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संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

पासबां जब चोर हो तो..

13 अप्रैल 1919 भारतीय इतिहास का वह ‘काला दिवस’ है जिसे ‘जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड’ के लिए जाना जाता है। उस समय देश के स्वातंत्रय समर का क्रांतिकारी आंदोलन अपने यौवन पर था। कांग्रेस के नेता अक्सर यह कहते मिलते हैं कि देश की स्वतंत्रता के लिए हमने ही बलिदान दिये हैं-भाजपा जैसे दलों का स्वतंत्रता […]

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आओ कुछ जाने देश विदेश संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

क्या है ‘गणराज्य’ या गणतंत्र?

संविधान के अधीन सभी प्राधिकारों का स्त्रोत भारत के लोग हैं। भारत एक स्वाधीन राज्य है और अब वह किसी बाहरी प्राधिकारी के प्रति निष्ठावान नहीं है। हमारे देश का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति है। अब इस पद सहित किसी भी पद पर भारत के नागरिक की नियुक्ति होना संभव है। […]

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स्वर्णिम इतिहास

स्वातंत्र्य संघर्ष की दोनों धाराओं के जनक ऋषि दयानंद

क्षितीश वेदालंकार अन्य प्राणधारी जीवों से मनुष्य को अलग करने वाला कोई तत्व है, तो वह बुद्घितत्व ही है। इसीलिए गायत्री मंत्र में अन्य किसी पदार्थ की प्राप्ति की कामना न करके, ‘धियो योन: प्रचोदयात्’ कहकर केवल बुद्घि को ही सन्मार्ग पर प्रेरित करने की प्रार्थना की गयी है। ऋषियों ने अपने बुद्घिबल से धर्म […]

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स्वर्णिम इतिहास

वैदिक संस्कृति व समृद्धि के प्रणेता- महाराज अग्रसेन

विनोद बंसल द्वापर युग के अन्त और कलयुग के प्रारम्भ में एक ऐसे महापुरुष का प्रादुर्भाव हुआ जिसने न सिफऱ् भारत में एक गणतांत्रिक शासन व्यवस्था, उत्तम सिंचाई व्यवस्था, समाजवाद, समरसता व समानता का पाठ पढाया वल्कि सच्चे राम राज्य की स्थापना कर ऐसे संस्कारी पुत्र दिए जो आज भी पूरे विश्व का भरण पोषण […]

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स्वर्णिम इतिहास

विश्वविजेता सिकंदर की भारत विजय: एक भ्रम-भाग-4

डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री निआरकस की बहुत बुरी हालत हो गई थी। उसकी तमाम सेना नष्ट हो गई। जब वह अपनी नावों को लेकर यहाँ – वहां भटक रहा था, तब उसे किसी प्रकार फारस और ओमान की खाड़ी के मध्य स्थित हरमुज में अनामिस नदी के किनारे लंगर डालने का अवसर मिला। उधर सिकंदर ने […]

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विश्वविजेता सिकंदर की भारत विजय: एक भ्रम-भाग-3

डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री क्या ऐसे व्यक्ति से सपने में भी यह आशा की जा सकती है कि उसने पुरु जैसे शत्रु के साथ दया और उदारता का व्यवहार किया होगा जिसने उसकी अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया, और युद्ध में जिसके पहले ही प्रहार से सिकंदर घोड़े से गिर पड़ा और घायल हो […]

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विश्वविजेता सिकंदर की भारत विजय: एक भ्रम-भाग-2

डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में फिलिप मेसिडोनिया का शासक बना और उसने जल्दी ही मेसिडोनिया को शक्तिशाली राज्य बना दिया । सिकंदर इसी फिलिप का पुत्र था जो ईसा पूर्व सन 326 में 19 – 20 वर्ष की उम्र में शासक बना , पर कैसे बना — इस बारे में इतिहास – […]

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स्वर्णिम इतिहास

विश्वविजेता सिकंदर की भारत विजय: एक भ्रम

डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री 1.0 आक्रमणकारी सिकंदर : अपने देश पर विदेशी आक्रान्ताओं की चर्चा होने पर सामान्य व्यक्ति प्राय: सबसे पहला नाम सिकंदर का लेता है जो यूनान के उत्तर में स्थित मेसिडोनिया का था और जिसे पहला विश्व विजेता कहा जाता है; पर उसके बारे में हमारी जानकारी प्राय: सिकंदर – पुरु ( पोरस […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का स्वर्णिम इतिहास भारत को ‘सोने की चिडिय़ा’ क्यों कहते थे (3)

एस. सी. जैन गतांक से आगे… अंग्रेज जो खगोलशास्त्री है, नक्षत्रशास्त्री है, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि भारत के सोम, मंगल, बुध को हमने लेकर संडे, मंडे, ट्यूज्डे कर दिया है। यह सब भारत से उधार लिया है। 10वीं शताब्दी में भारतीय वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया था कि पृथ्वी अपने कक्ष […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का स्वर्णिम इतिहास भारत को ‘सोने की चिडिय़ा’ क्यों कहते थे (2)

एस. सी. जैन गतांक से आगे… भारत में कालीकट ढाका और सूरत मालवा में इतना महीन कपड़ा बनता है कि पहनने वाले का शरीर ऐसे दिखता है कि मानो वे एक दम नग्न है। इतनी अदभुत बुनाई भारत के कारीगर जो हाथ से कर सकते हैं, वह दुनिया के किसी भी देश से कल्पना करना […]

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