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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-37

गतांक से आगे……… यहां हम थोड़ा सा उसका इतिहास देकर उसके विषय प्रतिपादन की ओर आना चाहते हैं। तिलक महोदय ने ‘ओरायन मृगशीर्ष’ ग्रंथ लिखने के पांच वर्ष बाद सन 1898 में उत्तरधु्रव निवास लिखा और उसका सारांश एक पत्र द्वारा मैक्समूलर के पास भेजा। पत्र के उत्तर में मैक्समूलर ने लिखा कि कितने ही […]

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विशेष संपादकीय

करोड़ों में खेलने वाले, ने किया करोड़ों की भावनाओं से खिलवाड़

शिकारी एक हिरण का पीछा कर रहा था। दौड़ता हुआ हिरण अचानक रूका और एक लता के पीछे छिप गया। शिकारी उसे ढूंढ़ता हुआ आगे निकल गया। हरी भरी लता को देखकर हिरण के मुंह में पानी आ गया और उसने लता को खाना आरंभ कर दिया। थोड़ी ही देर में उसने लता का काफी […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-36

गतांक से आगे…. हमको, आपको, तिलक महाराज को और अन्य किसी को भी क्या अधिकार है किवह इन समयों को पहिली ही आवृत्ति का समझे? अर्थात वह यह क्यों समझ  ले कि यह अवस्था केवल अभी हाल ही की आवृत्ति की है? हम ऊपर लिख चुके हैं, कि किसी जमाने में वसंतसंपात फाल्गुनी पूर्णिमा के […]

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विशेष संपादकीय

शिवसेना और ‘खिसियायी बिल्ली’

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया था कि महाराष्ट्र की जनता ने अपना जनादेश शिवसेना के विरूद्घ दिया था। वहां की जनता परिवर्तन चाहती थी और मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित थी। शिवसेना के उद्घव ठाकरे का प्रयास प्रारंभ से ही ये रहा कि महाराष्ट्र में चल रही परिवर्तन की लहर को […]

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विशेष संपादकीय

श्रमदान की भावना को जगाते मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। हमारे देश में रेलवे कोच से बस तक और रेलवे स्टेशनों से लेकर गांव की  चौपाल तक हर सार्वजनिक स्थल पर गंदगी फेेलाना लोगों ने अपना मौलिक अधिकार मान लिया है। जिससे सार्वजनिक स्थलों के विषय में मान्यता भी कुछ ऐसी बन गयी […]

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विशेष संपादकीय

इमाम-शरीफ और मोदी

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने अपने छोटे बेटे को आगामी 22 नवंबर को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए होने वाले कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित ना करने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया है। शाही इमाम का यह निर्माण निश्चित ही साम्प्रदायिक है, क्योंकि […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-35

गतांक से आगे……ऋग्वेद में है कि-संवत्सरं शशयाना ब्राह्मण व्रतचारिण:।वाचं पर्जन्यजिन्वितां प्र मण्डूका अवादिषु:।।ब्राह्मणासो अतिरात्रे न सोमे सरो न पूर्णमभितो वदन्त:।संवतत्सरस्य तदह: परिष्ठ यन्मण्डूका: प्रावृषीण्र बभूव।।(ऋ 7/103/7)यहां स्पष्ट कहा गया है कि संवत्सर भर सोये हुए मण्डूक पर्जन्य पड़ते ही बोलने लगे, क्योंकि संवत्सरस्य तदह: अर्थात संवत्सर का वही दिन है। कहने का मतलब यह है […]

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विशेष संपादकीय

पी.एम. का ‘श्रमेव जयते’ उदघोष

विगत 16 अक्टूबर को राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम’ का शुभारंभ कर श्रम पर पूंजी के अनैतिक और अवैधानिक राज को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने श्रमिकों को ‘राष्ट्र योगी और राष्ट्र निर्माता’ जैसे विशेष अलंकरणों से संबोधित कर उनकी उपयोगिता, […]

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विशेष संपादकीय

‘वन्देमातरम्’ को राष्ट्रगान घोषित करो

वेदों में मातृभूमि-वंदना बड़ी प्राञ्जल भाषा में की गयी है। वास्तव में साहित्य वही होता है, जो पाठक के भीतर मचलन उत्पन्न करे। उसके भीतर अवैज्ञानिक, अतार्किक और बुद्घिहीनता की परिचायक धारणाओं, मान्यताओं और परंपराओं के लगे ढेर में आग लगा दे, उसकी होली जला दे। शिक्षा का उद्देश्य भी यही है, और गुरू (गु […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-34

गतांक से आगे…. इन्हीं दोनों को ऋग्वेद 10 /14/11 में यौ ते श्वानौ यम रक्षितारौ चतुरक्षौ पथिरक्षी कहा गया है। ये श्वान सदैव द्विवचन में कहे गये हैं, जिससे ज्ञात होता है कि वे दो हैं। पर तिलक महोदय श्वान के विषय के जो चार प्रमाण देते हैं, उनमें सर्वत्र एक ही वचनवाला श्वान कहा […]

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