प्रमोद भार्गव विरोधाभास और मतभिन्नता भारतीय संस्कृति के मूल में रहे हैं। यही इसकी विशेषता भी है और कमजोरी भी। विशेषता इसलिए कि इन कालखंडों के रचनाकारों ने काल और व्यक्ति की सीमा से परे बस शाश्वत अनुभवों के रूप में अभिव्यक्त किया है। इसीलिए वर्तमान विद्वान रामायण और महाभारत के घटनाक्रमों, नायको और […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
संजय सक्सेना आज 18 जुलाई है। वैसे तो यह दिन और दिनों के जैसा ही सामान्य है,लेकिन भारत के इतिहास में आज का दिन काफी महत्व रखता है,क्योंकि आज ही के दिन 18 जुलाई 1947 को अंग्रेजोें ने टू नेशन थ्योरी पर मोहर लगाई थी,जिसका उस समय के कुछ कांग्रेसियों ने विरोध […]
एनआर/एके (डीपीए) 1947 में भारत के बंटवारे का दंश सबसे ज्यादा महिलाओं ने झेला।अनुमान है कि इस दौरान 75 हजार से एक लाख महिलाओं का अपहरण हत्या और बलात्कार के लिए हुआ। जबरन शादी, गुलामी और जख्म ये सब बंटवारे में औरतों को हिस्से आया। 1947 और 1948 के बीच सरला दत्ता को एक पाकिस्तानी […]
– लेखक अशोक चौधरी मेरठ। भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान पुरुष से अधिक रहा है। राधे श्याम, सीताराम, गंगा पुत्र भिष्म,कुंती पुत्र अर्जुन,राधेय सुत कर्ण, कौशल्या नंदन राम,देवकी/यशोदा नंदन कृष्ण नाम जब लिए जाते हैं तब यह आभास अपने आप ही हो जाता है। भारत का इतिहास भी इस बात का गवाह है जब […]
आज 26 जुलाई को कारगिल विजय की वर्षगांठ है। कितने भारतीय बच्चों को फिल्म वालों के नाम या क्रिकेटर के नाम पता हैं? कितने बच्चों ने स्कूल में गांधी या नेहरू का नाम पढा है ? कितने बच्चों ने सैम मानकेशा का नाम सुना है? कितने बच्चों को पता है कि विश्व का सबसे बड़ा […]
वेद उस घाट का नाम है जहां पूरा हिन्दू समाज जाकर अपनी ज्ञान की प्यास बुझाता है। इस घाट से कोई भी व्यक्ति बिना तृप्त हुए नहीं लौटता। सभी स्नातक होकर लौटते हैं, अर्थात स्नान कर लौटते हैं और यह स्नान आत्मिक ज्ञान का स्नान है। जिसमें आत्मा पूर्णानन्द की अनुभूति करता है। ऐसा स्नान […]
उगता भारत ब्यूरो शंका– रामायण में अहिल्या के पत्थर बनने और श्री राम जी के स्पर्श मात्र से सजीव होने की कहानी रामायण में पायी जाती है। क्या वह सत्य है? समाधान अहिल्या का रूपक वेद में है। रामायण में उसके आधार पर कहानी लिखी है जो मिलावट है। स्वामी दयानन्द ने इस शंका का […]
पैर के अंगूठे से तिलक कर बनाते थे राजा कृष्ण प्रताप सिंह राजतिलक और बाएं पैर के अंगूठे से! यकीनन, यह आसानी से हजम होने वाली बात नहीं है। लेकिन सोलहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में अवध की नरवलगढ़ रियासत का सुनहरा दौर कुछ ऐसा ही चमत्कारिक था। तब उसके राजाधिराज हिंदुस्तान के बादशाह-ए-दोयम (सेकंड किंग […]
चमत्कारिक दावा नहीं पर चमत्कार ही चमत्कार दिखा :- अपनी उम्र, कठिन तप और सिद्धियों के बारे में देवरहा बाबा ने कभी भी कोई चमत्कारिक दावा नहीं किया, लेकिन उनके इर्द-गिर्द हर तरह के लोगों की भीड़ ऐसी भी रही जो हमेशा उनमें चमत्कार खोजते देखी गई। अत्यंत सहज, सरल और सुलभ बाबा के सानिध्य […]
शुभेन्दु शेखर अवस्थी श्यामा प्रसाद मुखर्जी मुस्लिम लीग द्वारा सांप्रदायिक आधार पर सम्पूर्ण बंगाल प्रांत को हड़पने की साज़िश के विरुद्ध बंगाल के विभाजन की सबसे मुखर मांग श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने की। उनकी यह अहम भूमिका एक बलिदानी की तरह थी जिसने बंगाली हिंदुओं को ‘अलग बंग मातृभूमि’ की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया और […]