन कर इससे आय प्राप्त करते […]

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बंदरों के आतंक से प्रभावित होती कृषि

सपना कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंड “बंदरों की बढ़ती संख्या से हमारे खेती सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। कहा जाए तो बिल्कुल नष्ट होने की कगार पर है। हम जो भी सब्जियां लगाते हैं बंदर आकर सब कुछ नष्ट कर देते हैं। कई बार अगर आंगन में मैं अपने बच्चों को अकेले छोड़ देती हूं तो […]

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पशु प्रधान देश में पशुओं के लिए सुविधाओं का अभाव

प्रतिभा लूणकरणसर, राजस्थान भारत को कृषि और पशु प्रधान देश माना जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पशु का काफी महत्त्व है. विशेषकर गाय, बैल और बकरी जैसे जानवरों का काफी महत्त्व है. इनमें गाय का विशेष स्थान है. यह न केवल दूध देती है बल्कि यह पूजनीय भी है. हमारे देश में गाय […]

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वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा

नरेन्द्र सिंह बिष्ट नैनीताल, उत्तराखण्ड उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में […]

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अन्नदाता किसानों को समर्पित डॉ सत्यवान सौरभ की नई किताब ‘खेती किसानी और पशुपालन’

दोहे, कहानी, कविता, संपादकीय लिखने वाले डॉ सत्यवान सौरभ का जन्म बड़वा भिवानी हरियाणा में हुआ। ये वर्तमान दौर के युवा स्वतंत्र पत्रकार हैं तथा आकाशवाणी और टीवी पेनालिस्ट है। इसलिए उनकी रचनाएं सामयिक घटनाओं व प्रसंगों से प्रेरित होती हैं तथा उनकी रचनाएं देश भर के अखबारों में में प्रतिदिन अनिवार्य उपस्थिति रहती है। […]

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अज्ञात बीमारी का शिकार हो रहे पहाड़ी इलाकों के मवेशी

बाबर नफ़ीस डोडा, जम्मू एक ओर जहां इंसान कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर केंद्रशासित प्रदेश जम्मू के डोडा स्थित पहाड़ी इलाकों में मवेशियों के बीच एक अज्ञात बीमारी ने कोहराम मचा रखा है. जिसने अब तक कई पालतू मवेशियों की जाने ले ली हैं. ये मवेशी गरीबों की […]

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सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि

माधुरी सिन्हा गया, बिहार देश के निर्माण में शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों का भी बराबर का योगदान रहा है. शहर में जहां उद्योग और कल-कारखाने अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र कृषि के माध्यम से देश के विकास में अपनी भूमिका निभाता है. वैसे भी भारत को कृषि प्रधान देश […]

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किसान दिवस पर विशेष- किसान की दयनीयता.. क्या व्यवस्था की कमी है

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की लगभग अस्सी प्रतिशत आबादी खेती किसानी पर ही निर्भर है। अर्थात हमारे देश का अधिकतर वर्ग किसान की श्रेणी में आता है! फिर भारत में प्राकृतिक संसाधनों, ऊर्जा, औद्योगिक वातावरण, कुशल श्रम सभी कुछ आवश्यक तत्वों के होते हुए भी आज का किसान […]

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गांव की पशुशाला के बारे में विशेष जानकारी

गांव में पशुशाला – अधिकांश पशु गांव में रहते हैं और जब वे काम के नहीं रहते हैं तो लोग उन्हें कसाई को बेच देते हैं या खुला छोड़ देते हैं। कुछ लोग पशुओं को आवारा मजबूरी में छोड़ते हैं क्योंकि उनके पास पशुओं के लिए आहार नहीं होता है। जब पशु खुला आवारा हो […]

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कृषि के माध्यम से सशक्त होती ग्रामीण महिलाएं

तानिया चौरसों, उत्तराखंड देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई स्तरों पर काम किए जाते हैं। इसके लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। लेकिन हमारे देश में कृषि एक ऐसा सेक्टर है जहां महिला सशक्तिकरण सबसे अधिक देखी जाती है। बल्कि यह कहना गलत नहीं […]

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