उगता भारत ब्यूरो बसंत पंचमी हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े उल्लास से मनाया जाता है. इसे माघ पंचमी भी कहते हैं. बसंत ऋतु में पेड़ों में नई-नई कोंपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं. नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज […]
श्रेणी: पर्व – त्यौहार
अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों सहित विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का आकर्षण अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के समाज में वहां की कुल आबादी का 24 प्रतिशत भाग भारत और भारत की संस्कृति राम और कृष्ण के प्रति श्रद्धा रखने वाला बन गया […]
संविधान दिवस 26 नवंबर पर विशेष भारत के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो मुसलमानों को अल्पसंख्यक घोषित करता हो, लेकिन राजनीति में ‘सेकुलर गैंग’ ने इस शब्द को अपने राजनीतिक लाभ के लिए गढ़ लिया है । यद्यपि इतना अवश्य है कि भारत के संविधान की धारा 29 व 30 भारतवर्ष में […]
वीरेंद्र परमार पूर्वोत्तर भारत में हिन्दू धर्म की तीनों शाखाओं – शैव, वैष्णव, शाक्त के उपासक विद्यमान हैं। पूर्वोत्तर भारत में हिंदू धर्म की तीनों शाखाओं से संबंधित अनेक तीर्थ स्थल हैं जिनके प्रति हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले आदिवासी और गैर – आदिवासी सभी समुदायों के लोगों की श्रद्धा है। कामाख्या मंदिर (असम) […]
रावण के राष्ट्र में नीति थी, धर्म नहीं था ।नीति भी अधर्म की नीति थी। यदि उसके साथ धर्म भी होता तो निश्चित था कि रावण की पताका संसार में सबसे ऊंची कहलाती। आज संसार में प्रत्येक मनुष्य यह कह देता है कि यह तो पाखंडी है, लेकिन पाखंड कहते किसको हैं ? इसको देखें […]
अर्जुन देव चड्ढा दीपावली का पराचीन वैदिक नाम शारदीय नवससयेषटि है। शारदीय अरथात शरद का की। नव अरथात नया। ससय अरथात फसल। इषटि अरथात यजञ। इसका अरथ हआ – शरद का अनन से हवन करने का विधान गोभिलगृहयसूतर, समारतसूतर, पारसकरगृहयसूतर, आपसतमबी गृहयसूतर और मनसमृति में मिलता है। वैदिक काल में कृषक व जनसामानय न अनन […]
ओ३म् स्वभाव से मनुष्य सुख प्राप्ति का इच्छुक रहता है। वह नहीं चाहता कि उसके जीवन में कभी किसी भी प्रकार का दुःख आये। सुख प्राप्ति के लिये सद्कर्म व धर्म के कार्य करने होते हैं। अतः सत्कर्मों से युक्त प्राचीन वेदों पर आधारित वैदिक धर्म का पालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन में सुखों […]
* संजय पंकज सूर्य चंद्र की किरणें आओ! आओ गगन धरा पर आओ! आओ नवरस नवलय आओ! आओ दिग्दिगंत पर आओ! जगमग जग को कर जाओ! आलोक देवता आओ !! हर आंगन में मन प्रांगण में उजड़े उजड़े वन कानन में, बहुरंगे फूल खिलाओ! आलोक देवता आओ! तम गहरा है गम ठहरा है कदम-कदम निर्मम […]
* संजय पंकज रात अंधेरी दिया जलाए साथी तुम चलते रहना! दूर गगन में सूरज डूबा दिन का संबल टूट गया पनघट से घट लेकर लौटा जल में ही जल छूट गया दिल में अपने दर्द दबाए यादों में ढलते रहना! नहीं धरा से बढ़कर कोई जो थामे आधार बने लहर लहर से अपने चूमे […]
ओ३म् ========= देश भर में व विदेश में भी जहां भारतीय आर्य हिन्दू रहते हैं, वहां कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपवली का पर्व मनाया जा जाता है। अमावस्या के दिन रात्रि में अन्धकार रहता है जिसे दीपमालाओं के प्रकाश से दूर करने का सन्देश दिया जाता है। इस दिन ऐसा क्यों किया जाता […]