Categories
महत्वपूर्ण लेख

शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे ने तोड़ दिया है ममता बनर्जी को

एक तरफ चुनावी मौसम विशेषज्ञ डूबते जहाज को छोड़ अपनी जीविका के अपने नए आश्रय की ओर कूच कर रहे हैं, लेकिन कुछ दल अभी भी अपनी विध्वंस और अराजक पृष्ठभूमि त्यागने को तैयार नहीं।

नवंबर 28 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हैदराबाद में ओवैसी के गढ़ को भगवामय करने के अलावा “आ गया आ गया शेर आ गया”, “जय श्रीराम” आदि गगनचुम्बी नारों के बीच सिंह गर्जना करना, इस बात का संकेत दे रहा है कि अब जनता तुष्टिकरण की सियासत से ऊब चुकी है। तेलंगाना में अपने प्रवास के दौरान लगभग 4/5 चुनाव देखे, लेकिन ऐसा चुनावी माहौल नहीं देखा। ऐसा आभास होता है कि योगी ने चुनावी माहौल को जरुरत से ज्यादा गरमा दिया है। भले ही म्युनिसिपल में बहुमत नहीं आये, परन्तु टक्कर जबरदस्त दे दी है।

लेकिन तब भी कुछ सियासतखोर देश में अराजकता का माहौल बनाकर अपने ही मार्ग में कांटे बिछा रहे हैं। बंगाल में भी इतनी अधिक तुष्टिकरण सियासत होने से सत्तारूढ़ में अपना अस्तित्व खतरे में देख पाला बदल ममता बनर्जी के लिए दिन-प्रतिदिन एक नयी मुसीबत खड़ी कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा और कॉन्ग्रेस की स्थानीय यूनिट उन्हें अपने पाले में लेना चाहती है। भाजपा उनके गढ़ में पहले ही पैठ बना चुकी है। लेकिन, इन सबके बीच सबसे ज्यादा नुकसान TMC और ममता बनर्जी को होने वाला है। 35 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले अधिकारी परिवार ने अपने समर्थकों से एकजुट होने की अपील की है। 

शुभेंदु अधिकारी ने अपने समर्थकों से कहा है कि वो सड़क पर उतरने के लिए गोलबंद हो जाएँ। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को भी जनता के बीच उतरने को कहा है। उन्होंने शनिवार (नवंबर 28, 2020) को अपने समर्थक TMC नेताओं को अपनी रणनीति समझाई। एक TMC नेता ने कहा कि पूरा अधिकारी समर्थक कैडर सड़क पर उतरने को तैयार है और अभी से चुनावी मोड में आ गया है। उन्हें इंतजार है तो सिर्फ अपने नेता की हरी झंडी का।

समर्थकों ने बताया कि इसके लिए पिछले 6 महीने से तैयारियाँ चल रही थीं। समर्थकों का कहना है कि वो 6 जिलों में पूरी तरह गोलबंद हैं और एक अलग संगठन के जरिए प्रचार मोड में हैं। ये सब तब हो रहा है, जब TMC सारे विकल्प खुले होने की बात करते हुए अभी भी अधिकारी को मनाने की कोशिश कर रहा है। पार्टी ने इसके लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सौगत रॉय को लगाया है, क्योंकि प्रशांत किशोर भी यहाँ फेल हो गए हैं।

रॉय ने बताया कि शुभेंदु अधिकारी की माँ की तबीयत ख़राब होने के कारण बातचीत में समय लग रहा है। इसी बीच दिसंबर 7 को मेदिनीपुर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली भी है। ये वही क्षेत्र है, जो अधिकारी परिवार का गढ़ है। शुभेंदु ने कैबिनेट से इस्तीफा देने के साथ-साथ ‘हुगली रिवर ब्रिज कमीशन’ और ‘हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी’ के अध्यक्ष पद को भी छोड़ दिया है। पूर्व मेदिनीपुर में रविवार को स्वतंत्रता सेनानी रंजीत कुमार बॉयल की याद में एक समारोह है, जहाँ वो अपने पत्ते खोल सकते हैं।

वो इन 5 जिलों में अपने करीबी TMC विधायकों और नेताओं से लेकर अपने जमीनी समर्थकों से लगातार संपर्क में हैं। एक नेता ने बताया कि वो किसी पर निर्भर नहीं रहने वाले हैं और उनका अपना एक ‘मास बेस’ है, ऐसे में इन 5 जिलों में पूरी तैयारी है। हावड़ा, हुगली, कोलकाता, बीरभूम से लेकर झारग्राम और सिलीगुड़ी तक उनके पोस्टर्स लहराते हुए पाए गए।

 

यहाँ ये सवाल उठ सकता है कि आखिर वो ममता बनर्जी के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं? 6 जिलों या 35 विधानसभा सीटों पर प्रभाव को हटा भी दें, फिर भी वो क्यों TMC के एक स्तंभ थे? इसके लिए हमें 13 साल पीछे 2007 में जाना होगा, जब ममता बनर्जी साढ़े 3 दशक से बंगाल में सत्ता भोग रहे वामपंथियों को बाहर करने के लिए नंदीग्राम हड़ताल पर थीं। इसी कार्यक्रम ने राज्य में सत्ता हस्तानांतरण की स्क्रिप्ट लिख दी थी।

नंदीग्राम पूर्व मेदिनीपुर में ही स्थित है और उस हड़ताल के आयोजन में सबसे बड़ी भूमिका अधिकारी परिवार की ही थी। राज्य में सिंचाई, यातायात एवं जल मंत्रालय संभाल रहे शुभेंदु अधिकारी भी नंदीग्राम से ही विधायक हैं। अब स्थिति ये है कि इस हड़ताल की याद में जो समारोह हुआ, उसमें ममता बनर्जी की तस्वीर ही नहीं थी। जिस तरह से पिछले कुछ महीनों से उनके कार्यक्रम बिना TMC बैनर के हो रहे थे, स्पष्ट है कि इसकी तैयारी काफी पहले से चल रही थी।

सबसे बड़ी परेशानी ये लग रही है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस में अब ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक का हस्तक्षेप बढ़ गया है और वो पार्टी से जुड़े कई फैसले ले रहे हैं। उन्हें ममता की अगली पीढ़ी के नेतृत्व के रूप में तैयार किया जा रहा है। साथ ही प्रशांत किशोर को भाजपा को रोकने के लिए लगाया गया है, जिससे कई नेता नाराज हैं। मुर्शिदाबाद, झारग्राम, बीरभूम, मालदा, पुरुलिया और बाँकुरा- ये वो 6 जिले हैं, जहाँ शुभेंदु ने तृणमूल को कड़ी मेहनत कर के स्थापित किया।

शुभेंदु अधिकारी के पिता और उनके दोनों भाई उनके हर निर्णय को मानते आ रहे हैं और वो अब भी उनके ही साथ हैं। पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि TMC नेतृत्व अंततः शुभेंदु को भाजपा में ही भेजेगा। उन्होंने कहा कि उनके लिए भाजपा के रास्ते खुले हुए हैं। राज्य में लगभग मर चुकी कॉन्ग्रेस भी बेचैन है, लेकिन उसे कोई गंभीरता से लेता नहीं। ऐसे में उनके अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं।

हाल ही में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के कूच विहार क्षेत्र से असंतुष्ट विधायक मिहिर गोस्वामी भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली में बीजेपी महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में गोस्वामी पार्टी में शामिल हुए। सिंगूर के विधायक रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी भी टीएमसी से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने भी पार्टी छोड़ने की धमकी दे रखी है। वे पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष पद से अपने करीबी को हटाए जाने से नाराज बताए जाते हैं।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version