अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-12 नरेन्द्र सहगल यद्यपि प्रथम विश्व युद्ध के समय लड़खड़ाते ब्रिटिश साम्राज्यवाद के सीने पर भारतीय सशस्त्र क्रांतिकारियों द्वारा लगने वाला प्रचंड प्रहार मात्र एक अंग्रेज भक्त की गद्दारी के कारण विफल हो गया परंतु इस विफलता से सरफरोशी देशभक्त क्रांतिकारियों के मन में अपने वतन […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-11 बलिदान से पहले मातृभूमि की वंदना ‘रख दे कोई जरा सी खाक-ए-वतन कफ़न पे’ बिस्मिल, अशफाक, लाहिड़ी, रोशन सिंह ने पिया शहादत का जाम नरेन्द्र सहगल प्रथम विश्व युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात इंग्लैंड की साम्राज्यवादी लिप्सा बहुत अधिक बढ़ गई। इधर भारत […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-10 नरेन्द्र सहगल सशस्त्र क्रांति के नवयुवक योद्धाओं द्वारा अत्याचारी अंग्रेज शासकों के सीने पर निरंतर पड़ रहे प्रचंड प्रहारों से दुखी होकर अथवा घबराकर अंग्रेजों ने एक बार फिर साम दाम दंड भेद की एकतरफा नीति के तहत भारतीयों को कुछ राजनीतिक सुविधाएं देने का […]
_____________________________ अंग्रेजों ने भारत आगमन से ही सांस्कृतिक जहर घोलना शुरू कर दिया राम कृष्ण के वंशज भारत वासियों को आर्य द्रविड़ में बांट दिया कहा कि द्रविड़ आर्यों के भारत में आक्रमण से पूर्व उत्तर भारत में ही निवास करते थे आर्यों ने उन पर हमला कर उन्हें विंध्य के पार समुंद्र तटीय दक्षिण […]
उगता भारत ब्यूरो जी हां ये सच है और ये सिर्फ मैं नहीं कह रहा बल्कि जनवरी 2017 में राहुल गांधी ने भी कही थी, जोकि एकदम सच है। RSS ने 1950 से ले कर 2002 तक तिरंगा नहीं फहराया । 1950 के बाद RSS ने तिरंगा फहराना बंद कर दिया? आज़ादी के बाद संघ […]
9 अगस्त, 1925 को हुआ था ‘काकोरी कांड’। आज ही के दिन क्रांतिकारियों ने सहारनपुर से लखनऊ जा रही एक ट्रेन को काकोरी में रोककर सरकारी खजाना लूट लिया था। इस लूट को अंजाम देने की योजना बनाई थी राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खां ने। क्रांतिकारियों का इरादा था कि लूटे गए खजाने से […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-9 नरेन्द्र सहगल भारत में अपनी जड़ें जमा चुके ब्रिटिश साम्राज्यवाद को जड़-मूल से उखाड़ फेंकने के लिए देश और विदेश में भारतीय नवयुवकों ने सशस्त्र क्रांति की ज्वाला को एक भयंकर ज्वालामुखी के विस्फोट में बदलने के लिए गुरिल्ला सैन्य अभियान चलाने का निश्चय किया। […]
एक के बाद एक लगातार हमले कर विदेशी मुस्लिमों ने भारत के उत्तर में अपनी जड़ंे जमा ली थीं। अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक काफूर को एक बड़ी सेना देकर दक्षिण भारत जीतने के लिए भेजा। 1306 से 1315 ई. तक इसने दक्षिण में भारी विनाश किया। ऐसी विकट परिस्थिति में हरिहर और बुक्का राय नामक […]
भारत में एक बार नहीं अनेक बार भारत छोड़ो आंदोलन चलाए गए हैं, अंतर केवल इतना है कि देश, काल , परिस्थिति के अनुसार उन आंदोलनों को भारत छोड़ो आंदोलन का नाम नहीं दिया गया। इसके साथ-साथ भारत के छद्म इतिहासकारों ने देश के क्रांतिकारियों के साथ विश्वासघात करते हुए उनके पुरुषार्थ और देशभक्ति को […]
किसी भी देश का विचार उसके स्वभाव से परिचित कराता है। अगर किसी देश के पास स्वयं के विचार का आधार नहीं है, तब निश्चित ही वह देश दूसरे के विचारों के अनुसार ही संचालित होगा। कहा जाता है कि कोई देश जब अपना अतीत भूल जाता है, तब वह धीरे-धीरे पतन की ओर कदम […]