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इतिहास के पन्नों से

बड़ा दिन अर्थात 25 दिसंबर है भीष्म पितामह का निर्माण दिवस

महाभारत युद्ध के पश्चात आज के दिन अर्थात 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण में आने के पश्चात भीष्म पितामह अर्थात उस समय के सबसे बड़े व्यक्ति ने प्राण त्याग किया था , इसीलिए विश्व आज भी इस महत्वपूर्ण घटना को ‘बड़ा दिन ‘ अर्थात ‘ महान दिवस : कहकर सम्मान देता है और हम […]

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संपादकीय

झारखंड : वास्कोडिगामा के मरण दिवस 24 दिसंबर पर वास्कोडिगामा का जीवित हो उठना – – – अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ?

ईसाइयत की मार झेलते हुए झारखंड ने अपना निर्णय दे दिया है । देश के कई लोगों के लिए यह खुशी का विषय है कि फिर वही लोग सत्ता में आ गए हैं जिनके कारण ईसाईकरण की प्रक्रिया इस देश में बलवती हुई । हमने उस विचार और विचारधारा को झारखंड में ठुकरा दिया है […]

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राजनीति

क्या नागरिक संशोधन अधिनियम की मजहबी उन्मादी आग से 2024 में रोशन होगी भाजपा ?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार लगता है 1555 में नॉस्त्रेदमस द्वारा की गयीं भविष्यवाणियां परवान चढ़ रही है। दूसरे, चाणक्य के कथन को देखें कि “जब देश के राजा के विरुद्ध शोर मचे, समझ लो राजा सख्त है।” भी चरितार्थ होती प्रतीत हो रही है।नागरिक संशोधन कानून पर हो रहे उपद्रवों से मोदी सरकार को लेशमात्र भी […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वामी श्रद्धानंद की भारतीय हिंदू शुद्धि सभा और हिंदू महासभा

शहीदी दिवस 23 दिसंबर पर विशेष शुद्धि आंदोलन में स्वामी श्रद्धानन्द (1856- 1926) का स्थान अमर है। आगरा में 13 फरवरी,1923 की क्षत्रिय उपकारिणी सभा की बैठक में उन्हें बुलाया गया था। इसमें सनातनी, आर्यसमाजी, सिख, जैन भी आए थे। यहीं ‘भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा’ का गठन हुआ। इसी के दस दिन बाद स्वामी जी […]

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विशेष संपादकीय

अल्पसंख्यक की परिभाषा भारत में क्यों नहीं ?

भारत में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक जैसे शब्द सुनने को तो बहुत मिलते हैं , परंतु वास्तव में अल्पसंख्यक कौन हो सकता है , और बहुसंख्यक किसे कह सकते हैं ? – यह आज तक स्पष्ट नहीं है । इस विषय में सबसे पहले 1899 में ब्रिटिश जनगणना आयुक्त ने सिख ,जैन ,बौद्ध ,पारसी और मुसलमान […]

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मुद्दा

भ्रष्टाचार और मनमानी का अड्डा बना आईजीएनसीए

सिद्धार्थ शंकर गौतम भारतीय कला और संस्कृति के बिखरे खंडों को एकत्रित करने और उनके संरक्षण की आवश्यकता को पहचानते हुए 1987 में मूर्धन्य कला विद्वान डॉ. कपिला वात्स्यायन ने इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की स्थापना की थी। उन्होंने इस केन्द्र को देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाई किन्तु वर्तमान में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला […]

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धर्म-अध्यात्म

पाश्चात्य विद्वानों की दृष्टि में उपनिषद

भारत की संस्कृति की अमूल्य धरोहर उपनिषद न केवल भारतीयों की आध्यात्मिक तृप्ति का साधन बने , अपितु उन्होंने अपने दिव्य ज्ञान की आभा से पश्चिमी विद्वानों को भी प्रभावित किया । अनेकों पश्चिमी विद्वानों ने भारत के उपनिषदों को पढ़कर अपने जीवन में भारी परिवर्तन किए । इतना ही नहीं कइयों ने तो बाइबल […]

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इतिहास के पन्नों से

हिंदू राष्ट्र स्वप्न द्रष्टा : बंदा वीर बैरागी

——————————————–अध्याय —- 18तत्तखालसा और बंदा वीर बैरागीदिल्ली के मुगल राज्य सिंहासन पर फर्रूखसियर जब विराजमान हुआ तो उसने बादशाह बनते ही बंदा वीर बैरागी के विरुद्ध षड्यंत्रकारी नीतियों को प्रोत्साहित करना आरंभ कर दिया । बादशाह स्वयं भी बंदा वीर बैरागी को अपने लिए एक चुनौती मान रहा था । वह चाहता था कि जैसे […]

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धर्म-अध्यात्म

वेद और धर्म की रक्षा के लिए संगठन और शुद्धि आवश्यक है

ओ३म् =========== अपनी रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म व कर्तव्य है। यह रक्षा न केवल शत्रुओं से अपितु आदि-व्याधि वा रोगों से भी की जाती है। अपने चरित्र की रक्षा भी सद्नियमों के पालन से की जाती है। वेद व धर्म को खतरा किससे है? इसका उत्तर है कि जो वेद को नहीं मानते, […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

देश की राजनीति का दोगला और देशद्रोही चरित्र

सत्ता स्वार्थों की राजनीति की देश में इस समय तूती बोल रही है । नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर राजनीतिक दलों ने देश में आग लगा रखी है । सत्ता की प्राप्ति के लिए उतावले कुछ विपक्षी दल बिना इस बात की परवाह किए इस कार्य को करते चले जा रहे हैं कि इसका परिणाम […]

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