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इतिहास के पन्नों से

मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 20 ( ख ) महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक

इस स्थिति की जानकारी जब महाराणा प्रताप के शुभचिंतक सरदारों को हुई तो उनमें परस्पर चर्चा होने लगी कि जगमाल का यहां उपस्थित न होने का कारण क्या है? महाराणा प्रताप के शुभचिंतक सरदारों और सामंतों को जब वास्तविकता का बोध हुआ तो उन्हें महाराणा उदय सिंह द्वारा लिए गए निर्णय अत्यंत आश्चर्य हुआ। सबने […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 20 क महाराणा प्रताप और उनका राज्यारोहण

महाराणा प्रताप और उनका राज्यारोहण महाराणा प्रताप भारत के इतिहास के एक ऐसा महान नक्षत्र हैं जिनके नाम लेने मात्र से रगों में खून दौड़ने लगता है। उन्हें भारत के वीरों का शिरोमणि कहा जाता है। अकबर जैसे मुगल बादशाह से उन्होंने जमकर टक्कर ली थी और उसे एक नहीं अनेक युद्धों में परास्त किया […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 19 ( ख) अकबर बनाता रहा नई – नई योजनाएं

अकबर बनाता रहा नई नई योजनाएं जब अकबर ने देखा कि जयमल उसकी सारी योजनाओं पर पानी फेर रहा है तो उसने अपने सैनिकों को एक लंबी सुरंग खोदने का आदेश दिया। स्पष्ट है कि यह सुरंग कहीं दूर जंगल से लाकर किले की दीवारों के नीचे लाकर समाप्त करनी थी। अकबर की योजना थी […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 19 ( क ) मेवाड़ के शूरमा : जयमल और फत्ता

मेवाड़ के शूरमा : जयमल और फत्ता मेवाड़ की शौर्य गाथा में जयमल और फत्ता का भी विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। जब अकबर ने 1567 ई0 में मेवाड़ पर दूसरी बार आक्रमण किया तो उस समय इन दोनों महावीर योद्धाओं ने अपना विशेष पराक्रम दिखाकर इतिहास में अपना नाम अमर किया। उनके पराक्रम के […]

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अकबर महान या महाधूर्त ?

सेकुलर रोग से ग्रस्त कुछ वामपंथी और कांग्रेसी विचार रखने वाले इतिहासकारों ने हुमायूँ के बेटे मुग़ल बादशाह अकबर को एक धर्मनिरपेक्ष और हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक बता दिया है , और उसे “अकबर आजम -اكبرِ اعظم ” ( akabar the greate ) की उपाधि दे डाली है ,लेकिन अकबर न तो […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 18 ( ख ) महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा

महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा मेवाड़ की यह भी एक परंपरा रही है कि जब किसी महाराणा का देहांत होता था तो उसका उत्तराधिकारी उसके अंतिम संस्कार में सम्मिलित नहीं होता था। उसे मेवाड़ के उत्तराधिकारी के रूप में राजभवन में ही रहना होता था। मेवाड़ की इस परंपरा का निर्वाह करने के […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

21 फरवरी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन : कित्तुरू की महान रानी चेन्नम्मा

हर साल कित्तुरु में 22 से 24 अक्टूबर तक कित्तुरु उत्सव लगता है जिसमें उनकी जीत का जश्न मनाया जाता है। चेन्नम्मा का जन्म 23 अक्टूबर, 1778 को ककाती में हुआ था। यह कर्नाटक के बेलगावी जिले में एक छोटा सा गांव है। उनकी शादी देसाई वंश के राजा मल्लासारजा से हुई जिसके बाद वह […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 18 ( क ) महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा

महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा जुलाई 1540 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह मेवाड़ के शासक बने। उनको इतिहास में बहुत ही उपेक्षित स्थान दिया गया है। सामान्यतया इस महाराणा के विषय में लोगों में ऐसी अवधारणा है कि वह अपने पिता महाराणा संग्राम सिंह और पुत्र महाराणा प्रताप सिंह के बीच में एक […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 17 ( ख ) पन्ना की पारिवारिक पृष्ठभूमि

पन्ना की पारिवारिक पृष्ठभूमि कहने का अभिप्राय है कि बलिदानों की पृष्ठभूमि से जुड़ी पन्ना गूजरी ने एक धाय माता के रूप में जब अपना कर्तव्य निर्वाह करना आरंभ किया और उसने देखा कि अब उसके लिए भी बलिदान के क्षण आ गए हैं तो उसने भी बलिदान करने में तनिक सी देर नहीं की। […]

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इतिहास के पन्नों से

कई संप्रदाय और तीर्थ धामों में प्रस्फुटित हुआ राम सखा संप्रदाय

✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी माध्व वैष्णव( ब्रह्म) सम्प्रदाय द्वारा अनुप्राणित:- राम सखा संप्रदाय, मूलतः ‘ माध्व वैष्णव( ब्रह्म) सम्प्रदाय’ की एक शाखा है, जो एक संगठित समूह में नहीं बल्कि बिखरे स्वरूप में मिलता है। इसके अलावा रामानंद संप्रदाय से भी इसका लिंक मिलता है। संत राम सखे राम सखा संप्रदाय के संस्थापक रहे […]

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