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इतिहास के पन्नों से

इतिहास हमारे आने वाली पीढ़ियों को ऊर्जान्वित करता है

इतिहास की विशेषता इतिहास किसी जाति के अतीत को वर्तमान के संदर्भ में प्रस्तुत कर भविष्य की संभावनाओं को खोजने का माध्यम है। इतिहास अतीत की उन गौरवपूर्ण झांकियों की प्रस्तुति का एक माध्यम होता है जो हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है और उन्हें संसार में आत्माभिमानी, आत्म सम्मानी और स्वाभिमानी बनाता […]

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इतिहास के पन्नों से

हिंदू राष्ट्र स्वप्न द्रष्टा बंदा वीर बैरागी

——————————– —– अध्याय — 19 स्वतंत्रता हमसे दूर चली गई वीर सावरकर ने लिखा है कि :— ” 17 वीं शताब्दी के प्रारंभ से अर्थात प्राय: शिवाजी के जन्म से ही हिंदू मुसलमानों के संघर्ष में रणदेवता के निर्णय में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन देखा जाने लगा । पहले जहां हिंदू मुस्लिम संघर्ष में अंतिम पराजय […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

शंकराचार्य के पंच प्यारे और वर्तमान राजनीति

देश के थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि जो देश में हिंसा भड़काए या आग लगाए वह व्यक्ति नेता नहीं हो सकता । जनरल रावत ने चाहे चाहे जिस नेता के लिए भी ऐसा कहा हो , परंतु वर्तमान की परिस्थितियों को देखकर उनके इस वक्तव्य का बहुत गहरा अर्थ है। सचमुच […]

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आज का चिंतन

वास्तविक बाल दिवस तो आज है : गुरु पुत्र फतेह सिंह और जोरावर सिंह को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धा सुमन

देश अभी ईसा मसीह के जन्म दिवस की खुशियों में डूबा हुआ है । धर्मनिरपेक्षता का राग हमारे सिर पर किस कदर चढ़कर बोल रहा है इस बात का पता हमारे इस आचरण से चल जाता है कि हम ने 25 दिसंबर को महाराजा सूरजमल को , पंडित मदन मोहन मालवीय जी और अटल बिहारी […]

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इतिहास के पन्नों से

बड़ा दिन अर्थात 25 दिसंबर है भीष्म पितामह का निर्माण दिवस

महाभारत युद्ध के पश्चात आज के दिन अर्थात 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण में आने के पश्चात भीष्म पितामह अर्थात उस समय के सबसे बड़े व्यक्ति ने प्राण त्याग किया था , इसीलिए विश्व आज भी इस महत्वपूर्ण घटना को ‘बड़ा दिन ‘ अर्थात ‘ महान दिवस : कहकर सम्मान देता है और हम […]

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संपादकीय

झारखंड : वास्कोडिगामा के मरण दिवस 24 दिसंबर पर वास्कोडिगामा का जीवित हो उठना – – – अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ?

ईसाइयत की मार झेलते हुए झारखंड ने अपना निर्णय दे दिया है । देश के कई लोगों के लिए यह खुशी का विषय है कि फिर वही लोग सत्ता में आ गए हैं जिनके कारण ईसाईकरण की प्रक्रिया इस देश में बलवती हुई । हमने उस विचार और विचारधारा को झारखंड में ठुकरा दिया है […]

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राजनीति

क्या नागरिक संशोधन अधिनियम की मजहबी उन्मादी आग से 2024 में रोशन होगी भाजपा ?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार लगता है 1555 में नॉस्त्रेदमस द्वारा की गयीं भविष्यवाणियां परवान चढ़ रही है। दूसरे, चाणक्य के कथन को देखें कि “जब देश के राजा के विरुद्ध शोर मचे, समझ लो राजा सख्त है।” भी चरितार्थ होती प्रतीत हो रही है।नागरिक संशोधन कानून पर हो रहे उपद्रवों से मोदी सरकार को लेशमात्र भी […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वामी श्रद्धानंद की भारतीय हिंदू शुद्धि सभा और हिंदू महासभा

शहीदी दिवस 23 दिसंबर पर विशेष शुद्धि आंदोलन में स्वामी श्रद्धानन्द (1856- 1926) का स्थान अमर है। आगरा में 13 फरवरी,1923 की क्षत्रिय उपकारिणी सभा की बैठक में उन्हें बुलाया गया था। इसमें सनातनी, आर्यसमाजी, सिख, जैन भी आए थे। यहीं ‘भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा’ का गठन हुआ। इसी के दस दिन बाद स्वामी जी […]

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विशेष संपादकीय

अल्पसंख्यक की परिभाषा भारत में क्यों नहीं ?

भारत में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक जैसे शब्द सुनने को तो बहुत मिलते हैं , परंतु वास्तव में अल्पसंख्यक कौन हो सकता है , और बहुसंख्यक किसे कह सकते हैं ? – यह आज तक स्पष्ट नहीं है । इस विषय में सबसे पहले 1899 में ब्रिटिश जनगणना आयुक्त ने सिख ,जैन ,बौद्ध ,पारसी और मुसलमान […]

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मुद्दा

भ्रष्टाचार और मनमानी का अड्डा बना आईजीएनसीए

सिद्धार्थ शंकर गौतम भारतीय कला और संस्कृति के बिखरे खंडों को एकत्रित करने और उनके संरक्षण की आवश्यकता को पहचानते हुए 1987 में मूर्धन्य कला विद्वान डॉ. कपिला वात्स्यायन ने इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की स्थापना की थी। उन्होंने इस केन्द्र को देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाई किन्तु वर्तमान में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला […]

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