Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

हिमाचल राजभवन में राष्ट्रनीति की गूंज

हिमाचल राजभवन में राष्ट्रनीति की गूंजहमारा मानना है कि भारत को ‘विश्वगुरू’ बनाने का हमारा संवैधानिक लक्ष्य तभी पूर्ण हो सकता है जबकि हमारे राजभवनों में तपे हुए संत प्रकृति के और दार्शनिक बुद्घि के राजनेता विराजमान होंगे। राजभवनों में यदि निकृष्ट चिंतन के लोगों को भेजा जाएगा तो उनसे भारतीयता का भला होने वाला […]

Categories
भारतीय संस्कृति राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

महात्मा गांधी जी की वसीयत

महात्मा गांधी जी की वसीयत महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

15 अगस्त सन 1947 और भारत का विभाजन

भारत के साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इसका इतिहास जो आज विद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है वह इसका वास्तविक इतिहास नहीं है। यह इतिहास विदेशियों के द्वारा हम पर लादा गया एक जबर्दस्ती का सौदा है और उन विदेशी लेखकों व शासकों के द्वारा लिखा अथवा लिखवाया गया है जो बलात् हम […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

रामनाथ कोविन्द: दसों दिशाएं कर रही हैं मंगलगान

श्री रामनाथ कोविन्द अब जबकि 66 प्रतिशत मत लेकर और अपनी प्रतिद्वंद्वी श्रीमती मीरा कुमार को परास्त कर भारत के राष्ट्रपति घोषित किये जा चुके हैं, तब उनके राष्ट्रपति बनने के अर्थ, संदर्भ और परिणामों पर विचार करना उचित होगा। श्री कोविन्द के राष्ट्रपति बनने का अर्थ है कि इस समय भारत की राजनीति की […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

मायावती का राज्यसभा से त्यागपत्र

बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा की अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। ऐसा उन्होंने अपने खिसकते जनाधार को किसी न किसी प्रकार अपने साथ पुन: लाने के लिए किया है। जिससे कि उन्हें दलितों की सहानुभूति मिल सके। उनके इस राजनीतिक दांव के भविष्य में परिणाम क्या होंगे ये तो समय ही बताएगा, परंतु […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

महंगी न्याय प्रणाली

देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गये, पर दुर्भाग्य है हमारा कि आज भी हमारे देश में लगाया पैंतीस हजार वही कानून लागू हैं, जो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान लागू किये गये थे। कानूनी प्रक्रिया भी वही है, जो अंग्रेजों ने यहां चलायी थी। अंग्रेजों की न्यायप्रणाली में दोष होना स्वाभाविक है […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही ‘राहुल’ काफी है

अवधूत दत्तात्रेय हर क्षण किसी से ज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्पर रहा करते थे। वह पशु-पक्षियों एवं कीट पतंगों की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखा करते और विवेचना कर उनसे शिक्षा प्राप्त किया करते थे। दत्तात्रेय अक्सर कहा करते थे कि ”जिनसे मैं कोई भी शिक्षा लेता हूं वे मेरे गुरू हैं।” एक […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

नारी शक्ति और ममता बैनर्जी

पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी अपने ‘हठीले’ स्वभाव के कारण चर्चा में बनी रहती हैं। हठीले व्यक्ति के विषय में यह सर्वमान्य सत्य होता है कि वह विवेकहीन होता है, वह स्वार्थी होता है और अपने ‘स्वार्थ’ के सामने उसे और कुछ भी नहीं दिखता है। कहने के लिए वह स्वयं या उसके समर्थक […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राजनीति में एक ‘नचकैंया भालू’

भारत लोकतंत्र की जन्मस्थली है। आज का ब्रिटेन और अमेरीका तो भारत के लोकतंत्र की परछाईं मात्र भी नहीं है। हमारे ‘शतपथ ब्राह्मणादि ग्रंथों’ में राजनीतिशास्त्रियों के लिए कई बातें अनुकरणीय रूप से उपलब्ध हैं। ‘शतपथ ब्राह्मण’ में राजकीय परिवार के लोगों के राजनीतिक अनुभवों से देश को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस परिवार […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

क्या अशिक्षा और बेरोजगारी आतंकवाद का मूल कारण है?

आतंकवाद भारत की ही नहीं, अपितु आज विश्व की एक बड़ी समस्या बन चुका है। सही अर्थों में मानव समाज की यह बुराई मानव के दानवी स्वरूप की सनातन परंपरा का अधुनातन स्वरूप है। विश्व के पिछले दो हजार वर्ष के इतिहास को यदि उठाकर देखा जाये तो जिन लोगों ने ईसाइयत और इस्लाम के […]

Exit mobile version