शाहजहां और औरंगजेब के काल में जिस पश्चिम (यूरोपियन देशों के लोग ) से भारत पर नए आक्रमण की तैयारियां प्रारंभ होने लगी थी , भारत अब उनसे जूझने की तैयारियां करने लगा था। मुगल बादशाहों ने इन विदेशी लोगों की हिंदुओं के साथ क्रूरता के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की । समकालीन इतिहास का […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
लेखक:- डॉ0 श्रीकृष्ण जुगनू मेवाड़ में शिलालेखों का क्रम कुछ इस तरह से मिलता है कि पूर्व ब्राह्मी से लेकर देवनागरी लिपि तक का क्रम पूरा हो जाता है। उदयपुर के प्राचीन शिलालेखाें में एक शिलालेख विक्रम संवत् 1010 तद्नुसार 953 ईस्वी का है। गणना के अनुसार 23 अप्रैल, वैशाख शुक्ला सप्तमी के दिन इस […]
आज एक बहुत ही अद्वितीय, अकल्पनीय एवं अद्भुत जानकारी आपके साथ सांझा करना चाहता हूं। अभी मैं ‘यौगिक प्रवचन माला , भाग – 1’ पढ़ रहा था। जो ब्रह्मर्षि कृष्णदत्त ब्रह्मचारी के प्रवचन के आधार पर पुस्तक बनाई गई है। कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी के विषय में तो आप सभी परिचित होंगे । जो खुर्रम पुर […]
आदरणीय मित्रो ! आगामी 17 जुलाई को मेरी पुस्तक “गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास” का विमोचन होने जा रहा है । यह पुस्तक ‘डायमंड पॉकेट बुक्स’ द्वारा प्रकाशित की गई है । जिसका मूल्य ₹350 रखा गया है । पुस्तक की पेज संख्या लगभग 325 है । आशा है आपको मेरा यह प्रयास अवश्य ही […]
प्रस्तुति : अजय कुमार आर्य इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लाएं और भ्रांतियां दूर करें! १. अग्नि विद्या (Fire & Heat Technologies) २. वायु विद्या (Wind & Aviation Technologist) ३. जल विद्या (Water & Navigation) ४. अंतरिक्ष विद्या (Space Sciences) ५. पृथ्वी विद्या (Environment & Ecology) ६. सूर्य विद्या (Solar System Studies) […]
डॉ. चंद्रकांत राजू एक योद्धा गणितज्ञ लेखक :- रवि शंकर, कार्यकारी संपादक, भारतीय धरोहर गणित तो हम सभी ने पढ़ा होगा, परंतु क्या कभी गणित को औपनिवेशिक मानसिकता से स्वाधीनता दिलाने की लड़ाई भी हमने लड़ी है? गणित को स्वाधीन कराने की लड़ाई? क्या हमें कभी यह ध्यान में भी आया है कि गणित जैसा […]
सुमित पांडे कालक्युलस का आविर्भाव चंद्र ग्रहण का एक सटीक मानचित्रा विकसित करने के दौरान आर्यभट्ट को इनफाइनाटसिमल की परिकल्पना प्रस्तुत करना पड़ी, अर्थात् चंद्रमा की अति सूक्ष्म कालीन या लगभग तात्कालिक गति को समझने के लिए असीमित रूप से सूक्ष्म संख्याओं की परिकल्पना करके उसने उसे एक मौलिक डिफरेेेंशल समीकरण के रूप में प्रस्तुत […]
सुमित पाण्डे दर्शनशास्त्र और गणित दार्शनिक सिद्धांतों का गणितीय परिकल्पनाओं और सूत्राीय पदों के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा। विश्व के बारे में उपनिषदों के दृष्टिकोण की भांति जैन दर्शन में भी आकाश और समय असीम माने गये। इससे बहुत बड़ी संख्याओं और अपरिमित संख्ययओं की परिभाषाओं में गहरी रुचि पैदा हुई। रीकरसिव /वापिस आ […]
सुमित पाण्डे सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्यायें रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जातीं थीं। यद्यपि बाद में, विभिन्न संख्याओं को विशिष्ट संख्यात्मक नामों और चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किया जाने लगा, उदाहरण स्वरूप भारत में ऐसा किया […]
स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि – “भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए हमारे दायित्व के निर्वाह पर बल देना होना चाहिए । जिससे हम विश्व को प्रकाश का मार्ग दिखा सकें। यदि आध्यात्मिकता भारत […]