Categories
इतिहास के पन्नों से संपादकीय

अब “हाथ जोड़ो आंदोलन” नहीं “भारत छोड़ो आंदोलन” होना चाहिए

भारत में एक बार नहीं अनेक बार भारत छोड़ो आंदोलन चलाए गए हैं, अंतर केवल इतना है कि देश, काल , परिस्थिति के अनुसार उन आंदोलनों को भारत छोड़ो आंदोलन का नाम नहीं दिया गया। इसके साथ-साथ भारत के छद्म इतिहासकारों ने देश के क्रांतिकारियों के साथ विश्वासघात करते हुए उनके पुरुषार्थ और देशभक्ति को […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर विशेष… विदेशी विचार छोडक़र ‘स्व’ का भाव जगाएं

किसी भी देश का विचार उसके स्वभाव से परिचित कराता है। अगर किसी देश के पास स्वयं के विचार का आधार नहीं है, तब निश्चित ही वह देश दूसरे के विचारों के अनुसार ही संचालित होगा। कहा जाता है कि कोई देश जब अपना अतीत भूल जाता है, तब वह धीरे-धीरे पतन की ओर कदम […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

पाणिनि : भाषा के इतिहास में युगप्रवर्तन का कार्य

~ ~~~~~~~~~~~~~ ईसापूर्व पांचवीं- शताब्दी का भारत कैसा था ? पाणिनि ने उस समय के लोकजीवन पर प्रामाणिक सामग्री अष्टाध्यायी में प्रस्तुत कर दी है । आचार्य वासुदेवशरण अग्रवाल का महत्त्वपूर्ण अनुसंधान-ग्रन्थ है >>पाणिनिकालीन भारतवर्ष ! उस समय के लोकजीवन के व्यवहार , जनपद , पर्वतनाम, नदी ,ग्रामनाम , नगर और वन , उससमय के […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

भारतीय सभ्यता के संस्थापक भगवान ‘मनु’ ..

‘मनु’ नाम को लेकर वामपंथियों ने इतना दुष्प्रचार किया गया है कि लोग मनु नाम सुनते ही लोग नाक भौ सिकोड़ते है .. और तत्काल मनुवादी, कट्टर व पोंगा होने का तमगा दे देते हैं .. जबकि ऐसे लोगों को मनु की परंपरा के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं होता है .. मनुस्मृति और […]

Categories
इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

मातृभूमि को अपने खून का अर्ध्य देकर खुदीराम ने खोद दी अंग्रेजों की कब्र

अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-6 नरेन्द्र सहगल सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद देश में एक राजनीतिक लहर चली जिसमें अंग्रेजों से प्रार्थना, याचना तथा मांगने की प्रथा का माहौल बनने लगा। एक अंग्रेज ए. ओ. ह्यूम ने वास्तव में इसी उद्देश्य के लिए कांग्रेस की […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

धारा ३७० के गुनहगार कौन..?

– प्रशांत पोळ (3 वर्ष पहले कश्मीर से धारा ३७० हटाने पर यह लेख प्रकाशित हुआ था। ) आज के इस ऐतिहासिक दिवस पर डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और अटल बिहारी बाजपेयी जी के स्वर्गस्थ आत्माओं को निश्चित रुप से शान्ति मिली होगी..! डॉ. मुखर्जी, कश्मीर में, धारा ३७० के कारण बने, दो […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

वैदिक सभ्यता संस्कृति और भारतीय इतिहास

उगता भारत ब्यूरो वैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड है। उस दौरान वेदों की रचना हुई थी। हड़प्पा संस्कृति के पतन के बाद भारत में एक नई सभ्यता का आविर्भाव हुआ।इस सभ्यता की जानकारी के स्रोत वेदों के आधार पर इसे वैदिक सभ्यता का नाम दिया गया। वैदिक काल में वेदों की […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

वे पन्द्रह दिन….१ अगस्त, १९४७

वे पन्द्रह दिन….१ अगस्त, १९४७ प्रशांत पोळ शुक्रवार, १ अगस्त १९४७. यह दिन अचानक ही महत्त्वपूर्ण बन गया। ‘इस दिन कश्मीर के सम्बन्ध में दो प्रमुख घटनाएं घटीं, जो आगे चलकर बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होने वाली थीं।’ इन दोनों घटनाओं का आपस में वैसे तो कोई सम्बन्ध नहीं था, परन्तु आगे होने वाले रामायण-महाभारत में […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है मेवाड़ राज्य का

मेवाड़ राज्य का इतिहास उगता भारत ब्यूरो मेवाड़ का गुहिल वंश –  मेवाड़ रियासत राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत है, इसे मेदपाट, प्राग्वाट, शिवि जनपद आदि उपनामों से जाना जाता है। मेवाड़ का गुहिल वंशी राजघराना एकलिंगजी (शिव) का उपासक था, इसी कारण मेवाड़ के शासक एकलिंगनाथजी को स्वयं के राजा/ईष्ट देव तथा स्वयं को एकलिंगनाथजी का […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

गांधी जी की हत्या के पश्चात चित्तवावन ब्राह्मण हिंदुओं पर क्या बीती

भारत की विडंबना ही तो है जो हिन्दुओ की हत्याओं पर राजनेताओ को मौन धारण करवा देती है। नाथूराम गोडसे एवं गांधी जी के नाम पर आज तक धार्मिक तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। गांधी जी की हत्या को आज तक देश रो रहा है पर उन हिन्दुओ की हत्याओं को रोने वाला […]

Exit mobile version