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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

हिमाचल राजभवन में राष्ट्रनीति की गूंज

हिमाचल राजभवन में राष्ट्रनीति की गूंजहमारा मानना है कि भारत को ‘विश्वगुरू’ बनाने का हमारा संवैधानिक लक्ष्य तभी पूर्ण हो सकता है जबकि हमारे राजभवनों में तपे हुए संत प्रकृति के और दार्शनिक बुद्घि के राजनेता विराजमान होंगे। राजभवनों में यदि निकृष्ट चिंतन के लोगों को भेजा जाएगा तो उनसे भारतीयता का भला होने वाला […]

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विशेष संपादकीय

नये पी.एम.की राष्ट्रनीति

राजनीति को हमारे देश में प्राचीन काल में राष्ट्रनीति कहा और माना जाता था। राष्ट्र एक अमूर्त्त भावना का नाम है। मैं आपके प्रति सम्मान भाव  रखता हूं, और आप मेरे प्रति रखते हैं-यह जो सम्मान भाव रखने की परंपरा है ना, यह दीखती नही है, पर वास्तव में ये ही वो चीज है जो […]

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