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स्वर्णिम इतिहास

आर्य – गुर्जरों का मूल तत्व आर्यावर्त में है ना कि ईरान या कथित हिंदुस्तान में — डॉ राकेश कुमार आर्य आर्य

पिछले दिनों मेरे पास श्री खुर्शीद भाटी जी द्वारा भेजा गया एक लेख आया। इस लेख का शीर्षक उन्होंने ‘गुर्जरों का मूल तत्व हिंदुस्तान में है, न कि विदेशी लुटेरों हूण , कुषाणों में’ – ऐसा करके दिया। मैं श्री भाटी की विद्वता का सम्मान करते हुए भी उनके लेख से असहमत हूँ । इसके […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय — 7 , निरंतर बना रहा भारत का पराक्रम

डॉ राकेश कुमार आर्य संपादक उगता भारत गुप्त वंश के पतन के पश्चात सम्राट हर्षवर्धन भारत के एक महान शासक हुए । इस सम्राट ने भी अपना एक सम्मानजनक और विशाल साम्राज्य स्थापित किया। 606 ईस्वी में हर्षवर्धन का राज्याभिषेक हुआ । उसके राज्यारोहण के 4 वर्ष पश्चात ही अरब के शुष्क रेत में एक […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा (है बलिदान इतिहास हमारा), अध्याय — 6, गुप्तकालीन क्षत्रिय धर्म और अहिंसा

प्राचीन भारतीय इतिहास में गुप्त वंश के शासन काल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी जाती है। इस वंश में एक से बढ़कर एक कई महान शासकों की स्वर्णिम श्रंखला हमें दृष्टिगोचर होती है । यद्यपि इस वंश से पूर्व अशोक के पश्चात कई शासकों एवं वंशों ने शासन किया , जिनमें शुंग , सातवाहन […]

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स्वर्णिम इतिहास

महर्षि बाल्मीकि का रामायण महाकाव्य बेजोड़ टाइम कैप्सूल है

राम जन्मभूमि अयोध्या में पुनः निर्मित किए जाने वाले भव्य राम मंदिर को लेकर यह चर्चा जोरों पर है कि इस मंदिर की बुनियाद कि नीचे पृथ्वी की कोख में 200 फीट से लेकर 2000 फीट नीचे राम जन्मभूमि से जुड़े हुए ऐतिहासिक प्रसंग संघर्षों को अंकित कर #टाइम_कैप्सूल में दफन किया जाएगा| इस समय […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदान इतिहास हमारा ) , अध्याय — 5 , धार्मिक पाखंडवाद ,बौद्ध धर्म और अहिंसा

राष्ट्रकवि इकबाल की निम्नलिखित पंक्तियां बहुत ही सार्थक हैं :— यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था, तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था, मिट्टी को जिसकी हमने जर का असर दिया था, सारे जहां को जिसने इल्मो – हुनर दिया था , मेरा वतन वही है , मेरा वतन वही है ।। […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) ,अध्याय — 4 , सिकंदर और भारत का क्षत्रिय धर्म

सिकन्दर और भारत का क्षत्रिय धर्म महाभारत के युद्ध में अपने सगे – सम्बन्धी , मित्र , पुत्र- कलत्र को अपने सामने युद्ध के लिए खड़ा देखकर अर्जुन बहुत अधिक दुखी हो गया । अबसे पहले उसने यद्यपि कितनी ही बार अपने क्षत्रियपन का परिचय दिया था , परन्तु आज कुछ और ही बात थी […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय –3

भारतीय राजधर्म और अहिंसा देश की वर्तमान परिस्थितियों पर यदि चिंतन किया जाए तो पता चलता है कि देश का नेतृत्व और विशेष रूप से अभी तक की कांग्रेस की सरकारें इस दुर्दशा के लिए उत्तरदायी हैं । किसी कवि ने ठीक ही तो कहा है :– न बिजली की अनाइतों से न बादे फसले […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय — 2 , वैदिक राष्ट्र और अहिंसा

  वैदिक राष्ट्र और अहिंसा यजुर्वेद में एक सुन्दर ऋचा आयी है :– ओ३म आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम आ राष्ट्रे राजन्य: शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशु: सप्ति: पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठा: सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे न: पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधय: पच्यन्तां योगक्षेमो न: कल्पताम्।। -यजु० २२/२२ अर्थात हे सर्वाधार सर्वेश्वर सर्वव्यापक प्रभो […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत के प्राचीन इतिहास पर एक महत्वपूर्ण लेख , क्या प्राचीन आर्य इतिहास के बारे में कुछ जानते थे ,?

यहाँ हम पश्चिमी इतिहासवेताओं के इस कथन की परीक्षा करनी है कि “प्राचीन आर्य ऐतिहासिक विद्या से अनभिज्ञ थे” । वास्तव में यदि यह लांछन ठीक हो तो हमें मानना पड़ेगा कि हमारे पुरुष अर्ध सभ्य थे क्योंकि केवल दो ही अवस्थाओं में कोई नेशन या जाति ऐतिहासिक ज्ञान से शून्य हो सकती है :- […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा )

अध्याय 1 वैदिक धर्म और अहिंसा भारतवर्ष के पास उसका गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास है । यह इतिहास भारत को शेष संसार से सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। भारत की संस्कृति अनुपम है , अप्रतिम है । इसका अध्यात्मवाद अनोखा और निराला है , तो वेदज्ञान बेजोड़ और अद्वितीय है , जो कि संसार […]

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