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इतिहास के पन्नों से

शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर विशेष: अंग्रेजों और मराठों के संघर्ष

अभी 3 अप्रैल को हमने छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। आज का यह लेख हम उन्हीं को समर्पित कर रहे हैं। जिससे यह स्पष्ट होगा कि उनकी मृत्यु के बाद भी बहुत देर तक उनके वंशज और देश के क्रांतिकारी उनसे किस प्रकार प्रेरणा लेते रहे थे ? […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राष्ट्रीय अखण्डता और महर्षि दयानन्द

लेखक- डॉ. भवानीलाल भारतीय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द द्वारा प्रतिपादित विचारों की भारत की राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने तथा देश की अखण्डता की रक्षा में क्या उपयोगिता है? यदि हम संसार के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ वेदों का अवलोकन करें, तो हमें विदित होता है कि वैदिक वाङ्‌मय में सर्वप्रथम राष्ट्र की विस्तृत […]

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इतिहास के पन्नों से

मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 32 उत्तरवर्ती राणा शासक

उत्तरवर्ती राणा शासक महाराणा राज सिंह के पश्चात उनके पुत्र महाराणा जय सिंह ने 1680 से 1698 ई0 तक शासन किया। इस महाराणा का समकालीन मुगल शासक औरंगजेब था। कुछ देर तक महाराणा ने इस मुगल शासक से युद्ध किया पर अपने विलासी स्वभाव के कारण अधिक देर तक युद्ध जारी नहीं रख सका और […]

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इतिहास के पन्नों से

रामनवमी पर विशेष: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हैं भारत के राष्ट्रपिता

आज राम नवमी का पर्व है। इस ऐतिहासिक पर्व की आप सबके लिए हार्दिक शुभकामनाएं। संपूर्ण भूमंडलवासियों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन संपूर्ण भूमंडल से राक्षसवृत्तियों का विनाश करके अपने जीवन को आदर्श बनाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म हुआ था। संपूर्ण मंडल के संताप निवारक श्रीराम […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 31 महाराणा राज सिंह का औरंगजेब को पत्र

महाराणा राज सिंह का औरंगजेब को पत्र महाराणा राज सिंह अपने समय में वैदिक हिंदू धर्म के रक्षक के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने हर उस असहाय भारतवासी की आवाज बनने का प्रयास किया जो उस समय क्रूर मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचारों का शिकार हो रहा था। अपने देश, धर्म व संस्कृति […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 30 ( ख ) महाराणा राज सिंह का राज्य विस्तार

महाराणा राज सिंह का राज्य विस्तार महाराणा ने टोडा, मालपुरा, टोंक, चाकसू, लालसोट को लूटा और मेवाड़ के खोये हुए भागों पर पुनः अधिकार कर लिया। जब इस प्रकार की सूचनाएं मुगल दरबार में पहुंची तो चित्तौड़ के विरुद्ध वहां पर फिर साजिश रची जाने लगी। वास्तव में महाराणा राज सिंह अपने खोए हुए राज्य […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 30 ( क ) महाराणा राजसिंह प्रथम ( 1652 – 1680 ई० )

महाराणा राज सिंह के शासनकाल में मेवाड़ ने फिर अपने उत्थान और उत्कर्ष की ओर बढ़ना आरंभ किया। इनके शासनकाल के प्रारम्भिक 6 वर्षों में दिल्ली पर मुगल शासक शाहजहां का शासन था, जबकि उसके पश्चात के शेष शासनकाल में औरंगजेब का शासन रहा। महाराणा राजसिंह ने औरंगजेब जैसे क्रूर बादशाह मुगल शासक से लोहा […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के कुछ महान राजा जिनका इतिहास सभी हिन्दू को पढना चाहिए|

बप्पा रावल– अरबो, तुर्को को कई हराया ओर हिन्दू धरम रक्षक की उपाधि धारण की भीम देव सोलंकी द्वितीय – मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे बंधी बनाये रखा पृथ्वीराज चौहान – गौरी को 16 बार हराया और और गोरी बार बार कुरान की कसम खा कर छूट जाता […]

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इतिहास के पन्नों से

मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 29 महाराणा कर्ण सिंह और महाराणा जगत सिंह प्रथम

महाराणा कर्ण सिंह और महाराणा जगत सिंह प्रथम महाराणा अमर सिंह की मृत्यु के पश्चात 26 जनवरी 1620 ई0 को उनके पुत्र महाराणा कर्ण सिंह ने मेवाड़ का सत्ता भार संभाला। महाराणा कर्ण सिंह का जन्म 7 जनवरी 1584 ई0 को हुआ था। हम पूर्व में ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि महाराणा अमर […]

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इतिहास के पन्नों से राजनीति

देश में आपातकाल लगाने वाला परिवार ही आज उपदेश दे रहा है

जिन्होंने देश में आपातकाल लगाया, उस परिवार के वारिस लोकतंत्र बचाने की बात कर रहे हैं सुमित राठौर मजेदार बात यह है कि लोकतंत्र की रक्षा की बात गांधी खानदान के वे वारिस कर रहे हैं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र को कई बार कुचलने का काम किया। इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं तो कुछ […]

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