——————————————–अध्याय —- 18तत्तखालसा और बंदा वीर बैरागीदिल्ली के मुगल राज्य सिंहासन पर फर्रूखसियर जब विराजमान हुआ तो उसने बादशाह बनते ही बंदा वीर बैरागी के विरुद्ध षड्यंत्रकारी नीतियों को प्रोत्साहित करना आरंभ कर दिया । बादशाह स्वयं भी बंदा वीर बैरागी को अपने लिए एक चुनौती मान रहा था । वह चाहता था कि जैसे […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
ओ३म् =========== अपनी रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म व कर्तव्य है। यह रक्षा न केवल शत्रुओं से अपितु आदि-व्याधि वा रोगों से भी की जाती है। अपने चरित्र की रक्षा भी सद्नियमों के पालन से की जाती है। वेद व धर्म को खतरा किससे है? इसका उत्तर है कि जो वेद को नहीं मानते, […]
सत्ता स्वार्थों की राजनीति की देश में इस समय तूती बोल रही है । नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर राजनीतिक दलों ने देश में आग लगा रखी है । सत्ता की प्राप्ति के लिए उतावले कुछ विपक्षी दल बिना इस बात की परवाह किए इस कार्य को करते चले जा रहे हैं कि इसका परिणाम […]
ओ३म् ============= महाभारत युद्ध के बाद देश का सर्वविध पतन व पराभव हुआ। इसका मूल कारण अविद्या था। महाभारत के बाद हमारे देश के पण्डित, ज्ञानी वा ब्राह्मण वर्ग ने वेद और विद्या के ग्रन्थों का अध्ययन-अध्यापन प्रायः छोड़ दिया था जिस कारण से देश के सभी लोग अविद्यायुक्त होकर असंगठित हो गये और ईश्वर […]
-मनमोहन कुमार आर्य वेद संसार के सबसे पुराने धर्म ग्रन्थ हैं। वेद के विषय में ऋषि दयानन्द के विचार हैं कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। सृष्टि के आरम्भ से ही महाभारत और उसके भी बाद आर्य राजा पृथिवीराज चौहान तक भारत में आर्य राजा हुए हैं। वेदों की उत्पत्ति 1.96 अरब वर्ष […]
भारत की राष्ट्रीय चेतना को आर्ष ग्रंथों ने बहुत अधिक प्रभावित किया है । बहुत दीर्घकाल तक भारतीय संस्कृति की प्रेरणा के स्रोत बने इन ग्रंथों ने भारत के राष्ट्रीय मानस को ,राष्ट्रीय चेतना को , राष्ट्रीय परिवेश को और राष्ट्रीय इतिहास को इतना अधिक प्रभावित किया है कि इनके बिना भारतीयता के उद्बोधक इन […]
✍ *शरद पूर्णिमा* की रात को *रश्मि* बिखरते चांद को जब मैंने अठखेलियाँ करते देखा तब नयन खो गये नयन में अपने चन्द्र अयन में पता ही नहीं चला कब भोर हो गयी चहक शोर हो गयी आश्विन का दीवानापन हँसते हँसते विदा हो गया कार्तिक को सौंप भार संदेश बीज बो गया जा रहा […]
यह जीवन है अबुझ पहेली हँस-हँस कर सुलझाना । भटक चुके हैं कई बटोही तुम भी भटक न जाना ।। पीड़ा की क्रीड़ा को समझो तभी समझ में आएगा । बिन समझे जो कदम बढ़ाया वह निश्चय पछतायेगा।। बिन सोचे समझे प्रियवर मत तम में तीर चलाना । यह जीवन है————- जग का हर व्यवहार […]
ओ३म् =========== जिस समाज व देश में अनेक विचारधारायें, मत- मतान्तर आदि हों वहां एक विचारधारा व सिद्धान्तों के लोगों को संगठित रहना चाहिये अन्यथा वह सुरक्षित नहीं रह सकते। इतिहास में उदाहरण देखे जा सकते हैं कि हमारी जाति का महाभारत युद्ध से लेकर आज तक क्या हश्र हुआ है। महाभारत के समय पूरे […]
—————————————– अध्याय 17 मुगलिया शासन व्यवस्था और बंदा बैरागी धरती के फैले आंगन में पल दो पल है रात का डेरा, जुल्म का सीना चीर के देखो , झांक रहा है नया सवेरा , ढलता दिन मजबूर सही , चढ़ता सूरज मजबूर सही , रात के राही रुक मत जाना , सुबह की मंजिल दूर […]