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खेल/मनोरंजन महत्वपूर्ण लेख मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय समाज

खेल की राजनीति और राजनीति का खेल

खेल की भावना से यदि कोई कार्य किया जाए तो उसे सबसे उत्तम माना जाता है। खेल में बच्चे गिरते हैं-चोट खाते हैं, जीतते और हारते हैं-पर खेल के मैदान से बाहर आते ही हाथ मिला लेते हैं। हार जीत के खट्टे मीठे अनुभवों को वहीं छोड़ देते हैं, और एक अच्छे भाव के साथ […]

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‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-6

सोचने की बात यह है कि उनके कारनामे कितने घृणास्पद रहे होंगे, जबकि कंपनी के निदेशकों तक ने स्वीकार किया है कि भारत में व्यापार करके जो बड़ी से बड़ी संपत्ति पैदा की गयी उनमें उतना ही बड़ा अन्याय और जुल्म भरा हुआ है, जितना बड़ा जुल्म संसार के इतिहास में कहीं सुनने और पढऩे […]

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‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-5

(50) कोच्चीन, त्रावणकोर- इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से यहां अंग्रेजी राज्य अवश्य आ गया। इस प्रकार के परिश्रम साध्य विषय को समझकर और देखकर हमें ज्ञात होता है कि अंग्रेजों का भारत में विस्तार सामान्यता 1820 ई. से बाद का है। उसमें भी अधिकांश 1857 […]

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पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-4

पिछले लेखों में हम मध्य प्रदेश ‘हिंदी ग्रंथ अकादमी’ द्वारा प्रकाशित ‘भारत: हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ पुस्तक के आधार पर चर्चा कर रहे थे कि कितना भारत कितनी देर विदेशी शासन के आधीन रहा और कौन सा क्षेत्र अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने में सफल रहा? इस आलेख में भी उसी चर्चा […]

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‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-2

एक शोधपूर्ण प्रशंसनीय ग्रंथ मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ में बड़े शोधपूर्ण ढंग से हमें बताया गया है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम और ब्रिटिश शासन की अवधि कितने समय तक रही? इस सारणी को देखकर हमें पता चलता है कि भारत के हिंदू […]

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‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-1

पूरे देश से इस समय एक आवाज उठ रही है कि ‘कश्मीर के पत्थरबाजो! भारत छोड़ो।’ इस आवाज को पूर्णत: न्यायसंगत एवं उचित कहा जाएगा। 1942 की अगस्त में जब गांधीजी ने अंग्र्रेजों के विरूद्घ ‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ की आवाज लगायी थी तो उसके पीछे भी इस राष्ट्र के मचलते हुए चिंतन का यही पहलू […]

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भारत को जातियों में बांटने वाले मक्कार इतिहासकार

सहारनपुर दंगों के मर्म को समझने के लिए अपने इतिहास के इस सच को भी समझना होगा। भारत में आर्यों को विदेशी बताने वालों ने ही यहां गोरे-काले अथवा आर्य-द्राविड़ का भेद उत्पन्न किया। जिससे यह बात सिद्घ हो सके कि भारत में तो प्राचीन काल से ही गोरे-काले का भेद रहा है और यहां […]

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मोदी सरकार के तीन वर्ष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बने तीन वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। उनके लिए यह एकसुखद तथ्य है कि वह आज भी अपनी लोकप्रियता को वैसी ही बनाये हुए हैं जैसी सत्ता संभालते समय 2014 में थी। यह उनकी उपलब्धि भी कही जाएगी। दूसरे उनके लिए यह एक और प्रसन्नतादायक तथ्य है कि […]

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राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-2

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-2 आज कुछ असामाजिक तत्व मजहब के नाम पर एक होकर देश को तोड़ रहे हैं। 12 राज्यों में नक्सलियों को कम्युनिस्टों का सहयोग और संरक्षण प्राप्त है। देश की आर्थिक नीतियों पर और कश्मीर के प्रश्न पर हम अमेरिकी दबाव में कार्य करते हैं। शिक्षानीति और देश की न्याय व्यवस्था पर सरकार […]

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अलविदा-तीन तलाक

अलविदा-तीन तलाक हम एकऐतिहासिक और मौन क्रांति के साक्षी बन रहे हैं। भारत में मुस्लिम समाज में व्याप्त एकअभिशाप को हम मिटता देख रहे हैं। देश के भीतर जिस प्रकार इस अभिशाप को मिटाने के लिए मुस्लिम महिलाएं सामने आयीं और उनके इस सार्थक प्रयास को बहुत से मुस्लिम विद्वानों ने भी अपना समर्थन यह […]

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