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मुद्दा राजनीति विधि-कानून विशेष संपादकीय संपादकीय

भूमि अधिग्रहण और किसानों की समस्याएं

कुछ समय पूर्व भूमि अधिग्रहण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि किसी भी प्रकार की कृषि योग्य भूमि चाहे वह सिंचित हो या असिंचित के अधिग्रहण पर सरकार पूरी तरह रोक लगाये। संसदीय समिति का मानना है कि जब अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, कनाडा जैसे विकसित राष्ट्रों में सरकारें निजी क्षेत्र के लिए जमीन […]

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राजनीति संपादकीय

साबरमती के संत का चमत्कार

साबरमती के संत का कमाल यही है कि उसकी नीतियों के सहारे लोग आज देश पर शासन करने में सफल हो रहे हैं। यह वास्तव में जनता की भावनाओं से किया गया खिलवाड़ है, जो हर बार और हर स्तर के चुनाव में किया जाता है। केवल भारत ही एक ऐसा देश है-जिसमें चुनाव को […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

देशद्रोही कौन?

भारत में सर्वधर्म समभाव की बातें करते हुए हिंदू मुस्लिम ईसाई के भाई भाई होने की बात कही जाती है। इससे पूर्व भारत का आर्यत्व-हिंदुत्व इस पृथ्वी को एक राष्ट्र तथा इसके निवासियों को भूमिपुत्र कहकर भाई भाई मानता रहा है। हिंदुत्व ने संसार में मानवतावाद फैलाया और इसी को भारतीय धर्म के रूप में […]

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मुद्दा राजनीति संपादकीय

इस्लामिक देश और इस्लाम

विश्व की कुल जनसंख्या में प्रत्येक चार में से एक मुसलमान है। मुसलमानों की 60 प्रतिशत जनसंख्या एशिया में रहती है तथा विश्व की कुल मुस्लिम जनसंख्या का एक तिहाई भाग अविभाजित भारत यानि भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में रहता है। विश्व में 75 देशों ने स्वयं को इस्लामी देश घोषित कर रखा है। पर, […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

नकारात्मक व ओच्छी मानसिकता की पत्रकारिता

खोजी पत्रकारिता और लोकतंत्र का चोली दामन का साथ है। पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि लोकतंत्र विचारों को निर्बाध रूप से बहने देकर उनसे नवीन आविष्कारों को जन्म देकर लोगों के वैचारिक और बौद्घिक स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक शासन प्रणाली का नाम है। नवीन आविष्कारों से […]

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राजनीति संपादकीय

राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी

राष्ट्र अपने आप में एक अदृश्य और अमूत्र्त भावना का नाम है। इस अमूत्र्त भावना को साकार करता है-हमारा राष्ट्रवाद, और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण। जब एक ‘बिस्मिल’ यह कह उठता है :- यदि देशहित मरना पड़े मुझको सहस्रों बार भी। तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊं कभी।। हे ईश भारतवर्ष में […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

कपिल मिश्रा और अरविन्द केजरीवाल की कलंक कथा

जलता हुआ प्रश्न एक ही, दिल्ली किसको बोल रही? रक्त चूसते भ्रष्टाचारी उनका घूंघट खोल रही। सपनों का महल जलाना राजनीति का व्यवसाय बना, कब तक इनसे जूझूंगी मैं? दिल्ली की माटी बोल रही। वास्तव में दिल्ली आज अपने आप पर लज्जित है। सवा दो वर्ष पूर्व दिल्ली ने जिन अपेक्षाओं के साथ अपनी शासन […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘लहरी’ नही ‘प्रहरी’ बनें जनप्रतिनिधि

राजनीति के व्यापार में अपना भाग्य आजमाने के लिए लोग तिजोरी का मुंह खोले रखते हैं। अपने विरोधी को मैदान से हटाने के लिए या अपने लिए मैदान साफ रखने के लिए राजनीतिक लोग हर प्रकार का हथकंडा अपनाते हैं। अभी दिल्ली में एम.सी.डी. के संपन्न हुए चुनावों में भाजपा की एक बागी प्रत्याशी को […]

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राजनीति संपादकीय

राष्ट्र के ब्रह्मा, विष्णु, महेश

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में  कई चीजें  बेतरतीब रूप में देखी गयीं। उन सब में प्रमुख थी किसी भी सरकारी विज्ञापन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के चित्र का लगा होना। यह लोकतंत्र और लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध किया गया कांग्रेसी आचरण था। […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

वाह योगी जी वाह!

उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ बनाने की बात कहने वाले ‘बीमार प्रदेश’ बनाकर छोडक़र गये हैं। साम्प्रदायिक आतंकवाद से जूझता रहा उत्तर प्रदेश ‘सरकारी आतंकवाद’ से भी जूझता रहा। यह ‘सरकारी आतंकवाद’ जातीय आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति या पुलिस में भर्ती के रूप में तो देखा ही गया,  साथ ही अधिकारियों और पार्टी के […]

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