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स्वर्णिम इतिहास

गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास , अध्याय — 11, अरबों से पूर्व भारतीय इतिहास का संक्रमण काल और गुर्जर

  भारत के इतिहास लेखन में जानबूझकर सबसे बड़ी चूक यह की गई है कि यहाँ के शासकों को विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध या तो पूर्णतया असावधान दिखाया गया है या फिर इस प्रकार प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है कि जैसे उन्हें राष्ट्र और राष्ट्रधर्म की कोई चिंता नहीं थी । इसी धारणा […]

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स्वर्णिम इतिहास

मुस्लिम शासक भारत के लिए धब्बा या गौरव? भारत की वास्तुकला और बीबीसी का दुष्प्रचार

बीबीसी ने अपने उक्त आलेख में यह भी लिखा है कि — “भारतीय इतिहास में मध्यकाल को देखने के अलग-अलग दृष्टिकोण रहे हैं । एक दृष्टिकोण वामपंथी इतिहासकारों का है। इनका मानना है कि मध्यकाल कई लिहाज़ से काफ़ी अहम था। वामपंथी इतिहासकारों का मानना है कि मध्यकाल में तेज़ी से शहरीकरण हुआ, स्थापत्य कला […]

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स्वर्णिम इतिहास

आइए , जानते हैं कुंभलगढ़ दुर्ग के बारे में

दिनांक 25 दिसंबर 2015 स्थान : राजस्थान के राजसमंद जिले का कुंभलगढ़ दुर्ग समय – शाम के 7:00 बज रहे हैं। लाइट एंड शो का कार्यक्रम सपरिवार देखने के लिए मैं पहुंच गया हूं। कुंभलगढ़ का दुर्ग अरावली पर्वत श्रंखला के मध्य महाराणा कुंभा द्वारा सन 1500 में निर्माण प्रारंभ किया गया था। लेकिन 15 […]

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स्वर्णिम इतिहास

मुस्लिम शासक भारत के लिए धब्बा या गौरव ? ,भाग 1

अक्टूबर 2017 में बीबीसी ने उपरोक्त शीर्षक से एक समीक्षा भारत के इतिहास के संबंध में प्रस्तुत की थी । जिसमें उसने यह स्थापित करने का प्रयास किया था कि भारत में मुगलों से पहले ऐसा कोई शासक नहीं हुआ जिसने देश की जीडीपी को बढ़ाने के लिए और लोगों के आर्थिक स्तर को ऊंचा […]

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स्वर्णिम इतिहास

कांग्रेसियों और वामपंथियों के लिए डूब मरने के क्षण : अयोध्या में खुदाई में मिल रहे हैं शिवलिंग और पुरातात्विक मूर्तियां

हिंदुत्व की लंबी साधना , कोर्ट कचहरी की लड़ाई और इसके साथ ही साथ बलिदानों की लंबी परंपरा के पश्चात वह शुभ दिन आ गया है , जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आरंभ हो गया है । सचमुच इस पावन दिवस के लिए हमने लाखों की संख्या में बलिदान दिये हैं । अब […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

महाभारत भ्रांति निवारण : पांचों पांडवों को नहीं , बल्कि द्रोपदी के पांच पुत्रों को मारने के लिए ही अश्वत्थामा गया था

महाभारत के बारे में तथ्यों के विपरीत जाकर एक दन्तकथा यह भी प्रचलित की गई है कि जब युद्ध के अन्त में गदा युद्ध में भीम ने दुर्योधन का वध कर दिया तो उसके पश्चात मौत की अन्तिम घड़ियां गिन रहे दुर्योधन के पास अश्वत्थामा , कृपाचार्य और कृतवर्मा रात्रि में आए । तब दुर्योधन […]

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स्वर्णिम इतिहास

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती 19 मई के अवसर पर विशेष : इतिहास नायकों के साथ ‘क्रूर उपहास’ होता आ रहा है

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती 19 मई के अवसर पर विशेष : इतिहास नायकों के साथ ‘क्रूर उपहास’ होता आ रहा है भारत में गोरी की जीत और पृथ्वीराज चौहान की हार को वर्तमान प्रचलित इतिहास में गलतढंग से एक अलग अध्याय के नाम से निरूपित किया जाता है। जिसका नाम दिया जाता है- राजपूतों […]

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स्वर्णिम इतिहास

श्री कृष्ण और अर्जुन के द्वारा दानवीर कर्ण से ब्राह्मण वेश में जाकर दान मांगने की घटना और महाभारत का सच

हमारे समाज में कर्ण की दानवीरता के किस्से बहुत प्रसिद्ध हैं । ऐसा कहा जाता है कि जिस समय कर्ण की मृत्यु हुई तो उस समय श्री कृष्णजी को अत्यन्त दु:ख हुआ । तब अर्जुन से अर्जुन ने उनसे पूछ लिया कि आज आप इतने दु:खी क्यों है ? इस पर श्री कृष्ण जी ने […]

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आओ कुछ जाने स्वर्णिम इतिहास

इतिहास का सच : सिल्क रोड नहीं ,भारत का उत्तरापथ

लेखक:- रवि शंकर, कार्यकारी संपादक, भारतीय धरोहर चीनी साम्राज्यवादी ओबोर बनाम भारतीय सहकारवादी ओसोर ओबोर यानी वन बेल्ट वन रोड। वन रोड यानी सिल्क रोड। यह बड़ी हैरतअंगेज बात है कि चीन ने एक रूट को रोड बना दिया। सिल्क रोड कोई जगह नहीं थी सिल्क रूट था। यह कोई एक सड़क, एक सड़क पर […]

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स्वर्णिम इतिहास

संजय के पास नहीं थी कोई भी दिव्यदृष्टि , क्या कहती है महाभारत ?

महाभारत के बारे में जिस प्रकार अनेकों भ्रान्तियों को समाज में फैलाया गया है , उनमें से एक यह भी है कि संजय को वेदव्यासजी के द्वारा दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गई थी । जिसके माध्यम से वह महाभारत के युद्ध का आंखों देखा हाल हस्तिनापुर के राजभवन में बैठा हुआ, धृतराष्ट्र को सुनाया करता […]

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