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वे अपने हो नहीं सकते….

वे अपने हो नहीं सकते जो तेरे साथ रहकर भी। पराए गीत गाते हों, तेरे जिगरे को खाकर भी।। क्यों करता बात बचकानी तनिक तो सोच ऐ बंदे ! भरोसा मत करो उन पर, जो करते काम है गंदे।। वतन के हैं वह दुश्मन , अनेकों कसमें खाकर भी … पराए गीत गाते हों, तेरे […]

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जो 300 साल पहले हो रहा था ,वही आज भी हो रहा है

धर्म और संस्कृति पर जब-जब भी आपदा आई है तब तब मां भारती ने अनेक ऐसे शूरवीर धर्मवीर पैदा किए हैं जिनके कारण जनेऊ और चोटी की वैदिक संस्कृति की रक्षा हो सकी है। ऐसा ही एक धर्मवीर बालक 1719 में पैदा हुआ था । उस समय दिल्ली पर मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला का […]

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Uncategorised हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

रामप्रसाद बिस्मिल जी व काकोरी के केस पर दुर्लभ जानकारी जो आपने अब से पहले नहीं पढ़ी होगी

राम प्रसाद बिस्मिल काकोरी कांड के मुख्य अभियुक्त थे। इनकी फांसी के बाद इनका परिवार अभावों मे रहा। सरकारों ने कोई सुध नहीं ली। परंतु आज हमारे लेख का विषय इनके वकील और सरकारी वकील व नेहरू खानदान से है। पण्डित जगत नारायण मुल्ला- ब्रिटिश सरकार की ओर से सरकारी वकील थे। बिस्मिल और बाकी […]

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Uncategorised शिक्षा/रोजगार

बच्चों को दिलानी होगी बस्तों के बोझ से निजात

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा एनसीईआरटी सहित विशेषज्ञों ने स्कूल बैग का वजन कम करने के सुझाव भी दिए हैं और यह सुझाव आज के नहीं हैं। इन सुझावों को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके लिए स्कूलों को अपने सिस्टम में सुधार करना होगा। यह […]

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वाशिष्ठ नगर(बस्ती) नाम से और बहुत कुछ किया जा सकता है

डा. राधेश्याम द्विवेदी वसिष्ठ यानी सर्वाधिक पुरानी पीढ़ी का निवासी:- महर्षि वसिष्ठ का निवास स्थान से सम्बन्धित होने के कारण बस्ती का नामकरण उनके नाम के शब्दों को समेटा जा रहा है। प्राचीन काल में यह अवध की ही इकाई रही हैं। वसिष्ठ मूलतः ‘वस’ शब्द से बना है जिसका अर्थ – रहना, निवास, प्रवास, […]

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भारत विरोधी शक्तियों की साजिशों के जाल में फंसने से बच कर रहें

सुरेश हिन्दुस्थानी  भारत में सर्व धर्म समभाव की अवधारणा वाली संस्कृति पुरातन काल से चली आ रही है। इसका आशय यही है कि सभी की आस्था और श्रद्धा का सम्मान करना चाहिए, लेकिन विसंगति यही है कि ऐसा व्यवहार करने की केवल हिन्दू समाज से ही अपेक्षा की जाती है। किसी शायर ने कहा है […]

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समाज चाहे तो सद्भाव बना रह सकता है

 ललित गर्ग अगर प्रांत का सर्वोच्च शासक एवं कानून-व्यवस्था सख्त हो, तो किसी भी तरह का उपद्रव फैलाना आसान नहीं होता। मगर पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं को देखते हुए यही लगता है कि कुछ उपद्रवी तत्त्व बाकायदा रणनीति बना कर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। धार्मिक व साम्प्रदायिक भावना को धार देकर […]

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लोग समान व्यवहार, सम्मान, नैतिकता और कानून चाहते हैं, जबकि इस्लामी नेता और उनके वामपंथी सहयोगी एक विशेषाधिकार का दबाव बना रहे हैं…

————————————————- इन दिनों यूरोप और अमेरिका में ब्लासफेमी यानी ईशनिंदा रोकने के लिए कानून बनाने पर विवाद हो रहा है। एक ओर राजनीतिक इस्लाम के सिद्धांत, व्यवहार और इतिहास के प्रति चेतना बढ़ रही है, तो दूसरी ओर “इस्लामोफोबिया” यानी इस्लाम से डराने का आरोप बढ़ रहा है। हाल में संयुक्त राष्ट्र की ओर से […]

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भारत करे कड़वे सत्य का सेवन- ‘शेष’ जो भी है, वह ‘अवशेष’ मात्र है

डॉ आनंद पाटील हंसराज रहबर के ग्रंथ ‘नेहरू बेनकाब’ (भगतसिंह विचार मंच, दिल्ली 2005) के आमुख में लिखित वृतांत– “शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कड़वी दवा का सेवन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कड़वे सत्य का सेवन आवश्यक है।” (पृ. 5) पर सबका ध्यानाकर्षण अनिवार्यतः आमंत्रित है। आगे इसी ग्रंथ में उनका परामर्श प्रकारांतर से उल्लेखनीय […]

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देश के दलित, आर्य समाज और राजनीति

दलितों की राजनीति करने वाले बहुत से दल देश में हैं। इनमें से देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने दलितों के नाम पर राजनीति तो की , पर उनके लिए सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई, जो एक देश के नागरिकों को उपलब्ध होनी चाहिए। कांग्रेस के शासनकाल में देश के दलित समाज के […]

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