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विशेष संपादकीय

‘वन्देमातरम्’ को राष्ट्रगान घोषित करो

वेदों में मातृभूमि-वंदना बड़ी प्राञ्जल भाषा में की गयी है। वास्तव में साहित्य वही होता है, जो पाठक के भीतर मचलन उत्पन्न करे। उसके भीतर अवैज्ञानिक, अतार्किक और बुद्घिहीनता की परिचायक धारणाओं, मान्यताओं और परंपराओं के लगे ढेर में आग लगा दे, उसकी होली जला दे। शिक्षा का उद्देश्य भी यही है, और गुरू (गु […]

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