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Uncategorised इतिहास के पन्नों से

अधिकतम युद्ध जीतने वाले हिंदू राजा ही क्यों पराजित दिखाई जाते हैं ?

शत्रु इतिहास लेखकों द्वारा लिखे गए हमारे इतिहास की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इसमें अधिकतम युद्ध जीतने वाले हिंदू राजाओं को ही पराजित दिखाया जाता है । बहुत ही चालाकी के साथ हमारे हिंदू वीर योद्धाओं के विजयी युद्ध का उल्लेख या तो बहुत संक्षिप्त में किया जाता है या फिर किया ही […]

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मोहम्मद बिन तुगलक के महल के बाहर कत्ल के चबूतरों पर रहते थे जल्ला तैनात

विजय मनोहर तिवारी हम कुछ समय इब्नबतूता के साथ गुज़ारते हैं। उसने तुगलक को जितना करीब से देखा, समझा और दर्ज किया, उतना शायद ही कोई और हो। वह माेहम्मद तुगलक के साथ हिंदुस्तान के इलाकों में सफर पर भी गया है। दरबार में उसने कई साल गुज़ारे हैं। सुलतान के बारे में वह दो […]

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संपूर्ण भारत का विजेता नहीं था अकबर , इसलिए संपूर्ण भारत का बादशाह भी उसे नहीं कहा जा सकता

महाराणा प्रताप नाम के हिंदू वीर योद्धा ने अकबर को 1576 से 1585 तक निरंतर चित्तौड़ में उलझा रखा उसका परिणाम यह निकला कि अकबर के 10 वर्ष हमारे अकेले वीर योद्धा महाराणा प्रताप से लड़ते हुए गुजर गए । तब उसने 1585 में देश के अन्य हिस्सों पर अपने नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास […]

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इतिहास का एक आश्चर्यजनक सत्य : अपने ही संरक्षक बने बैरम खान को भी नहीं पचा पाया था तथाकथित ‘अकबर महान’

अकबर चित्तौड़ को लेने में सफल हो गया और हमारे इतिहासकारों द्वारा उसे महान होने का गौरव भी दे दिया गया। हम उसे प्रचलित इतिहास में इसी नाम से पढ़ते हैं, पर उसकी महानता को इतिहास पर थोपते ही ‘भारत का इतिहास’ मर गया। अपने गौरवपूर्ण अतीत से मानो भारत का संबंध विच्छेद हो गया। […]

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देश को गांधी के “कबूतरी धर्म” की नहीं , सावरकर के साफ-सुथरे राष्ट्र धर्म की आवश्यकता है

सावरकर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष इससे पूर्व कि अखंड भारत के साधक और भारतीय राजनीतिक के सबसे दुर्गंधित पक्ष इस्लामिक सांप्रदायिकता के तीव्र विरोधी , सबके साथ समान व्यवहार करने के पक्षधर वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि के संदर्भ में उनके जीवन पर हम कुछ प्रकाश डालें , यह बताना उचित समझते […]

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महाभारत की खोज में बड़ी सफलता , वैदिक सभ्यता के मिले प्रमाण

इतिहास का यह एक कटु सत्य है कि वैदिक सभ्यता संस्कृति ही संसार की सबसे प्राचीन और प्रमाणिक सभ्यता और संस्कृति है । जब थे दिगंबर रूप में वे जंगलों में थे घूमते । प्रासाद के तोरण हमारे चंद्र को थे चूमते ।। जयशंकर प्रसाद जी ने यह पंक्तियां यूं ही नहीं कह दी होंगी […]

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मोहम्मद बिन तुगलक के 26 वर्ष के शासनकाल में हिंदुओं ने किए थे 20 स्वतंत्रता आंदोलन

मोहम्मद बिन तुगलक का शासनकाल भारतवर्ष में 1325 ईसवी से 1351 ईसवी तक 26 वर्ष का माना जाता है । हमें इतिहास में इस प्रकार पढ़ाया जाता है कि जैसे उसके शासनकाल में पूर्णरूपेण शांति रही और हिंदू पूर्णतया मरी हुई जाति के रूप में अपने आत्मसम्मान को बेचकर चुपचाप उसके शासनादेशों का पालन करता […]

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गुरु ग्रंथ साहिब में मांस शराब नशे आदि का खंडन

दसों गुरू और भक्त जन जिनकी वाणी गुरू ग्रन्थ साहब में दर्ज है, मांस शराब आदि के सेवन को महापाप मानते थे। आइये हम सभी जन गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के पावन पर्व पर उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए अपने जीवन में मद्य मांसादि का सेवन कदापि न करने का संकल्प लें जिससे […]

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महर्षि दयानंद का वह राष्ट्रवादी वंदनीय स्वरूप और महाशिवरात्रि

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 12 फरवरी सन 1824 को ग्राम टंकारा मोरवी राज्य गुजरात में पिता कर्षन तिवारी जी के यहां बालक मूल शंकर का जन्म हुआ । यही बालक आगे चलकर ऋषि दयानंद के नाम से विख्यात हुआ । 1838 ईस्वी में शिवरात्रि के दिन सच्चे शिव का बोध जब इस बालक को हुआ […]

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राजा के शास्त्रोचित दिव्य गुणों से विभूषित थे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज

गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जयंती के अवसर पर विशेष अग्नि अर्थात प्रकाश के उपासक भारतवर्ष का सबसे पहला राजवंश वैवस्वत मनु के द्वारा सूर्यवंश के रूप में स्थापित किया गया । इस सूर्यवंश को ही इक्ष्वाकुवंश , अर्कवंश और रघुवंश के नाम से भी जाना जाता है । भारतवर्ष के ही नहीं अपितु समस्त […]

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