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विशेष संपादकीय

हमारे जीवन की हैं चार गतियां

यज्ञ अपने आप में एक व्यवस्था का नाम है। किसी याज्ञिक परिवार में यज्ञ करते समय जितनी सुंदर व्यवस्था से या अव्यवस्था से लोग बैठे हों, उसे देखकर ही अनुमान लगाया जा सकता है कि ये लोग परिवार में कैसी व्यवस्था को लागू करके रहते हैं। ‘सूय्र्याचन्द्रमसाविव’ का आदर्श यदि किसी परिवार ने अपना लिया […]

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विशेष संपादकीय

वतन को फिर गिरवी न रख देना वतन वालो

जमीं बेच देंगे जमां बेच देंगे ये मुर्दों के सिर के कफन बेच देंगे। कलम के सिपाही अगर बिक गये तो वतन के ये नेता वतन बेच देंगे।।सचमुच पी.डी.पी. के हाथों में धरती के स्वर्ग कश्मीर को जिस प्रकार मोदी ने दे दिया है और वहां के मुख्यमंत्री मुफ्ती ने मुफ्त में मिली कश्मीर की […]

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विशेष संपादकीय

मदर टेरेसा की ‘सेवा-भावना’ और मोहन भागवत का बयान

पिछले दिनों आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत ने मदर टेरेसा के विषय में कह दिया कि मदर टेरेसा की सेवा भावना का उद्देश्य अभावग्रस्त लोगों को ईसाई बनाना था। इस पर कुछ सैकुलरिस्टों ने शोर मचाना आरंभ कर दिया। पर हमें नही लगता कि इसमें मोहन भागवत ने कुछ गलत कहा हो। मोहन भागवत का यह […]

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विशेष संपादकीय

मौहम्मद मुफ्ती इलियास का हृदय बोल पड़ा-‘मैं हिंदू हूं’

प्रसिद्घ इतिहासज्ञ डा. पी.एन. ओक महोदय सरीखे खोजी विद्वान ‘‘भारतीय इतिहास और विश्व साम्राज्य’’ के उस स्वर्णिम काल के तथ्यों को उद्घाटित करने में बड़े सफल रहे हैं, जिसे भारतीय अस्मिता और गौरव का काल कहा जा सकता है।बोर्नियो, इण्डोनेशिया, मलेशिया, कोरिया, चम्पा, जावा, सुमात्रा, बाली और कम्बोडिया जैसे देशों में आर्य संस्कृति के पर्याप्त […]

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विशेष संपादकीय

प्रधानमंत्री जी, आवश्यकता है प्रशासन तंत्र को सक्रिय करने की

दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं,  इन चुनाव परिणामों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। इनसे स्पष्ट संकेत मिला है कि जनसमस्याओं का ढेर देश के हर क्षेत्र में बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है। उनका समाधान प्रस्तुत करने में सरकारी तंत्र पूर्णत: निष्फल रहा है। इसलिए जनता मतदान करते […]

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विशेष संपादकीय

संविधान की 65वीं वर्षगांठ के अवसर पर चिंतनीय विषय

1947 में देश के विभाजन का प्रमुख कारण मुस्लिम साम्प्रदायिक थी। जिन्नाह ने स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि-‘‘हिंदू मुसलमानों का एक राष्ट्र के रूप में सहअस्तित्व संभव नही है। वह दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। किसी भी राजनैतिक अथवा प्रशासनिक उपाय द्वारा उनको एक राष्ट्र में संगठित नही किया जा सकता है। उनके प्रेरणा स्रोत […]

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विशेष संपादकीय

‘राहुल गांधी : ‘मौज करन’ नही, ‘चलो चलिए देश नूं युद्घ करन’

बात 1912 की है। भारत का एक नवयुवक सैन्फ्रासिस्को पहुंचा। सैन्फ्रासिस्को में उन दिनों बाहर से आने वाले लोगों पर रोक-टोक होने लगी थी। इसलिए इमीग्रेशन अधिकारी ने उस भारतीय युवक से पूछा-‘‘तुम यहां क्यों आये हो?’’युवक ने कहा-‘‘मैं पढऩे के लिए आया हूं।’’अधिकारी ने पुन: पूछा-‘‘क्या भारतवर्ष में पढऩे की सुविधा नही है?’’युवक ने […]

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विशेष संपादकीय

नववर्ष पर भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब

नये वर्ष की पूर्व संध्या पर पाकिस्तान ने फिर दुस्साहस किया और भारत के एक बीएसएफ जवान को शहीद कर दिया। भारत का जवान शहीद तो हो गया, पर हमारे जांबाज सैनिकों ने भी ईंट का जवाब पत्थर से देकर पाकिस्तान के चार जवानों को मौत की नींद सुला दिया। वास्तव में जब देश का […]

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विशेष संपादकीय

साध्वी के बयान पर नरेन्द्र मोदी की सटीक प्रतिक्रिया

केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने पिछले दिनों बयान दिया जिसमें एक समुदाय के लोगों को उन्होंने ‘रामजादा’ तो दूसरे समुदाय के लोगों को ”…..रामजादा” कह दिया। भारत जैसे महान देश की केन्द्रीय मंत्री की भाषा में यदि ऐसे शब्द आते हैं, तो निश्चय ही इसे राजनीति के गिरते हुए स्तर के रूप में देखा […]

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विशेष संपादकीय

‘चाणक्य’ को ‘नंदवंश’ के समूलोच्छेदन के लिए ‘शिखाबंधन’ खोलना ही होगा

नोएडा प्राधिकरण का प्रभावशाली अधिकारी यादव सिंह इस समय चर्चा में है। उसका चर्चा में आने का कारण उसकी कार्यक्षमता नही है, अपितु भ्रष्टाचार की ‘कलाकारी’ है। उसके पास से अब तक करोड़ों के आभूषण और नकदी प्राप्त की जा चुकी है। पर प्रश्न किसी को पकड़ लेना या चोर केे रूप में आरोपित करने […]

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